Noida: इलाहाबाद हाईकोर्ट से उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित निठारी कांड में फांसी की सजा रद्द होने के बाद मोनिंदर सिंह पंढेर को शुक्रवार को जेल से रिहा कर दिया गया. पंढेर के तीन वकील उसे लेकर बाहर निकले. पंढेर के खिलाफ 302 के दो मुकदमे दर्ज थे. कोट के आदेश का पत्र लुक्सर स्थित जेल में पहुंचने के बाद पंढ़ेर की रिहाई की गई और वह जेल की सलाखों के बाहर आ सका. जेल के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए. जेल अधीक्षक अरुण प्रताप सिंह ने बताया कि जून 2023 में मोनिंदर पंढेर को गाजियाबाद के डासना जेल से ट्रांसफर कर लुक्सर जेल में लाया गया था. मनिंदर की तबीयत खराब थी. इस वजह से उसको जेल के आइसोलेशन वॉर्ड में शिफ्ट किया गया. उसके वॉर्ड में करीब 15 कैदी थे. जेल अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले मोनिंदर की रिहाई का एक आदेश पत्र गाजियाबाद जेल में पहुंचा था. जब उसके गौतमबुद्ध नगर जेल में होने की जानकारी हुई तो पत्र यहां भेजा गया. इसकी सूचना मिलते ही पंढेर खुश नजर आया. मोनिंदर ने अपनी बैरक में बंद कैदियों को गले लगाया. वह बार-बार अपनी रिहाई के बारे में जेल में पूछताछ करता रहा. जब उसे पता चला कि उसकी एक मुकदमे में रिहाई का परवाना आया है और दूसरे में नहीं आया इसके चलते उसकी रिहाई नहीं हो पाएगी. उसके बाद वह मायूस हो गया.
बताया जा रहा है कि जेल से रिहाई के बाद मोनिंदर सिंह पंढेर नोएडा में अपनी कोठी जाने के बजाय चंडीगढ़ के लिए रवाना हो गया. इससे पहले विगत सोमवार को इलाहबाद हाई कोर्ट ने 65 वर्षीय पंढेर और उसके घरेलू सहायक सुरेंद्र कोली को 2006 के सनसनीखेज मामले में यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष संदेह से परे अपराध साबित करने में विफल रहा और इससे जांच में गड़बड़ हुई. दिसंबर 2006 में निठारी कांड का खुलासा किया गया था. तब डी-5 कोठी के पास नाले में नर कंकाल मिले थे. साल 2005 और 2006 में हुए निठारी कांड में कुल 19 मुकदमे दर्ज हुए थे.
निठारी कांड के आरोपी के जेल से बरी होने के बाद मामले की जांच को लेकर सवाल उठने लगे हैं. इस बीच, उत्तर प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने आश्वासन दिया है कि सरकार इस केस की शासन स्तर पर समीक्षा कराएगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस केस में ठोस पैरवी की थी. अब इस केस की गहनता से शासन स्तर पर समीक्षा की जाएगी और यह जानने की कोशिश होगी कि पैरवी में क्या-क्या कमी रह गई थी। समीक्षा के बाद आगे का निर्णय किया जाएगा.
-
निठारी कांड के आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को 16 अक्टूबर 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी करने का आदेश दिया. दोनों को मिली फांसी की सजा भी अदालत ने रद्द कर दी है.
-
सुरेंद्र कोली और पंढेर को पिंकी की हत्या और रेप की कोशिश में 24 जुलाई 2017 को सीबीआई कोर्ट ने दोषी ठहराया था. दोनों के खिलाफ हत्या के 16 में से आठवें मामले में कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था.
-
सीबीआई कोर्ट ने 22 जुलाई 2017 को मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को दोषी ठहराते हुए सजा के लिए 24 जुलाई की तारीख मुकर्रर की थी.
-
रिम्पा हलदर हत्या मामले में सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा को जनवरी 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्र कैद में तब्दील कर दिया था.
-
आरोपी सुरेंद्र कोली की फांसी पर पुनर्विचार याचिका अक्टूबर 2014 में सुप्रीम कोर्ट से खारिज कर दी गई थी. रिम्पा की हत्या मामले में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी. हालांकि अदालत ने सुरेंद्र कोली की फांसी की सज़ा पर अक्तूबर 29 तक के लिए रोक लगा दी थी.
-
सीबीआई की एक विशेष अदालत ने मई 2010 में सुरेंद्र कोली को सात साल की आरती की हत्या का दोषी करार दिया था. लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट पंढेर को सितंबर में ही बरी कर चुका था, जबकि कोली की सजा को बरकरार रखा गया था.
-
सीबीआई ने मई 2007 में अपनी चार्जशीट में पढ़ेर को 15 साल की रिम्पा हलदर नाम की बच्ची के किडनैप, रेप और हत्या के मामले में आरोपमुक्त कर दिया था. बाद में कोर्ट की फटकार के बाद सीबीआई ने पंढेर को इस मामले में सह-अभियुक्त बनाया. पंढेर और कोली को दोषी करार देते हुए सजा-ए-मौत सुनाई गई थी.
-
निठारी हत्याकांड के आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को जनवरी 2007 में पुलिस नार्को टेस्ट के लिए गांधीनगर ले कर पहुंची थी. मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली से पूछताछ के बाद सीबीआई कुछ ही दिनों में जांच करने के लिए नोएडा के निठारी गांव पहुंच गई. यहां से और भी हड्डियां बरामद की गईं थी.
-
जनवरी 2007 में दोनों को पेशी के लिए गाजियाबाद की एक कोर्ट में ले जाया गया था, जहां इनके साथ परिसर में ही मारपीट की गई थी. फरवरी से 20 अप्रैल के बीच दोनों आरोपियों को 14 दिन के लिए सीबीआई की कस्टडी में भेजा गया था. वहीं गुमशुदा लड़की के कंकाल की पहचान उसके कपड़ों से की गई थी.
-
12 नवंबर 2006 को एक लड़की कोठी में सफाई के लिए अपने घर से गई तो लेकिन वापस घर नहीं लौटी. परिवार के खूब तलाशने के बाद भी जब उसका कुछ पता नहीं चला तो मामले की शिकायत वह पुलिस थाने में करने पहुंचे लेकिन पुलिस ने उनकी रिपोर्ट ही दर्ज नहीं की. वहीं मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे बने नाले में नई कंकाल पाए गए थे. इस मामले में पुलिस ने 19 केस दर्ज किए थे.
-
29 दिसंबर 2006 : कोठी के पीछे और आगे नाले में बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे, मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली गिरफ्तार.
-
8 फरवरी 2007- कोली और पंढेर को 14 दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा गया.
-
मई 2007 – सीबीआई ने पंढेर को अपनी चार्जशीट में अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोपमुक्त कर दिया था. दो महीने बाद कोर्ट की फटकार के बाद सीबीआई ने उसे फिर सहअभियुक्त बनाया.
-
13 फरवरी 2009- विशेष अदालत ने पंढेर और कोली को 15 वर्षीय किशोरी के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई। यह पहला फैसला था.
-
3 सितंबर 2014- कोली के खिलाफ कोर्ट ने मौत का वारंट भी जारी किया.
-
4 सितंबर 2014 – कोली को डासना जेल से मेरठ जेल फांसी के लिए ट्रांसफर किया गया.
-
12 सितंबर 2014 – से पहले सुरेंद्र कोली को फांसी दी जानी थी. वकीलों के समूह डेथ पेनल्टी लिटिगेशन ग्रुप्स ने कोली को मृत्युदंड दिए जाने पर पुनर्विचार याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजा.
-
12 सितंबर 2014 – सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा पर अक्तूबर 29 तक के लिए रोक लगाई.
-
28 अक्तूबर 2014 – सुरेंद्र कोली की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को खारिज किया. 2014 में राष्ट्रपति ने भी दया याचिका रद्द कर दी.
-
28 जनवरी 2015 – हत्या मामले में कोली की फांसी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील किया.