धनबाद : गांजा तस्करी को लेकर निरसा थाना में दर्ज केस में दो दिन के रिमांड पर लिए गए तीनों आरोपी नीरज तिवारी, रवि ठाकुर और सुनील पासी उर्फ सुनील चौधरी के साथ बंगाल निवासी राजीव राय को भी रविवार को जेल भेज दिया गया. सीआइडी के अनुसार राजीव भी नीरज तिवारी के साथ गाड़ी में गांजा रखवाने में शामिल था. राजीव ने निरसा थाना प्रभारी उमेश सिंह को चिरंजीत घोष का पता बताया था और गिरफ्तार करवाने में मदद भी की थी. जबकि चिरंजीत निर्दोष था.
आखिर किसने रची साजिश? : चिरंजीत घोष इसीएल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है. उसको फंसाने के लिए आखिर किसने इतनी बड़ी साजिश रची, इसका जवाब न तो पुलिस दे पायी और न ही अभी तक सीआइडी दे पायी है. इस केस में यह कहा जाता रहा है कि बंगाल के एक आइपीएस व एसडीपीओ की लड़ाई धनबाद में लड़ी गयी, जिसमें चिरंजीत घोष को जेल जाना पड़ा. चिरंजीत की पत्नी ने आरोप लगाया था कि एसडीपीओ की नजर उस पर थी, इसलिए उसने उसके पति को फंसाया. मगर सीआइडी जांच में अभी तक ऐसा को मामला सामने नहीं आया है.
विदित हो कि सीआइडी एडीजी अनिल पालटा ने शनिवार को यहां कहा था कि धनबाद के पूर्व एसएसपी किशोर कशौल से पूछताछ के बाद ही यह मामला क्लियर हो पाएगा. पर यह साफ है कि गांजा बरामदगी को लेकर पुलिस ने गलत प्राथमिकी दर्ज की. ऐसे में पुलिस पर आरोप लगभग तय हो चुका है. चार्जशीट में सारी बातें सामने आ जाएंगी.
गवाह ही बना मुजरिम : राजीव राय इस केस में सीआइडी का गवाह था. पूछताछ में उसी ने सीआइडी को बताया था कि नीरज तिवारी व गैंग ने उससे संपर्क कर गाजा रख चिरंजीत को फंसाया था. इसके बाद सीआइडी ने नीरज तिवारी व गैंग के सदस्यों को इस कांड में गिरफ्तार कर मामले को आगे बढ़ाया. सीआइडी के अनुसार राजीव ने उन्हें गुमराह किया. इस कांड में वह भी शामिल था. मगर वह बार-बार नीरज तिवारी व गैंग का नाम लेता रहा.