Navratri 2022: नवरात्र में 2 अप्रैल से 10 अप्रैल तक नौ देवियों की पूजा-अर्चना और व्रत किए जाएंगे. ज्योतिष के अनुसार आप जिस नक्षत्र में पैदा हुये हैं, उसी के अनुसार आपको देवी की पूजा एवं अर्चना करनी चाहिए, ताकि उस नक्षत्र के स्वामी को खुश किया जा सके.
जन्म के नक्षत्र के अनुरूप हो देवी पूजन… ज्योतिषाचार्य पं. हृदयरंजन शर्मा ने बताया कि जिस नक्षत्र में जन्म होता है, उस नक्षत्र का एक स्वामी होता है. नवरात्र पर उस नक्षत्र के स्वामी को खुश करने के लिए नौ देवियों में से एक विशेष देवी की पूजा- अर्चना के साथ व्रत करना चाहिए.
-
-यदि जन्म अश्विनी, माघ, व मूल नक्षत्र का है. जिनका स्वामी केतु है, तो “शैलपुत्री” देवी की पूजा करनी चाहिए.
-
– यदि जन्म भरणी, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में हुआ है, जिसका स्वामी शुक्र है, तो “ब्रह्मचारिणी ” देवी की पूजा करनी चाहिए.
-
– यदि जन्म कृतिका, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ नक्षत्र में हुआ है, जिसका स्वामी सूर्य है, तो “सिद्दिधात्री” देवी की पूजा करनी चाहिए.
-
– यदि जन्म रोहिणी, हस्त, श्रवण नक्षत्र में हुआ है, इन नक्षत्र का स्वामी चंद्र है, तो “चंद्रघंटा” देवी की पूजा करनी चाहिए.
-
यदि जन्म मृगसिरा, चित्रा, धनिष्ठा नक्षत्र में हुआ है, जिसका स्वामी मंगल है, तो “कुष्मांडा” देवी की पूजा करनी चाहिए.
-
– यदि जन्म आद्रा, स्वाति, शतभिषा नक्षत्र में हुआ है. इन नक्षत्र के स्वामी राहू हैं, तो “कात्यायिनी” देवी की पूजा करनी चाहिए.
-
– यदि जन्म पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में हुआ है, इन नक्षत्र के स्वामी गुरु हैं, तो “स्कंदमाता” देवी की पूजा करनी चाहिए.
-
– यदि जन्म पुष्य, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में हुआ है, इन नक्षत्र का स्वामी शनि है, तो “कालरात्रि” देवी की पूजा करनी चाहिए.
-
– यदि जन्म रेवती, अश्लेशा, ज्येष्ठा नक्षत्र में हुआ है, इन नक्षत्र के स्वामी बुध हैं, तो “महागौरी” देवी की पूजा करनी चाहिए.