चक्रधरपुर (पश्चिमी सिंहभूम), रवि मोहंती : स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत चक्रधरपुर शहर के रेलवे हरिजन बस्ती में एक शौचालय तक नहीं है. न ही क्षेत्र की सफाई नियमित रूप से हो रही है. जिससे यहां रहने वाले 1700 से अधिक लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं. यहां नालियों का जाल बिछा हुआ है, लेकिन नगर पर्षद या रेलवे प्रशासन नालियों की सफाई नहीं करते. जिस कारण इस क्षेत्र में संक्रमण फैलने का डर हमेशा बना रहता है. इसके अलावा पूरे क्षेत्र में बदबू से लोगों का जीना दूभर हो गया है.
नगर पर्षद दवं रेलवे प्रशासन से कई बार लगायी गुहार
नगर पर्षद द्वारा बस्ती में एक भी शौचालय का निर्माण नहीं किया गया है. वहीं, रेलवे क्षेत्र में हरिजन बस्ती रहने के बावजूद यहां के लोग पेजयल संकट से जूझ रहे हैं. बस्ती में दो चापाकल एवं एक सोलर जलमीनार है. उसमें से एक चापाकल पिछले पांच माह से खराब पड़ा हुआ है. गर्मी मौसम में एक सोलर जलमीनार ही 1700 लोगों का प्यास बुझा रही है. इधर, नालियों की सफाई नहीं होने से हलकी बारिश में ही नाली का गंदा पानी घरों में घुस जाता है. लोगों ने समस्याओं के निदान के लिए नगर पर्षद एवं रेलवे प्रशासन से कई बार गुहार लगाई, लेकिन समस्याओं का समाधान नहीं हो सका.
हरिजन बस्ती में शिलान्यास के बावजूद नहीं बनी नाली
हरिज बस्ती के निवासी गणेश तांती, रेखा मुखी, पुष्पा मुखी, उमांदरी मुखी, फूलतुड़ी मुखी, मिथला मुखी, छोटी मुखी, सीता मुखी समेत अन्य ने कहा कि नगर पर्षद कार्यालय की ओर से हरिजन बस्ती में नाली निर्माण के लिए शिलान्यास किया गया. लेकिन, सालों बीतने के बाद भी नाली का निर्माण नहीं हो सका. जिससे नाली का पानी घरों में घुस रहा है.
हरिजन बस्तीवासियों की जुबानी
स्थानीय छोटा मुखी का कहना है कि नालियों की नियमित सफाई नहीं होने के कारण यहां के लोग संक्रमण बीमारियों से ग्रसीत हो रहे है. साथ ही नालियों से निकलने बाली बदबू से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. नगर पर्षद और रेलवे प्रशासन ध्यान दे. वहीं, शोभा मुखी का कहना है कि बस्ती में शौचालय नहीं होने के कारण लोग खुलेआम शौच करने को मजबूर है. जिसमें महिलाएं असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. बस्ती में दो ब्रिटिश जमाने का शौचालय है. जो बेकार पड़ा हुआ है. दोनों शौचालय की मरम्मति जरूरी है.
हरिजन बस्ती में रहते हैं 1700 से अधिक लोग, नहीं ले रहा कोई सुध
हरिजन बस्ती के उमांद्री मुखी ने कहा इस हरिजन बस्ती में 1700 से अधिक लोग रहते हैं, लेकिन सुविधा शून्य है. एक भी शौचालन नहीं है. नालियों की सफाई नहीं होने के कारण गंदगी से बजबजा रही है. जिस कारण यहां के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं. वहीं, राधा मुखी का कहना है कि बस्ती में एक सोलर जलमीनार एवं दो चापाकल है. जिसमें से एक चापाकल पांच माह से खराब है. गर्मी में जलमीनार के भरोसे बस्तीवासी है. लोगों की बड़ी आबादी को देखते हुए बस्ती में दो जलमीनार लगाया जाए. सिंधु मुखी का कहना है कि नालियों की सफाई और शौचालन की व्यवस्था नहीं रहने के कारण यहां के लोग परेशान हैं. पूरे क्षेत्र में बदबू फैल गई है. घरों का दरवाजा या खिड़की खोलते ही घरों में मच्छर एवं मखियां भिनभिनाने लगती है. कई लोग बीमार भी हो गए हैं.
लोग वोट बहिष्कार का बना रहे हैं मन
इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता गणेश मुखी ने कहा कि चुनाव के सफल वोट मांगने एवं बड़े-बड़े वादे करने के लिए जनप्रतिनिधि हरिजन बस्ती पहुंचते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद हरिजन बस्ती को लोग भुल जाते हैं. अगर समय रहते हुए बस्ती की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो आने वाले चुनावों में हरिजन बस्ती के लोग वोट बहिष्कार करने का मन बना रहे हैं.
एक सप्ताह में सफाई कार्य शुरू नहीं हुआ, तो नगर पर्षद का होगा घेराव : सिंकदर जामुदा
मजदूर नेता सिंकदर जामुदा ने कहा कि नगर पर्षद केवल टैक्स वसूली करने में व्यस्त हैं. नागरिक सुविधा देने में सक्षम नहीं हैं. जिसका ताजा उदाहरण रेलवे हरिजन बस्ती में देख सकते हैं. यहां एक बार भी नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी या अन्य कर्मचारी कदम तक नहीं रखते हैं. जिससे आज इस क्षेत्र के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं. नालियों की सफाई, स्वच्छ पेयजल, शौचालन जैसी मूलभूत समस्याओं से लोग जूझ रहे हैं. एक सप्ताह के अंदर नालियों की सफाई कार्य शुरू नहीं हुआ, तो बस्तीवासियों के साथ मिलकर नगर पर्षद कार्यालय का घेराव किया जाएगा.
हरिजन बस्ती की हर समस्याओं का होगा निदान : विजय सिंह गागराई
समाजसेवी विजय सिंह गागराई ने कहा कि लोगों की शिकायत पर हरिजन बस्ती पहुंचे. जहां देखा कि यहां के लोग मजबूरन गंदगियों के बीच रह रहे हैं. हरिजन बस्ती नगर पर्षद के अंतर्गत आता है. जिस कारण नगर पर्षद को सफाई आदि करने का जिम्मा है, लेकिन नगर पर्षद का ध्यान नहीं है. इस मामले को लेकर उपायुक्त से मुलाकात किया जाएगा, ताकि हरिजन बस्ती में उत्पन्न समस्याओं का समाधान हो सके.