Pravasi Bharatiya Divas 2024, : प्रवासी भारतीय दिवस (NRI Day 2024) सम्मेलन भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है.यह विदेशों में रहने वाले भारतीयों के साथ जुड़ने और सम्पर्क स्थापित करने तथा प्रवासी भारतीयों को एक-दूसरे के साथ बातचीत करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है.
जानें प्रवासी भारतीय दिवस का इतिहास
वर्ष 1915 में 9 जनवरी को भारत के राष्ट्रपिता के नाम जाने जाने वाले महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रिका से भारत आए थे और संवतंत्रता संग्राम की शुरुआत की गई. उन्होंने देश को अजाद करने के लिए कई तरह के आंदलनों की शुरुआत की. इस दिन प्रावासी भारतीय दिवस सम्मेलन का आयोजन किया जाता है. प्रवासी भारतीय दिवस की स्थापना की घोषणा 2002 में उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा की गई थी. इस दिवस को मनाने कि घोषणा उन्होंने 8 जनवरी को नई दिल्ली में स्थित विज्ञान भवन में की गई थी.
सबसे पहले जानें- कौन हैं प्रवासी भारतीय
प्रवासी भारतीय उन लोगों को कहा जाता है जो भारत छोड़ कर दूसरे देशों में रह रहे है.विदेश मंत्रायल के अनुसार प्रवासी भारतीय को तीन भागों में बांटा गया है-
1- NRI (नॉन रेजिडेंट इंडियन): ऐसे भारतीय जो रोजगार या शिक्षा के लिए दूसरे देशों में जाते हैं और बाद में वहीं बस जाते हैं उसे एनआरआई कहा जाता है.
2- PIO (पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन): इनमें वो लोग शामिल हैं जो या तो भारत में पैदा हुए हो या उनका परिवार का नाता भारत से हो.
3- OCI (ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया): 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद भारत के नागरिक रहे लोग जो अब विदेश में बस गए हैं उन्हें इस कैटेगरी में डाला जाता है.
कितने ताकतवर हैं प्रवासी भारतीय?
दुनियाभर में प्रवासी भारतीयों का काफी दबदबा है.70 से ज्यादा भारतीय मूल के नेता हैं, जिन्होंने दुनिया के अलग-अलग देशों के सर्वोच्च पदों को हासिल किया है.सबसे ज्यादा नौ बार मॉरिशस में भारतीय मूल के नेताओं ने राष्ट्रपति या फिर प्रधानमंत्री का पद संभाला है.इनमें सर शिवसागर रामगुलाम सबसे पहले हैं.शिवसागर 14 साल तक मॉरिशस के प्रधानमंत्री रहे.इनके पिता भारतीय थे और कुशवाहा समाज से आते थे.1968 से 1982 तक शिवसागर मॉरिशस के प्रधानमंत्री रहे.
इनके अलावा अनिरुद्ध जगन्नाथ पहले प्रधानमंत्री और बाद में राष्ट्रपति रहे.वीरासामी रिंगादू, कसम उतीम, नवीन रामगुलाम कुशवाहा, कैलाश पुरयाग, अमीना गुरीब-फकीम, प्रविंद जगन्नाथ, पृथ्वीराज सिंह रूपुन भी मॉरिशस के प्रधानमंत्री और फिर राष्ट्रपति रह चुके हैं.इनके अलावा 40 देशों में 350 से ज्यादा सांसद भारतीय मूल के हैं.
प्रवासी भारतीय दिवस का अर्थव्यवस्था पर क्या है असर?
प्रवासी भारतीय दिवस ने विदेशी निवेश और भारतीय वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के जरिए काफी मदद की है.साथ ही यह भारतीय कर्मियों की वापसी को प्रोत्साहित करता है.पीबीडी ऐसा मंच है, जिसके जरिए भारत सरकार दुनियाभर में फैले भारतीय समुदाय को देश में हुए विकास की जानकारी देती है.इसके जरिए देश की क्षमताओं को प्रवासियों के सामने रखा जाता है.