New Year 2021: सरायकेला (शचिंद्र कुमार दाश) : 2020 का वर्ष समाप्ति की ओर है. लोग 2021 के स्वागत की तैयारी में जुट गये हैं. इस दौरान सरायकेला-खरसावां जिले में पिकनिक का दौर भी शुरू हो गया है. लोग अपने दोस्त सगे संबंधियों के साथ पिकनिक मनाने के लिये जिला के अलग अलग लोकेशन पर पहुंच रहे हैं. सरायकेला-खरसावां जिला की प्राकृतिक छटा लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है. सरायकेला-खरसावां जिले को कुदरत ने अप्रतिम प्राकृतिक सुंदरता बख्शी है. कलकल बहती नदियां, पेड़-पौधों से आच्छादित पहाड़ और जंगलों में विचरण करते वन्य प्राणी लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं. यहां की नदियां, पहाड़, झरना के साथ साथ धार्मिक स्थल लोगों को खूब भा रहे हैं. पिकनिक मनाने के दौरान भी लोग कोरोना को लेकर काफी सतर्कता बरत रहे हैं. यहां के हर पिकनिक स्पॉट की अपनी विशेषता है.
खरसावां प्रखंड मुख्यालय से करीब चार किमी दूर रमणिक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है आकर्षिणी माता का शक्ति पीठ. करीब 320 फीट ऊंची आकर्षिणी पाहाड़ी की चोटी पर चढ़ कर लोग शक्ति की देवी मां आकर्षिणी की पीठ पर पूजा अर्चना करते है. इसके पश्चात पाहाड़ी से नीचे उतर कर मैदान में पिकनिक मना सकते है. यहां पेयजल, शौचालय से लेकर रहने तक की व्यवस्था है. यहां की प्राकृतिक छटा लोगों को अपनी ओर अकर्षित करती है. बड़ी संख्या में लोग यहां पिकनिक मनाने पहुंच रहे है. राज्य सरकार के पर्यटन विभाग की ओर से भी यहां लाखों रुपये खर्च कर इस स्थल को विकसित किया गया है. जमशेदपुर, सरायकेला, चाईबासा व चक्रधरपुर से यहां सड़क मार्ग से पहुंचने के लिये सीधी सड़क है.
अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण मिरगी चिगड़ा सालों भर सैलानियों को अपनी ओर आकर्षिक करता है. इस स्थल का पौराणिक महत्व होने के कारण भी लोग यहां आते हैं. प्रतिवर्ष सिर्फ जनवरी के महीने में सैकडों लोग यहां परिवार के साथ पिकनिक के लिए पहुंचते हैं. प्रकृति की गोद में बसे इस स्थल को देखकर लोग आनंदित हो जाते हैं. बहुत सारे सैलानी खरकई नदी के पानी में जकक्रीड़ा का आनंद भी लेते हैं. यहां आए लोग स्थापित गर्भेश्वर महादेव का पूजन कर अपनी मनोकामना प्राप्त करते हैं. मिरगी चिंगडा सरायकेला से कुदरसाई होते हुए तकरीबन पांच किमी की दूरी पर स्थित है. यहां पहुंचने के लिये निजी वाहन बेहतर विकल्प है. सरायकेला बाजार से ऑटो रिक्शा भी ले सकते हैं .
जिला मुख्यालय सरायकेला से करीब 20 किमी दूर है राजनगर प्रखंड का भीमखंदा. बोंबोगा नदी के तट पर स्थित भीमखंदा में यूं तो सालों भर सैलानी पहुंचते है, परंतु जनवरी माह में यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते थे. बोंबोगा नदी की कल कल धारा पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करती है. यहा भगवान शिव का मंदिर नदी के बीच में होने के कारण यह काफी रमणीक स्थल है. यहां द्धापरयुग में पांडु पूत्र भीम के द्धारा स्थापित श्री श्री पांडेश्वर महादेव की महिमा जीवन की घटनाओं से लड़ने की क्षमता एवं ऊर्जा प्रदान कर विजयी दिलानेवाली है. भीमखंदा कई एैतिहासिक धरोहरों को समेटे हुए हैं. क्षेत्र में प्रचलित एक किंवदंती के अनुसार महाभारत काल में जब पांडव वनवास में थे, तब पांडव सरायकेला के मिर्गी चिंगडा होते हुए यहां पहुंचे थे. क्षेत्रीय मान्यता है कि पांडव यहां बोंबोगा नदी के तट पर विश्राम किये थे. पंडावों ने अपने भोजन तैयार करने के लिये चुल्हा बनाया गया था. पांडवों द्वारा पत्थरों पर बनाया गया वह चुल्हा आज भी भीमखंदा में मौजुद है. मान्यता है कि भीम-हिडंबा विवाह के दौरान आयोजित भोजन तैयार किया गया था.
एनएच-33 पर स्थित चांडिल डैम पर्यटकों को खूब लुभाता है. लोग छुट्टियां मनाने व मस्ती करने यहां सालों भर आते हैं. यह डैम झारखंड की सबसे ज्यादा देखे जाने वाली जगहों में से एक है. दो पाहाड़ों के बीच बांधे गये चांडिल डैम में वोटिंग की व्यवस्था है. बांध ऊंचाई 220 मीटर है और इसके पानी के स्तर की ऊंचाई अलग-अलग जगहों से 190 मीटर है जो देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले पर्यटकों को नौकायन और बांध के आसपास की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद देती हैं. पास में स्थित पुरतात्विक संग्रहाल भी लोगों को खूब लुभाती है. राज्य सरकार की ओर से यहां पर्यटन के विकास के लिये कई कार्य किये है. चांडिल डैम में सरायकेला-खरसावां के साथ साथ बंगाल व ओडिशा से भी सैलानी पहुंचते है. यहां बड़ी संख्या में विदेशी साइबरियन पंक्षी भी पहुंचे हुए है. पिकनिक मनाने पहुंचे लोगों को ये पक्षियां खूब लूभा रही है.
जमशेदपुर शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर टाटा-रांची हाई-वे पर सुवर्णरेखा नदी के तट के पास स्थित प्राचीन जयदा बूढ़ा बाबा शिव मंदिर है. मंदिर पूरे राज्य में प्रसिद्ध है. परिसर में प्राचीन शिवलिंग के अलावे मां पार्वती, हनुमान, नंदी आदि का मंदिर भी है. पूरा सावन मंदिर व आसपास के इलाके में हर-हर महादेव का उद्घोष होता रहता है. मंदिर के पीछे हरा-भरा जंगल है. चांडिल के पास हाई-वे से यह अनोखा व मनमोहक लगता है. यहां पहुंचने के लिए पक्की सड़क बनाई गई है. पिछले वर्ष ही पर्यटन विभाग की ओर से पूरे मंदिर का कायाकल्प कराया गया. लोग यहां मंदिर में पूजा अर्चना के पश्चात स्वर्णरेखा नदी के तट पर पिकनिक मनाते है.
Posted By : Guru Swarup Mishra