शारदीय नवरात्रि देवी दुर्गा को समर्पित है. यह देवी मां स्त्री शक्ति (शक्ति) का प्रतिनिधित्व करती है. इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 07 अक्टूबर से होने जा रही है जो 15 अक्टूबर तक चलेगी. इन 9 दिनों में श्रद्धालु उपवास रखते हैं और माता के दर्शन के लिए मंदिरों में (Mata Temples) जाकर सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं. नवरात्रि में प्रतिपदा पर कलश स्थापना के बाद ही पूजा आरंभ होती है और कलश स्थापना के लिए पूजा सामग्री का होना जरूरी है. इसलिए कलश स्थापना से पहले पूजा सामग्री की लिस्ट बना लें. आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि में उपयोग होने की वाली पूजा सामग्री की लिस्ट.
नवरात्रि पूजा की सामग्री (Navratri Puja Samagri)
लाल कपड़ा, चौकी, कलश, कुमकुम, लाल झंडा, पान-सुपारी, कपूर, जौ, नारियल, जयफल, लौंग, बताशे, आम के पत्ते, कलावा, केले, घी, धूप, दीपक, अगरबत्ती, माचिस, मिश्री, ज्योत, मिट्टी, मिट्टी का बर्तन, एक छोटी चुनरी, एक बड़ी चुनरी, माता का श्रृंगार का सामान, देवी की प्रतिमा या फोटो, फूलों का हार, उपला, सूखे मेवे, मिठाई, लाल फूल, गंगाजल और दुर्गा सप्तशती या दुर्गा स्तुति आदि.
Shardiya Navratri 2021: शुभ समय
उत्सव की शुरुआत कलश स्थापना से होती है, जिसे घटस्थापना के नाम से भी जाना जाता है और नौ दिनों तक एक दिन का उपवास रखने का संकल्प लिया जाता है.
कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त
दोपहर 3:33 से शाम 5:05 बजे तक
पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
सुबह 9:33 से 11:31 बजे तक
Shardiya Navratri 2021: कलश स्थापना कैसे करें?
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7 अक्टूबर को सुबह जल्दी उठकर नहाएं और साफ कपड़े पहनें.
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कलश को अपने घर के पूजा घर में रखें और मिट्टी के घड़े के गले में एक पवित्र धागा बांध दें.
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कलश को मिट्टी और अनाज के बीज की एक परत से भरें.
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दूसरे कलश में पवित्र जल भरकर उसमें सुपारी, गंध, अक्षत, दूर्वा घास और सिक्के डालें.
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अब कलश के मुख पर एक नारियल रखें और उसे पत्तों से सजाएं.
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मंत्रों का जाप करें और माता दुर्गा से नौ दिनों तक कलश को स्वीकार करने और निवास करने का अनुरोध करें.
Shardiya Navratri 2021: कलश स्थापना की पूजा विधि
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कलश को फूल, फल, धूप और दीया अर्पित करें.
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देवी महात्म्यम का पाठ करें और पवित्र मंत्रों का जाप करें.
इस विधि से करें संध्या आरती
दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाकर दुर्गा स्तुति, दुर्गा चालीसा, दुर्गा स्तोत्र और दुर्गा मंत्र पढें. फिर माता की आरती करें. आरती करने के बाद देवी दुर्गा को फल-मिठाई का भोग लगाएं.
इस मंत्र का जाप लाभदायक…
आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम्। पूजां श्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर॥ मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरं। यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्मतु॥
Posted By: Shaurya Punj