गोरखपुर : विकास प्राधिकरण नया गोरखपुर विकसित करने की तैयारी शुरू करने जा रहा है.जिससे लोगों की आवासीय जरूर पूरा हो सके.शासन की ओर से इसके लिए पहली किस्त दी जा चुकी है.नया गोरखपुर बसाने के लिए जीडीए की ओर से किसानों से दो बार बातचीत भी की जा चुकी है.लेकिन उनकी ओर से कोई सहमति नहीं दी गई. इसी दौरान गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने यह बात स्पष्ट किया था कि अगर किसानों से भूमि को लेकर बात नहीं बनी तो अनिवार्य अर्जन की ओर कदम बढ़ाया जाएगा.जीडीए ने अनिवार्य अर्जन की और कदम बढ़ाने की तैयारी लगभग पूरी कर ली है. इसको लेकर जल्द ही भूमि अध्यप्ति अधिकारी के यहां निवेदन किया जा सकता है.अनिवार्य अर्जन की प्रक्रिया में सहमति के आधार पर बैनामा कराने की जरूरत नहीं होगी. लेकिन इस प्रक्रिया में कम से कम एक वर्ष का समय लगेगा. नया गोरखपुर के लिए लोगों से सहमति के आधार पर जमीन लेने की प्रक्रिया अपनाने की तैयारी थी. लेकिन दो बार की वार्ता में सहमति न बनने के कारण दूसरे विकल्प पर विचार चल रहा है.इस योजना के लिए अनिवार्य अर्जन भूमि अर्जन अधिनियम 2013 के तहत होगा. जिन गांवों में जमीन लेनी है उसके गाटा संख्या सहित प्राधिकरण की ओर से विशेष भूमि अध्यप्ति अधिकारी कार्यालय को पत्र भेजा जाएगा.उसके बाद धारा चार का प्रकाशन होगा और इस अर्जन से पड़ने वाले सामाजिक,आर्थिक प्रभाव के अध्ययन के लिए एजेंसी का चयन किया जाएगा.एजेंसी लगभग 2 महीने में अपनी अनंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.
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अनंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद लोक सुनवाई का अवसर दिया जाएगा.उसमें आने वाली आपत्तियों के निस्तारण के बाद एजेंसी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.इसके बाद बहुशाखी विशेषज्ञ समूह का गठन किया जाएगा. इस समूह में दो अर्थशास्त्री,दो समाजशास्त्री एक तकनीकी विशेषज्ञ व दो प्रधान शामिल होंगे.यह समूह एजेंसी की रिपोर्ट का परीक्षण करने के बाद अपनी रिपोर्ट देगी.इसके बाद धारा 11 का प्रकाशन होगा.जिसके जरिए परिमाप आदि का अधिकारी मिल जाएंगे. इसी के तहत संबंधित लोगों से आपत्तियां भी आमंत्रित की जाएगी.उसके बाद धारा 19 यानी अंतिम प्रकाशन होगा.जिसके जरिए भुगतान आदि की प्रक्रिया संपन्न होगी.इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम एक साल का समय लग जाएगा. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की योजनाओं में जमीन का अर्चन एनएच एक्ट 1956 की तहत होती है.लोक हित में इस प्रक्रिया की अवधि सीमित कर दी गई है.इसमें भी जमीन का बैनामा नहीं कराया जाता है.गोरखपुर के गोडधोइया परियोजना में लोगों से सहमति के आधार पर जमीन ली जा रही है. इसलिए यहां जमीन का बैनामा कराया जा रहा है. यह प्रक्रिया कम दिन की होती है.नया गोरखपुर के लिए भी यह प्रक्रिया अपनाने की तैयारी थी.लेकिन किसानों द्वारा सहमति नहीं बनी.
गोरखपुर में शासन द्वारा तेजी से विकास कार्य हो रहे हैं.इसके चलते महानगर की आबादी भी बड़ी है. लोगों के आवासीय जरूरत को पूरा करने के लिए गोरखपुर विकास प्राधिकरण की ओर से अलग-अलग कई योजनाएं लांच की जा रही है.आने वाले समय में आवास की जरूरत और बढ़ेगी जिसको ध्यान में रखते हुए गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने नया गोरखपुर बसाने की योजना बनाई थी.इसको लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई है.जमीन अधिग्रहण के लिए पहली किस्त शासन की ओर से प्राधिकरण को मिल चुकी है.जीडीए की ओर से 6000 एकड़ जमीन के लिए 24 गांव को चिन्हित किया गया है. इनमें से 12 गांव प्रस्तावित जंगल कौड़िया –जगदीशपुर फोर लेन बाईपास के आसपास है. जबकि अन्य 12 गांव कुशीनगर रोड पर किस्मही के पास है.गोरखपुर विकास प्राधिकरण पहले चरण में किस्मही के पास के चार गांव में जमीन लेने की तैयारी कर रहा है.
रिपोर्ट : कुमार प्रदीप