Nithari Case: यूपी में बहुचर्चित निठारी कांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिस टिप्पणी के साथ सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को बरी किया है, उसने सीबीआई को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है. कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि जांच एजेंसी ने सबूत तक नहीं जुटाए. घटनास्थल के बगल में स्थित मकान में मानव अंग व्यापार का संगठित गिरोह पकड़ा जा सकता था, लेकिन उस ओर भी दिमाग नहीं लगाया गया. आरोपी सुरेंद्र कोली के खुलासे के मुताबिक मृतक बच्चों की खोपड़ी, हड्डियों, कंकाल की बरामदगी को दर्ज करने के लिए जो प्रक्रिया अपनाने की जरूरत थी, उसे पूरा नहीं किया गया. ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि अगर सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह बेकसूर हैं तो करीब 18 बच्चों और एक युवती का कातिल कौन है? नोएडा में सेक्टर 31 के निठारी गांव स्थित डी-5 कोठी में अगर मासूमों के साथ दरिंदगी नहीं की गई तो उसके पास इतने कंकाल आदि क्यों मिले. 29 दिसंबर 2006 से 16 अक्तूबर 2023 तक कोर्ट का फैसला आने तक इस केस की खामियों को दूर करने का प्रयास क्यों नहीं किया गया. इस फैसले के बाद पीड़ित परिवार जहां खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं, वहीं उनका सवाल है कि अगर सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर निर्दोष हैं, तो बच्चों का कातिल कौन है?
खास बात है कि निठारी कांड के अन्य मामलों का खुलासा होने पर इस मामले को भी सीबीआई ने 11 जनवरी 2007 को अपने हाथ में ले लिया था. सीबीआई ने 26 जुलाई 2007 को अदालत में चार्जशीट पेश की थी. मामले में सीबीआई कोर्ट में 305 दिन सुनवाई हुई. इस दौरान कुल 38 गवाह पेश किए गए. इतनी लंबी सुनवाई और गवाहों के बावजूद वह सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को कोर्ट में कसूरवार साबित करने में नाकाम साबित हुई.
Also Read: निठारी कांड: हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को किया दोषमुक्त, फांसी के खिलाफ की थी अपील
निठारी निवासी राजवती को शादी के आठ साल बाद बच्चा हुआ था. 27 अप्रैल 2006 को वह घर के बाहर खेलने के लिए गया, लेकिन वापस नहीं लौटा. बाद में पता चला कि उसका कंकाल डी-5 बंगले के सामने बहने वाले नाले में मिला. हम पति पत्नी ने अब इंसाफ की उम्मीद छोड़ दी है. इसी तरह निठारी कांड का शिकार एक 10 वर्षीय बच्ची की मां ने इंसाफ की उम्मीद खत्म होने की बात कही. निठारी से 2006 में ही रामकिशन का तीन वर्षीय बेटा लापता हुआ. उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. हाईकोर्ट के फैसले के बाद डी-5 कोठी पर ईंट फेंकने की उनकी तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल हुई है.
इन सभी का कहना है कि पहले लगा था कि मासूमों से दरिंदगी करने वालों को सजा मिलेगी, लेकिन अब ऐसा नहीं लगता. आठ साल की बच्ची को खो चुके पप्पू लाल ने कहा कि इतने पैसे नहीं हैं हमारे पास जो इतने सालों तक लड़ सकें इंसाफ के लिए. इस कांड के पीड़ितों को दिए गए उत्तर प्रदेश सरकार के एक मकान में रह रहे दुर्गा प्रसाद ने कहा कि अदालत ने भले ही वहशियों को छोड़ दिया हो भगवान की बड़ी अदालत उन्हें नहीं छोड़ेगी.
नोएडा के सेक्टर-31 में निठारी की डी-5 कोठी का मालिक मोनिंदर सिंह पंधेर मूल रूप से पंजाब का रहने वाला है. उसने वर्ष 2000 में ये कोठी खरीदी थी. तीन साल उसका परिवार भी इस कोठी में रहा था. इसके बाद पंजाब शिफ्ट हो गया. मोनिंदर ने घर पर उत्तराखंड के अल्मोड़ा निवासी सुरेंद्र कोली को घरेलू काम के लिए रखा था. कुछ समय कोठी के आसपास 18 बच्चों और एक कॉल गर्ल के लापता होने का रहस्य उजागर हुआ. देश के कई राज्यों में इनकी तलाश और जांच पड़ताल के बाद पुलिस की टीम डी-5 कोठी तक पहुंची थी. इसके बाद 29 दिसंबर 2006 को कोठी के आगे नाले और पीछे खाली जगह में कई कंकाल मिले थे. बाद में सीबीआई ने इन हत्याओं में मोनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली को आरोपी बनाया. कई केस में हत्या की सजा भी गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट से सुनाई गई.
Also Read: शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की रोशनी में नहीं होंगे बांकेबिहारी के दर्शन, ग्रहण के कारण एक साल करना होगा इंतजार
-
निठारी कांड के आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को 16 अक्टूबर 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी करने का आदेश दिया. दोनों को मिली फांसी की सजा भी अदालत ने रद्द कर दी है.
-
सुरेंद्र कोली और पंढेर को पिंकी की हत्या और रेप की कोशिश में 24 जुलाई 2017 को सीबीआई कोर्ट ने दोषी ठहराया था. दोनों के खिलाफ हत्या के 16 में से आठवें मामले में कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था.
-
सीबीआई कोर्ट ने 22 जुलाई 2017 को मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को दोषी ठहराते हुए सजा के लिए 24 जुलाई की तारीख मुकर्रर की थी.
-
रिम्पा हलदर हत्या मामले में सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा को जनवरी 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्र कैद में तब्दील कर दिया था.
-
आरोपी सुरेंद्र कोली की फांसी पर पुनर्विचार याचिका अक्टूबर 2014 में सुप्रीम कोर्ट से खारिज कर दी गई थी. रिम्पा की हत्या मामले में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी. हालांकि अदालत ने सुरेंद्र कोली की फांसी की सज़ा पर अक्तूबर 29 तक के लिए रोक लगा दी थी.
-
सीबीआई की एक विशेष अदालत ने मई 2010 में सुरेंद्र कोली को सात साल की आरती की हत्या का दोषी करार दिया था. लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट पंढेर को सितंबर में ही बरी कर चुका था, जबकि कोली की सजा को बरकरार रखा गया था.
-
सीबीआई ने मई 2007 में अपनी चार्जशीट में पढ़ेर को 15 साल की रिम्पा हलदर नाम की बच्ची के किडनैप, रेप और हत्या के मामले में आरोपमुक्त कर दिया था. बाद में कोर्ट की फटकार के बाद सीबीआई ने पंढेर को इस मामले में सह-अभियुक्त बनाया. पंढेर और कोली को दोषी करार देते हुए सजा-ए-मौत सुनाई गई थी.
-
निठारी हत्याकांड के आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को जनवरी 2007 में पुलिस नार्को टेस्ट के लिए गांधीनगर ले कर पहुंची थी. मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली से पूछताछ के बाद सीबीआई कुछ ही दिनों में जांच करने के लिए नोएडा के निठारी गांव पहुंच गई. यहां से और भी हड्डियां बरामद की गईं थी.
-
जनवरी 2007 में दोनों को पेशी के लिए गाजियाबाद की एक कोर्ट में ले जाया गया था, जहां इनके साथ परिसर में ही मारपीट की गई थी. फरवरी से 20 अप्रैल के बीच दोनों आरोपियों को 14 दिन के लिए सीबीआई की कस्टडी में भेजा गया था. वहीं गुमशुदा लड़की के कंकाल की पहचान उसके कपड़ों से की गई थी.
-
12 नवंबर 2006 को एक लड़की कोठी में सफाई के लिए अपने घर से गई तो लेकिन वापस घर नहीं लौटी. परिवार के खूब तलाशने के बाद भी जब उसका कुछ पता नहीं चला तो मामले की शिकायत वह पुलिस थाने में करने पहुंचे लेकिन पुलिस ने उनकी रिपोर्ट ही दर्ज नहीं की. वहीं मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे बने नाले में नई कंकाल पाए गए थे. इस मामले में पुलिस ने 19 केस दर्ज किए थे.
-
29 दिसंबर 2006 : कोठी के पीछे और आगे नाले में बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे, मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली गिरफ्तार.
-
8 फरवरी 2007- कोली और पंढेर को 14 दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा गया.
-
मई 2007 – सीबीआई ने पंढेर को अपनी चार्जशीट में अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोपमुक्त कर दिया था. दो महीने बाद कोर्ट की फटकार के बाद सीबीआई ने उसे फिर सहअभियुक्त बनाया.
-
13 फरवरी 2009- विशेष अदालत ने पंढेर और कोली को 15 वर्षीय किशोरी के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई। यह पहला फैसला था.
-
3 सितंबर 2014- कोली के खिलाफ कोर्ट ने मौत का वारंट भी जारी किया.
-
4 सितंबर 2014 – कोली को डासना जेल से मेरठ जेल फांसी के लिए ट्रांसफर किया गया.
-
12 सितंबर 2014 – से पहले सुरेंद्र कोली को फांसी दी जानी थी. वकीलों के समूह डेथ पेनल्टी लिटिगेशन ग्रुप्स ने कोली को मृत्युदंड दिए जाने पर पुनर्विचार याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजा.
-
12 सितंबर 2014 – सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा पर अक्तूबर 29 तक के लिए रोक लगाई.
-
28 अक्तूबर 2014 – सुरेंद्र कोली की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को खारिज किया. 2014 में राष्ट्रपति ने भी दया याचिका रद्द कर दी.
-
28 जनवरी 2015 – हत्या मामले में कोली की फांसी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील किया.