बस्ताकोला (धनबाद), बबन झा : परिवार में सास बहू के रिश्तों के बीच खटास एवं एक दूसरे के प्रति समर्पण के अभाव की चर्चा होती रहती है. ऐसे में अगर कोई सास जीवनदायिनी बन अपनी किडनी बहू को दान करती है तो बेशक यह अनुकरणीय व सास-बहू के रिश्ते में मिसाल ही कहेंगे. जी हां, हम बात कर रहे हैं धनबाद के न्यू कार्मिक नगर श्रीकृष्णा नगरी अपार्टमेंट में रहने वाली रिटायर्ड शिक्षिका सावित्री देवी (62) व उनकी बहू आभा शर्मा (38) की. सावित्री ने दिल्ली के अपोलो अस्पताल में बहू को गत 16 अगस्त को अपनी किडनी ट्रांसप्लांट कराकर नया जीवन देने का साहसिक कदम उठाया.
बहू आभा शर्मा नवंबर 2014 से किडनी की बीमारी से ग्रसित थी. कुछ वर्षों से वह डायलिसिस पर रह रही थी. लेकिन हाल के दिनों में उसकी स्थिति खराब होने लगी. डॉक्टर ने आभा शर्मा को किडनी ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी. आभा के मायके के किसी सदस्य ने किडनी देने के नाम पर हाथ खड़े कर दिये. वह सात भाई-बहनों सबसे छोटी है. ऐसी स्थिति में आभा के सामने अपना जीवन कुछ ही दिनों का मालूम पड़ रहा था. तभी सास सावित्री उनके जीवन की छोटी होती लकीर को अपनी किडनी दे एक मां के रूप में नया जीवन देने के लिए आगे आयीं. ट्रांसप्लांट के दौरान दौरान दिल्ली अपोलो अस्पताल में आभा के ससुर रमेश शर्मा (केंद्रीय विद्यालय विनोद नगर से रिटायर्ड शिक्षक), देवर संजीव कुमार सहित ससुराल पक्ष के दर्जनों लोग मौजूद थे.
दो बच्चों की मां हैं आभा शर्मा
आभा शर्मा को दो पुत्र निशलय ( 17 ) व आरव (11) हैं. निशलय कक्षा ग्यारहवीं, जबकि आरव पांचवीं का छात्र है. किडनी ट्रांसप्लांट दिल्ली अपोलो अस्पताल के प्रसिद्ध डॉक्टर संदीप गुलेरिया ने सफलतापूर्वक किया. फिलहाल सास-बहू डॉक्टर की देखरेख में स्वास्थ्य लाभ कर रही हैं.
सच में मेरी मां देवीस्वरूपा हैं : राजेश कुमार शर्मा
धनसार विश्वकर्मा परियोजना में वरीय ओवरमैन राजेश कुमार शर्मा का कहना है कि मेरी मां सही में देवी स्वरूपा हैं. मां ने कभी भी अपनी बहू को अपने बच्चे से अलग नहीं समझा. इतनी उम्र में किडनी ट्रांसप्लांट की बात पर सभी ने मां को मना किया, परंतु मां नहीं मानी. मां का कहना है कि मेरी बहू भी बेटी की तरह ही है. कहा कि इलाज में करीब 13 लाख रुपए खर्च हुआ है.