Prabhat Khabar Special: हाथी, बनसुअर, भालु, नीलगाय, बंदर और अब तेंदुए के आतंक से गढ़वा जिले के लोग डरे और सहमे हैं. हाथी, भालु और तेंदुए जैसे जंगली जानवर जहां लोगों की जान ले रहे हैं, वहीं नीलगाय, बंदर आदि फसलों को बर्बाद कर रहे हैं. राज्य गठन के 22 साल के दौरान हाथी, भालू और तेंदुए के हमले में गढ़वा जिले में 28 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 55 लोग घायल हुएं हैं. वहीं, जंगली जानवरों के हमले में मरने एवं घायल होनेवाले पालतू पशुओं की संख्या करीब 100 है.
गढ़वा में रबी फसल का बुरा हाल
गढ़वा जिले में सघन वन मुख्य रूप से दक्षिणी क्षेत्र में ही है. दक्षिणी क्षेत्र में जहां हाथी, बनसुअर, भालु और तेंदुए के हमले बढ़े हैं. वहीं, उत्तरी क्षेत्र में बंदर एवं नीलगाय आतंक मचाये हुए है. इस बार यह पहला मौका है जब जिले के उत्तरी क्षेत्र में भी हाथियों का झुंड प्रवेश किया है. जंगली जानवरों से गढ़वा जिले के लोगों को कितना नुकसान हो रहा है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उत्तरी एवं दक्षिणी क्षेत्र के 10 प्रतिशत किसान भी अब रबी फसलों का उत्पादन नहीं कर रहे हैं. इसका मुख्य कारण नीलगाय, बंदर और हाथियों द्वारा फसलों को बर्बाद किया जाना है. उत्तरी क्षेत्र में धान की फसल लगाने के बाद लोग खेतों को परती छोड़ रहे हैं. इससे मसूर, आलू, सरसों, चना, गेहूं आदि फसलें बुरी तरह से प्रभावित हो गयी है.
हाथी बदल रहे हैं अपना मार्ग
गढ़वा जिला कभी भी हाथियों के आवागमन का रास्ता नहीं रहा है, लेकिन हाल के पांच-छह सालों से हाथियों ने इस जिले का रूख किया है. पहले दक्षिणी क्षेत्र के जंगल जिसमें रमकंडा, रंका, चिनियां, भंडरिया आदि प्रखंड शामिल है को हाथियों ने अपना मार्ग बनाया, लेकिन अब हाथियों का झुंड उत्तरी क्षेत्र की ओर रूख कर चुका है. इस साल उत्तरी क्षेत्र में कोयल नदी पार कर मझिआंव, मेराल, गढ़वा प्रखंड क्षेत्र में फसलों को बर्बाद करते हुए हाथियों का झुंड दक्षिणी क्षेत्र की ओर गया है.
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हाथियों के मार्ग बदलने पर वन विभाग के पदाधिकारी आश्चर्यचकित
हाथियों के इस प्रकार से मार्ग बदलने पर वन विभाग के पदाधिकारी भी आश्चर्यचकित हैं. उनका कहना है कि हाथी पीढ़ी दर पीढ़ी अपने पूर्वजों के बनाये रास्ते पर ही चलते हैं, लेकिन इस प्रकार रास्ता बदलने की वजह आश्चर्य करनेवाली है. साल 2001 के बाद से हाथियों की ओर से 270 कच्चे और पक्के मकानों को क्षतिग्रस्त करने एवं ढहाने जैसी घटना को अंजाम दिया गया है, जबकि जिले के दक्षिणी क्षेत्र में 1143 लोगों को फसलों की क्षति होने तथा 210 लोगों का पशुओं द्वारा अनाज बरबाद होने पर क्षतिपूर्ति राशि दी गयी है.
दिया गया मुआवजा
पिछले तीन साल के आंकड़ों पर गौर करें, तो वर्ष 2019-20 में दक्षिणी वन प्रमंडल की ओर से 42,06,154 रुपये का मुआवजा किसानों को जंगली जानवरों से हुई क्षतिपूर्ति के आलोक में दिया गया है, जबकि साल 2020-21 में 26,52,800 तथा साल 2021-22 में 27,50,000 रुपये का मुआवजा वितरित किया गया है. जबकि जंगली जानवरों के हमले में हुई मौत के आलोक में 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है.
रिपोर्ट : पीयूष तिवारी, गढ़वा.