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70 माह पहले कागज पर ओडीएफ घोषित हुआ धनबाद, आज भी खुले में शौच जा रहे लोग

धनबाद जिला को पहली बार दो अक्टूबर 2017 को ओडीएफ घोषित किया गया था. सुलभ शौचालय अपने उद्घाटन के पहले ही खंडहर में तब्दील हो रहा है. शौचालय में ताला लगा रहता है, आम आदमी इसका उपयोग नहीं कर सकते. जनता के पैसों से बना शौचालय अब जनता को ही मुंह चिढ़ा रहा है.

लगभग 70 माह पहले धनबाद जिला खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित हुआ. अब इस जिला को ओडीएफ प्लस घोषित करने की तैयारी चल रही है. लेकिन, आज भी शहर से लेकर गांव तक में कई स्थानों पर लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. कई स्थानों पर ओडीएफ के नाम पर लाखों का वारा-न्यारा हो गया. कई स्थानों पर शौचालय बने भी हैं, तो आधा-अधूरा. इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है. प्रभात खबर टीम ने जिले के विभिन्न प्रखंडों में ओडीएफ के हालात का जायजा लिया. पेश है कुछ स्थानों पर ओडीएफ की स्थिति पर रिपोर्ट.

10 वर्ष से बंद पड़ा है लोयाबाद में लाखों की लागत से बना शौचालय

नगर निगम वार्ड नंबर आठ के लोयाबाद में लाखों की लागत से बना शौचालय बंद पड़ा है. लगभग 10 वर्ष पहले शौचालय का निर्माण कराया गया था. इसका उद्घाटन आज तक नहीं हो पाया है. सुलभ शौचालय अपने उद्घाटन के पहले ही खंडहर में तब्दील हो रहा है. शौचालय में ताला लगा रहता है, आम आदमी इसका उपयोग नहीं कर सकते. जनता के पैसों से बना शौचालय अब जनता को ही मुंह चिढ़ा रहा है. जैसे शौचालय को सिर्फ कमीशन के लिए ही बनाया गया हो. शौचालय की दीवारों पर दरार पड़ चुकी है, शौचालय के लिए खरीदी गयी पानी की टंकी फट गयी है. कुछ वर्ष पूर्व इसे बिना उद्घाटन के शुभम इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन द्वारा शुरू किया गया था. परंतु कुछ दिन चलने के बाद ही इसे बंद कर दिया गया. लोयाबाद की बड़ी आबादी के बीच एक शौचालय का निर्माण हुआ है, वह भी जिम्मेवारों की लापरवाही के कारण चालू नहीं हो सका.

टुंडी : बकरी बांधने के लिए होता है शौचालय का इस्तेमाल

स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत के बाद अब तक टुंडी प्रखंड में लगभग 12 हजार शौचालय का निर्माण कराया जा चुका है. पेयजल व स्वच्छता विभाग की देख-रेख में मुखिया व जलसहिया द्वारा शौचालय बनवाया गया था. वित्तीय वर्ष 2022-23 में कुछ पंचायतों में शौचालय बने. एसबीएम संत मंडल के अनुसार राजाभिठा व कदेया पंचायत में क्रमशः 12 व 18 शौचालय बनाये गये.

क्या है स्थिति  

प्रखंड में बने लगभग 12 हजार शौचालय की स्थिति खराब है. मुश्किल से एक भी चालू हालत में नहीं है. किसी में बकरी बांधकर रखा गया है, तो किसी में कोयला. बाकी में कई की छत उड़ गयी है, तो कई का कभी भी उपयोग नहीं हुआ. टुंडी प्रखंड मुख्यालय में पुरुष व महिलाओं के लिए दो अलग अलग सामुदायिक शौचालय वित्तीय वर्ष 2017-18 में बनाये गये, जिसे आज तक चालू नहीं किया गया. बनने के बाद से अब तक ताला बंद है. कुसमाटांड़ के छुटू सोरेन ने बताया कि कौन कंपनी बनाया पता नहीं. जब बनाया उसके बाद आंधी पानी में एस्बेस्टस की छत उड़ गयी. हमलोग उसका उपयोग नहीं किये. ओडीएफ घोषित टुंडी में शौचालय का हाल जानने के लिए इससे बेहतर उदाहरण और क्या हो सकता है. जब एक सहायक अध्यापक की शौच के बाद जोरिया से लौटने के क्रम में टुंडी के बरियारपुर में बिजली करंट लगने से मौत हो गयी.

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चिरकुंडा नप क्षेत्र में 3200 शौचालय, फिर भी खुले में जा रहे लोग

चिरकुंडा नप क्षेत्र ओडीएफ प्लस क्षेत्र घोषित किया जा चुका है. बावजूद अभी भी लोग खुले में शौच के लिए जा रहे हैं. वर्ष 2008 में नप के गठन के बाद लगभग 3200 घरों में व्यक्तिगत शौचालय का निर्माण नप द्वारा करवाया गया. साथ ही सात स्थानों पर सामुदायिक शौचालय का निर्माण किया गया. इसके बाद चिरकुंडा नप क्षेत्र को ओडीएफ घोषित कर दिया गया. ओडीएफ घोषित होने के बावजूद कुछ स्थानों पर लोग अभी भी खुले में शौच के लिए जाते हैं. उसे रोकने को लेकर नप द्वारा काफी प्रयास किया. लेकिन, पूरी तरह से सफलता नहीं मिल पा रही है. प्रतिवर्ष सर्वे के लिए टीम आती है और कागजी प्रक्रिया पूरा कर चली जाती है. नप के कुछ वार्ड को छोड़ दिया जाये तो अधिकांश वार्ड में कुछ न कुछ लोग खुले में शौच के लिए जाते ही हैं. सामुदायिक शौचालय में भी मुफ्त सुविधा उपलब्ध है. तीन शौचालय में एक रेलवे स्टेशन के समीप है, जो बोरिंग के (पानी के अभाव) अभाव के कारण बंद पड़ा हुआ है. जबकि वार्ड 10 स्थित पंपू तालाब के पास बना शौचालय क्षतिग्रस्त हो गया है.

चिरकुंडा नप क्षेत्र ओडीएफ क्षेत्र घोषित हो चुका है. कुछ लोग यदि खुले में शौच के लिए जाते हैं, तो उन्हें भी नप द्वारा समय-समय पर जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है.

-मुकेश निरंजन, सिटी मैनेजर

बरवाअड्डा : 75 फीसदी ग्रामीण खुले में जाते हैं शौच

बरवाअड्डा क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर लोग खुले में ही शौच करते है. तिलैया, मरिचो, बिराजपुर, आसनबनी वन, कुलबेड़ा, खरनी, नगरकियारी, उदयपुर , जयनगर, पंडुकी आदि पंचायतों में ग्रामीण खुले में शौच करते मिल जायेंगे. इन पंचायतों में अधिकतर पंचायतों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है. स्वचछ भारत अभियान के तहत विभिन्न पंचायतों में घर, घर बने शौचालयों का इस्तेमाल नहीं हो रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि शौचालय बहुत छोटे आकार का है. इसमें पानी भी नहीं है. इनका इस्तेमाल संभव नहीं है. लोग इन शौचालयों में बकरी व उपला रखते है. बहुत सारे शौचालय जीर्ण, शीर्ण हो गये हैं. कई तो ध्वस्त हो गये हैं. घरों में शौचालय नहीं होने के कारण आधी आबादी खुले में शौच करने जाने के लिए मजबूर हैं.

हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ संपन्न लोग अपने, अपने घरों में शौचालय बना लिया है. लोग इसका इस्तेमाल भी कर रहे हैं. वहीं पानी की कमी के कारण ग्रामीणों को शौचालय जाने में शौच करने के लिए परेशानी हो रही है. क्षेत्र के स्कूलों में शौचालय तो बने हैं. लेकिन बहुत कम स्कूलों में शौचालय का उपयोग छात्र, छात्राएं करते है. स्कूलों में बने शौचालय में पानी की घोर किल्लत है. शौचालयों में रनिंग वाटर नहीं रहने के कारण छात्र, छात्राएं खुले में ही शौच जाने के लिए मजबूर हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 75 प्रतिशत लोग खुले ही शौच करने जाते है. सबसे विकट स्थित बरवाअड्डा शहरी क्षेत्र की है. बरवाअड्डा में एक भी सुलभ शौचालय नहीं है. इसके कारण ट्रक चालक, खलासी व स्थानीय लोग जोरिया व तालाब किनारे खुले शौच करने जाते है.

मुखिया ही शौचालय निर्माण की राशि डकार जायें, तो कैसे ओडीएफ बनेगी पंचायत

गोविंदपुर 15 नवंबर 2018 को गोविंदपुर प्रखंड ओडीएफ घोषित हो गया था, परंतु विडंबना यह है कि आज भी दर्जनों गांव के सैकड़ों लोग खुले में शौच को जाने को विवश है. इसका नजारा प्रत्येक दिन सुबह और शाम गांव में देखा जा सकता है. पुरुष तो खुले में शौच कर ही रहे हैं. शौचालय के अभाव में ग्रामीण महिलाएं भी खुले में शौच जाने को विवश है. गोविंदपुर प्रखंड के 39 ग्राम पंचायतों में करीब 15 हजार शौचालय बने थे. 595 शौचालय बनाने की स्वीकृति दी है. मरिचो पंचायत को 72 लाख रुपया शौचालय निर्माण के लिए दिये गये थे. इनमें 49 लाख के शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है. विभाग ने पंचायत के तत्कालीन मुखिया नारायण मुर्मू के खिलाफ सर्टिफिकेट केस भी दायर किया है. परंतु अब तक ना तो शौचालयों का निर्माण पूरा किया गया है और ना ही राशि वापस की गयी है.

अब इन पर प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई शुरू हो रही है. इसी तरह महुबनी दो पंचायत के तत्कालीन मुखिया लालमोहन महतो पर 24. 36 लाख रुपए का बकाया है. परंतु उन्होंने अब तक ना तो राशि जमा की है, और ना ही शौचालयों का निर्माण कार्य पूर्ण किया है. इस स्थिति में उन पर भी प्राथमिकी दर्ज कराने की कार्रवाई चल रही है . इस संबंध में संपर्क करने पर शौचालय निर्माण के समन्वयक हरि महतो ने बताया कि जिन लोगों को अब तक शौचालय नहीं मिला है, वह ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अब तक 225 ऑनलाइन आवेदन प्राप्त हुए हैं. इनका निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया है.

जिन-जिन पंचायतों को शौचालय आवंटन के लिए राशि मिली है, वहां के मुखिया को शीघ्र ही निर्माण कार्य पूरा करने के लिए कहा गया है. मरिचो एवं महुबनी 2 पंचायत के पूर्व मुखिया बार-बार निर्देश के बाद भी राशि नहीं लौटा रहे हैं. उन पर शीघ्र ही प्राथमिकी दर्ज की जाएगी.

-संतोष कुमार, बीडीओ, गोविंदपुर

निरसा : शौचालय में रखा जाता है कोयला

निरसा, केलियासोल एवं एग्यारकुंड प्रखंड को कागज पर तो ओडीएफ घोषित कर दिया गया है. लेकिन, इसकी सच्चाई कुछ अलग ही है. निरसा प्रखंड में करीब 10 हजार 800, केलियासोल एवं एग्यारकुंड प्रखंड में 8- 8 हजार शौचालय का निर्माण करवाया गया है. करीब 60 से 70 फीसदी शौचालय इन दिनों कोयला, लकड़ी व गोयठा रखने का घर बन गया है. इसके अलावा दर्जनों की संख्या में शौचालय क्षतिग्रस्त भी हो गये हैं.

ग्रामीण क्षेत्र में लोग आज भी खुले में शौच जाते हैं. ओडीएफ की घोषणा केवल कागज पर ही हुई है. वर्ष 2018 -19 में पूरे निरसा प्रखंड के सभी पंचायत स्वच्छ भारत मिशन-01 के तहत ओडीएफ घोषित हुआ था. पंचायत में 2021- 22 स्वच्छ भारत मिशन 2 के तहत लाभुक ऑन लाइन शौचालय के लिए अप्लाई करते हैं. अभी तक लगभग पूरे प्रखंड में 10 हजार आठ सौ शौचालय निर्माण हुआ है. सामूहिक शौचालय निरसा प्रखंड कार्यालय परिसर, माड़मा पंचायत और निरसा दक्षिण पंचायत में बना है. निरसा दक्षिण पंचायत में शौचालय व सामूहिक शौचालय काफी दयनीय स्थिति में है.

बाघमारा : पानी के अभाव में शौचालय का नहीं हो रहा इस्तेमाल

नदखुरकी पंचायत के बरधौड़ा व खिलान धौड़ा में 200 घरों में शौचालय है. आबादी करीब 900 है. दोनों मजदूर धौड़ा को ओडीएफ घोषित किया गया है. लेकिन, पानी के अभाव में लोग शौचालय का उपयोग कम कर रहे हैं. इस वजह से अधिकतर शौचालय बेकार पड़े हुए हैं. लोगों का कहना है कि पीने का पानी नहीं मिल पाता है, तो शौचालय के लिए पानी कहां से लायेंगे. धौड़ा के बगल में ही पोखरिया है. वहीं लोग नाहना-धोना करते हैं. जल सहिया रजनी देवी का कहना है कि प्रायः लोगों के घर में शौचालय है. लेकिन पानी की किल्लत के कारण लोग शौचालय का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. मुखिया गायत्री देवी का कहना है कि दोनों धौड़ा कोलबेयरिंग क्षेत्र में है. बगल में नाला है. गर्मी में नाला सूख गया है. इसके चलते पानी की समस्या है. बरसात में यह समस्या कम हो जाती है. बीसीसीएल प्रबंधन द्वारा पीने का पानी के लिए पाइप लाइन दिया है. लेकिन पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिलने के कारण अधिकतर लोग शौचालय का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. बाकी अन्य वार्डों में ऐसी स्थिति नहीं है. अधिकतर लोग शौचालय का इस्तेमाल करते हैं.

इनपुट : अरिंदम चक्रवर्ती, दिलीप दीपक, हीरालाल पांडेय, शंकर साव, कुणाल चौरसिया, सुरेश पासवान.


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