राज्य चुनाव आयोग ने ग्रामीण इलाकों में मतदान केंद्रों को तैयार करने के लिए अधिसूचना जारी कर पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. हालांकि, चुनाव की तारीखों की घोषणा अभी बाकी है. अधिसूचना में जिलाधिकारियों से प्रस्तावित बूथों की सूची 31 मार्च तक भेजने को कहा है. इसके आधार पर आयोग पांच अप्रैल को मतदान केंद्रों की ड्रॉफ्ट सूची प्रकाशित करेगा. ड्रॉफ्ट सूची के प्रकाशन के बाद आयोग इस संबंध में विभिन्न राजनीतिक दलों की राय लेगा.
पार्टियों के सुझावों के आधार पर 25 अप्रैल तक परिवर्तन शामिल किए जायेंगे और मतदान केंद्रों की अंतिम सूची 28 अप्रैल को प्रकाशित की जा सकती है. चुनाव आयोग ने मतदान अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति और प्रशिक्षण के लिए ड्राफ्ट भी जारी कर दिया है. जिलाधिकारी आयोग की ओर से जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में कार्य करेंगे. जिलाधिकारी मतदान केंद्रों के लिए पीठासीन अधिकारियों को नियुक्त करेंगे.
पीठासीन अधिकारियों का चुनाव राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों, नागरिक निकाय अधिकारियों और कर्मचारियों और विभिन्न सरकारी स्कूलों और कॉलेजों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों से किया जायेगा. अधिसूचना के अनुसार किसी जिले के किसी विशेष ब्लॉक के निवासी को उस विशेष ब्लॉक में किसी भी मतदान केंद्र के लिए पीठासीन अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए. अनुमंडल व प्रखंड स्तर पर अलग-अलग प्रशिक्षण कार्यक्रम होंगे.
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, अप्रैल के अंत से लेकर मई के प्रथम सप्ताह के बीच चुनाव कराये जा सकते हैं. राज्य के पंचायत चुनाव का अलग ही इतिहास रहा है. पंचायत चुनाव को लेकर ऐसा माना जाता है कि जो पार्टी पंचायत चुनाव में जीत गयी, वहीं राज्य के सत्ता पर काबिज होती है. वर्तमान समय में तृणमूल कांग्रेस राज्य के सत्ता में है. लेकिन, इस बार समीकरण बदल भी सकते हैं. इस बार कांग्रेस, बीजेपी और वाममोर्चा सहित कई सारी छोटी पार्टियां में पंचायत चुनाव में चुनाव लड़ेंगी. ऐसे में चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.