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दुर्गापुर के वारिया और माया बाजार में जेसीबी के सामने खड़े हो गये लोग, भाजपा विधायक से कहा- Go Back

दिनेश यादव सहित तृणमूल नेताओं ने कहा कि रेल प्रशासन को अतिक्रमण हटाने के पहले बस्ती के लोगों को पुनर्वास देना होगा. राज्य की सीएम जनता के साथ खड़ी हैं. उन्होंने कहा कि रेल के विकास कार्य से उन्हें आपत्ति नहीं है. लेकिन बस्ती हटाने के पहले लोगों को पुनर्वासन देना होगा.

पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर के वारिया और माया बाजार सहित कई इलाकों की बस्तियों को खाली कराने आये रेल अधिकारियों का लोगों ने जमकर विरोध जताया. मंगलवार को अतिक्रमण हटाने गये रेल अधिकारियों और रेल पुलिस जवानों को लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ा. घंटे भर से अधिक समय तक विरोध चलने के बाद उन्हें बैरंग लौट जाना पड़ा. मंगलवार सुबह रैल अधिकारी जेसीबी लेकर बस्ती को हटाने पहुंचे थे. उनके साथ पुलिस भी थी.

जैसे जेसीबी आगे बढ़ा, बस्ती के सैकड़ों लोग, जिसमें महिला-पुरुष शामिल थे, वहां पहुंच गये. जेसीबी के सामने तनकर खड़े हो गये और पुनर्वास की मांग करने लगे. घटना की जानकारी पाकर तृणमूल के पूर्व पार्षद लोकनाथ दास, तृणमूल हिंदी प्रकोष्ठ के तीन नंबर ब्लॉक अध्यक्ष दिनेश यादव, एससी सेल के ब्लॉक अध्यक्ष सिकंदर मल्लिक, युवा संगठन अध्यक्ष इमरान खान सहित सैकड़ों कार्यकर्ता वहां पहुंचे और बस्ती वालों की पुनर्वास की मांग पर अड़ गये. माहौल बिगड़ता देख प्रशासन ने आंदोलन कर रहे कुछ नेताओं को हिरासत में ले लिया.

दिनेश यादव सहित तृणमूल नेताओं ने कहा कि रेल प्रशासन को अतिक्रमण हटाने के पहले बस्ती के लोगों को पुनर्वास देना होगा. राज्य की सीएम जनता के साथ खड़ी हैं. उन्होंने कहा कि रेल के विकास कार्य से उन्हें आपत्ति नहीं है. लेकिन बस्ती हटाने के पहले लोगों को पुनर्वासन देना होगा.

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भाजपा विधायक के खिलाफ लगे गौ बैक के नारे

हंगामे की खबर पाकर दुर्गापुर पश्चिम के भाजपा विधायक लखन घुरई मौके पर पहुंचे लेकिन उन्हें बस्ती के लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा. उनके खिलाफ लोगों ने गो बैक के नारे लगाये. दिनेश यादव ने भाजपा विधायक पर निशाना साधते हुए कहा कि रेल केंद्र सरकार के अधीन है.

केंद्र में बैठी मोदी सरकार एक ओर आवास योजना देकर लोगों को राहत देने का ढोंग करती है, वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार के नुमाइंदे बस्ती उजाड़ने पहुंचे हैं. पूर्व पार्षद लोकनाथ दास ने बताया कि इसके पहले भी तृणमूल कांग्रेस की ओर से पुनर्वासन की मांग को लेकर रेल प्रशासन को आवेदन किया गया था. लेकिन कुछ नहीं हुआ.

भाजपा विधायक ने राज्य सरकार को घेरा

मंगलवार बस्ती के एवं तृणमूल कार्यकर्ताओं के विरोध करने पर भाजपा विधायक लखन घुरई ने कहा कि विरोध करने वाले स्थानीय लोग नहीं बल्कि तृणमूल कांग्रेस के गुंडे एवं दलाल हैं, जो अतिक्रमण के नाम पर राजनीति कर रहे हैं. बस्ती के लोगों को पुनर्वासन के लिए भाजपा सांसद एसएस अहलूवालिया एवं वह खुद केंद्र सरकार को कई बार आवेदन कर चुके हैं. बस्ती के लोगों की पुनर्वास की मांग सही है.

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उन्होंने कहा कि बस्ती के लोगों को जमीन राज्य सरकार को मुहैया करानी चाहिए. पुनर्वासन के तौर पर केंद्र सरकार हर अतिक्रमण हुए हर नगरिक को आवास बनाने का जिम्मा लेती है. लेकिन स्थानीय तृणमूल के कुछ दलाल प्रवृत्ति के लोग रेल के अभियान को रोकने का प्रयास कर रहे हैं. रेलवे के विकास कार्य को इस तरह से रोकना उचित नहीं है.

जारी रहेगा अतिक्रमण हटाओ अभियान : रेल प्रशासन

मंगलवार रेल प्रशासन द्वारा अतिक्रमण के खिलाफ लोगों के विरोध को देख रेल प्रशासन ने फिलहाल अतिक्रमण कार्य को स्थगित कर दिया है. इस बारे में आसनसोल रेल डिवीजन के जनसंपर्क विभाग अधिकारी एस मंडल ने कहा कि लोगों का विरोध करना उचित नहीं है. कॉरिडोर निर्माण के लिए बस्ती हटाना जरूरी है. रेलवे प्रशासन का अतिक्रमण अभियान सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत किया जा रहा है. इस तरीके के आंदोलन से रेल प्रशासन का अभियान बंद नहीं किया जा सकता है. अतिक्रमण अभियान जल्द ही दोबारा शुरू किया जायेगा.

हजारों लोगों को आशियाना छिनने का सता रह डर

गौरतलब है कि कुछ वर्षों से दुर्गापुर एवं वारिया स्टेशन के बीच हजारों की संख्या में रेल की जमीन पर बनीं बस्ती को हटाने का रेल प्रशासन द्वारा नोटिस जारी किया जा चुका है. जिससे लोगों में दहशत है. बस्ती के लोगों को अपना घर छीन जाने का भय सताने लगा है. उनके पुनर्वास की मांग को लेकर तृणमूल का आंदोलन भी जारी है. पहले भी तृणमूल के पूर्व विधायक विश्वनाथ पडियाल ने इनके पुनर्वास की मांग की थी, जो अब भी जारी है.

सूत्रों के मुताबिक, दुर्गापुर के विपरीत बर्न स्टैंड के कपड़ा बाजार पट्टी, देशबंधु नगर, वारिया, माया बाजार ,विजय नगर, कोल डिपो, पाद्द पुकुर सहित कई बस्तियों में हजारों की संख्या में हिंदी भाषी लोग रहते हैं,जो गरीबी रेखा के नीचे बसर करते हैं. उनका कहना है कि उन्हें पहले पुनर्वास दिया जाय, फिर बस्ती को हटाया जाये.

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