राजस्थान के कोटा में ‘प्रतियोगी परीक्षाओं में सस्ती शिक्षा’ के विषय पर टेडेक्स प्लेटफार्म की ओर से आयोजित कार्यक्रम एजुकेशन 2.0 में बिहार ने अपना डंका बजाया है. प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल करने के लिए जुनूनी होना बेहद आवश्यक है. जब तक छात्र जुनून को अपना प्रोफेशन या प्रोफेशन को जुनून नहीं बनाता, तब तक सफलता नहीं मिल पाती. जुनून ही सफलता का मूल मंत्र और हथियार है.
बिहार के विभिन्न जिलों में गरीब छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए चैरिटी के माध्यम से सस्ती कोचिंग सुविधा मुहैया कराने वाले मेंटर्स एडुवर्स के निदेशक और भौतिक विज्ञान के शिक्षक आनंद कुमार जायसवाल ने कहा कि मैंने अपने जीवन में कई ऐसे स्टूडेंट को देखा जो स्कूल में काफी प्रतिभाशाली थे, लेकिन वे आर्थिक रूप से इतने सबल नहीं थे कि महंगी प्रतियोगी परीक्षा की तैयार कर सकें. इसलिए मैंने प्रतियोगी परीक्षा में अफोर्डेबल एजुकेशन के लिए यूनिक आईडिया का अख्तियार किया. यहां अफोर्डेबल के मतलब क्वालिटी से समझौता नहीं है. मैं शिक्षकों की गुणवत्ता से समझौता नहीं करता. इसी तरह संसाधन के क्वालिटी से भी कोई समझौता नहीं करता. हम जरूरतमंदों और होनहार विद्यार्थियों को मुफ्त में शिक्षा मुहैया कराते हैं.
उन्होंने कहा कि पिछले 11 साल के आंत्रप्रन्योरशिप के सफर में हमने 50 हजार विद्यार्थियों को इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल करने में सहायता प्रदान किया है. इस वजह से आज बिहार के गरीब छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सस्ती दरों या मुफ्त में शिक्षा मुहैया कराई जा रही है. हाल में मेरे संस्थान के स्कॉलरशिप टेस्ट में एक लाख बच्चे शामिल हुए. बता दें टेडेक्स एक गैर-मुनाफा वाला वैश्विक मंच है, जहां विभिन्न सेक्टर में महारत हासिल या ऊंचाई छू चुके लोगों को अपने जीवन यात्रा, सुझाव और विचार साझा करने के लिए बुलाया जाता है.
उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि जुनून को ही अपना प्रोफेशन बनाएं या प्रोफेशन को अपना जुनून बना लें. बुलंदी तक पहुंचने के हमारे पास यही दो रास्ते हैं. मुझे भौतिकी अच्छा लगता था तो भौतिकी पढ़ा और फिर भौतिकी का ही शिक्षक बन गया और बाद में उसे ही प्रोफेशन बना लिया. ऑल इंडिया टॉपर मेरा स्टूडेंट रह चुका है. शिक्षा के माध्यम से जीवन बदला जा सकता है.