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क्या अभिभावक बच्चों का अब नेतरहाट स्कूल में नहीं कराना चाहते दाखिला? झारखंड से 5000 आवेदन भी नहीं आ रहे

झारखंड गठन के बाद से नेतरहाट आवासीय विद्यालय का शैक्षणिक स्तर पहले जैसा नहीं रहा. नामांकन के लिए आवेदन जमा करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या प्रतिदिन कम हो रही

रांची: नेतरहाट आवासीय विद्यालय कभी टॉपर विद्यार्थियों की फैक्ट्री कहा जाता था. विद्यालय से पासआउट विद्यार्थी देश-विदेश में शीर्षस्थ पदों पर रहे हैं. हाल के कुछ वर्षों तक मैट्रिक के स्टेट टॉप टेन के सभी 10 विद्यार्थी नेतरहाट स्कूल के होते थे, लेकिन अब विद्यालय में नामांकन को लेकर न तो अभिभावक उतनी रुचि ले रहे हैं न ही स्कूल का पहले जैसा रिजल्ट हो रहा है. आलम यह है कि पूरे राज्य से प्रति वर्ष 5000 विद्यार्थी भी नामांकन के लिए आवेदन जमा नहीं करते हैं.

राज्य गठन के बाद से नेतरहाट आवासीय विद्यालय का शैक्षणिक स्तर पहले जैसा नहीं रहा. नामांकन के लिए आवेदन जमा करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है. विद्यालय नामांकन फॉर्म जमा करने के लिए तीन माह तक समय दिया जाता है, इसके बाद पूरे राज्य से लगभग 3000 विद्यार्थियों का आवेदन जमा होता है. इनमें भी प्रति वर्ष लगभग 1000 विद्यार्थी आवेदन जमा करने के बाद परीक्षा में शामिल नहीं होते हैं.

इतने परीक्षार्थी भी तब आवेदन जमा करते हैं, जब शिक्षा विभाग आवेदन जमा कराने को लेकर दिशा-निर्देश जारी करता है. वर्ष 2021-22 में ही लगभग 3000 आवेदन जमा हुए थे, जिसमें से लगभग 2000 विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे. वर्ष 2020-21 में 3200 आवेदन जमा हुए थे, जबकि वर्ष 2022-23 के लिए अबतक लगभग 1500 आवेदन जमा हुए हैं.

पांच लाख विद्यार्थी आवेदन जमा करने के योग्य :

नेतरहाट विद्यालय में कक्षा पांचवीं पास व छठी के विद्यार्थी नामांकन के लिए आवेदन जमा कर सकते हैं. इसमें सरकारी के साथ-साथ गैर सरकारी विद्यालयों में पढ़नेवाले विद्यार्थी भी आवेदन जमा कर सकते हैं. राज्य में प्रति वर्ष लगभग पांच लाख विद्यार्थी सरकारी विद्यालयों से कक्षा पांचवीं की परीक्षा पास करते हैं. गैर सरकारी विद्यालयों से पांचवीं पास करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या जोड़ देने से यह आंकड़ा सात लाख तक पहुंच जायेगा. इनमें से प्रति वर्ष पांच हजार विद्यार्थी भी नामांकन के लिए आवेदन जमा नहीं करते.

परीक्षा पास करने के बाद भी नहीं लेते नामांकन :

नामांकन प्रवेश परीक्षा के सफल होने के बाद भी लगभग 10 फीसदी विद्यार्थी नामांकन नहीं लेते हैं. वर्ष 2021-22 में नामांकन के लिए चयनित 100 में से 12 विद्यार्थी नामांकन के लिए मेडिकल जांच में शामिल नहीं हुए.

स्टेट के टॉप टेन में एक भी विद्यार्थी नहीं

कभी स्टेट टॉप टेन में सभी 10 स्थान पर कायम रहनेवाले विद्यालय के एक भी विद्यार्थी आज टॉप टेन में अपनी जगह नहीं बना पा रहे हैं. वर्ष 2021 से विद्यार्थी सीबीएसइ के माध्यम से बोर्ड परीक्षा में शामिल हो रहे हैं. वर्ष 2022 की परीक्षा में कक्षा 10वीं में 98 फीसदी व 12वीं साइंस में 95 फीसदी अधिकतम अंक प्राप्त हुआ था. एक भी विद्यार्थी स्टेट टॉप टेन में शामिल नहीं था.

राजधानी के एक स्कूल में आते हैं इतने आवेदन

नेतरहाट स्कूल में नामांकन के लिए जितने आवेदन पूरे राज्य से जमा होते हैं, उतने आवेदन राजधानी के कई निजी स्कूलों में जमा हो जाते हैं. जबकि, सामान्यतया स्कूल में नामांकन के लिए पूरे राजधानी से आवेदन भी जमा नहीं होते. राजधानी के कुछ स्कूलों में प्रति वर्ष प्ले ग्रुप की कक्षा में नामांकन के लिए तीन हजार से अधिक आवेदन जमा होते हैं.

छह जिलों से एक भी बच्चे का चयन नहीं

इस वर्ष नामांकन के लिए चयनित 100 में 75 बच्चे मात्र पांच जिला के थे. 24 में से छह जिलों से एक भी बच्चे का चयन नहीं हुआ था. रामगढ़, खूंटी, पूर्वी सिंहभूम, देवघर, साहिबगंज व जामताड़ा से एक भी बच्चे चयनित नहीं हुए थे.

रिपोर्ट- सुनील कुमार झा

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