पश्चिम बंगाल में अच्छे बुनियादी ढांचे वाले सरकारी अस्पतालों (Government hospitals) की कोई कमी नहीं है. इन अस्पतालों में कई निजी अस्पतालों से बेहतर सेवाएं दी जाती हैं. इसके बावजूद ज्यादातर मरीज ऑर्थोपेडिक सर्जरी या किसी सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद ऑर्थोपेडिक सर्जरी के लिए निजी अस्पतालों में जाते हैं और स्वास्थ्य साथी कार्ड पर सर्जरी करवाते हैं. वहीं, स्वास्थ्य विभाग को सूचना मिल रही है कि, स्वास्थ्य साथी योजना का लाभ उठाकर हड्डी की आम बीमारी के शिकार मरीज भी निजी अस्पतालों में सर्जरी करा रहे हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य साथी से संबंधित नियमों में बदलाव करने की है.
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी गाइडलाइंस के अनुसार स्वास्थ्य साथी योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में ऑर्थोपेडिक सर्जरी की संख्या बढ़ाने की पहल के साथ निजी अस्पतालों में आपातकालीन इलाज के नियमों में बदलाव किया गया है. नये निर्देश के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति सड़क हादसे में घायल होता है, तो दुर्घटना के 48 घंटे के भीतर मरीज को सरकारी अस्पताल पहुंचाना होगा. दुर्घटना से संबंधित आधिकारिक दस्तावेज प्रस्तुत किये जाने के बाद निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य साथी कार्ड पर ऑपरेशन की सुविधा मिलेगी.
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यानी दुर्घटना में घायल व्यक्ति को पहले सरकारी अस्पताल में दिखाना होगा. इसके बाद मेडिकल सर्टिफिकेट प्राप्त करने के बाद निजी अस्पताल इलाज कराया जा सकेगा. गौरतलब है कि जिलास्तर पर लगभग सभी सरकारी अस्पतालों में आर्थोपेडिक्स या सर्जरी के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा है. सरकारी निर्देश में कहा गया है कि संबंधित निजी अस्पताल व नर्सिंग होम की ओर से सरकारी पोर्टल पर पहले से पंजीकृत ऑर्थोपेडिक सर्जन के अलावा कोई भी दूसरा चिकित्सक ऑपरेशन नहीं कर सकेगा, क्योंकि यदि सूची से बाहर का सर्जन सर्जरी करता, तो मरीज को स्वास्थ्य साथी योजना का लाभ नहीं मिलेगा.