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अलीगढ़ में ‘आदिपुरुष’ मूवी के फिल्मांकन और डायलाॅग को लेकर विरोध, संस्कार भारती ने योगी सरकार से की बड़ी मांग

अलीगढ़. 'आदिपुरुष' मूवी के फिल्मांकन और डायलाग को लेकर संस्कार भारती ने विरोध जताया. संस्कार भारती ने कहा कि इस फिल्म को देखने से युवापीढ़ी पर बुरा असर पड़ेगा. इसलिए इस फिल्म पर तुरंत प्रतिबंध लगाना चाहिए.

अलीगढ़. आदिपुरुष फिल्म रिलीज होने के साथ ही विवादों में आ गई है. अलीगढ़ में भी आदिपुरुष फिल्म रिलीज होने के साथ ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं. अलीगढ़ में भी इस के फिल्मांकन एवं डायलॉग पर कड़ा विरोध प्रदर्शित किया गया है. संस्कार भारती के जिला संयोजक भुवनेश वार्ष्णेय आधुनिक ने इस फिल्म को लेकर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए योगी सरकार से इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है.

फिल्म में भगवान श्री राम व हनुमान का अपमान

संस्कार भारती के जिला संयोजक भुवनेश वार्ष्णेय आधुनिक ने विरोध व्यक्त करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी की आस्था पर इस प्रकार से कुठाराघात नहीं कर सकते. इससे हमारी धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं. इस फिल्म में भगवान श्री राम एवं हनुमान का अपमान किया गया है. डायलॉग इतने फूहड़ हैं कि हम सब हैरान हैं. इस फिल्म को देखने से युवापीढ़ी पर बुरा असर पड़ेगा. इसलिए इस फिल्म पर तुरंत प्रतिबंध लगाना चाहिए. उन्होंने योगी सरकार से अपील की है कि इस फिल्म आदिपुरुष को यूपी में बैन कर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया जाएं.

सीता और राम की सौम्यता गायब

90 के दशक में आई रामानंद सागर की रामायण में सीता एवं राम की सौम्यता को ध्यान में रखा गया. लेकिन, इस फिल्म में वह सब गायब है. हनुमान जी के डायलॉग भी मुंबई के टपोरी की तरह प्रदर्शित कर हनुमान जी का अपमान किया गया है. रावण को पुष्पक विमान की जगह चमगादड़ पर जाते हुए दिखाया गया है. आखिर फिल्म निर्माता-निर्देशक आज की पीढ़ी को यह कौन सी रामायण दिखाना चाह रहे हैं.

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आरएसएस के संगठन संस्कार भारती फिल्म के विरोध में उतरे

संस्कार भारती के बैनर तले भुवनेश वार्ष्णेय आधुनिक ने जनता से अपील की है कि ऐसी फिल्में न देखें, न अपने बच्चों को दिखाएं. इस फिल्म को लेकर शीघ्र ही सभी हिंदूवादी एक मंच पर आकर विरोध जताएंगे और फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के सभी आगे आएं. संस्कार भारती की स्थापना कला संस्कृति के क्षेत्र में राष्ट्रीय चेतना लाने के उद्देश्य से की गई थी. संस्कार भारती की परिकल्पना 1954 में विकसित हुई थी और 1981 में लखनऊ में इसकी विधिवत स्थापना हुई थी. आज देश भर में संस्कार भारती की बारह सौ से अधिक इकाइयां है इसकी पृष्ठभूमि में भाउराव देवरस, नानाजी देशमुख, माधवराव देवली जैसे विद्वानों का चिंतन और परिश्रम था. वहीं, संस्कार भारती अब ओम राऊत की फिल्म आदि पुरुष पर बैन लगाने की मांग कर रही है.

रिपोर्ट- आलोक सिंह, अलीगढ़

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