Pushkar Mela 2023 Date: पुष्कर का नाम मन में आते ही दो चीजें सबसे पहले दिमाग में आती हैं. पहली तो ब्रह्मा जी का मंदिर और दूसरा यहां का मेला. यूं तो मेले पूरे देश में कहीं ना कहीं रोज लगते हैं. पशुओं के मेले भी लगते हैं, लेकिन पुष्कर में जो मेला लगता है उसकी बात ही अलग है. यहां ऊंटों का मेला लगता है और ये मेला इतना मज़ेदार होता है कि लोग दांतों तले उंगली दबा लेते हैं. मेले की शुरूआत कार्तिक पूर्णिमा के दिन होती है. इस साल यह प्राचीन पशु मेला, 14 नवंबर से शुरू होकर 20 नवंबर, यानी की केवल एक सप्ताह में ही समाप्त हो जाएगा. हर साल पूरे 15 दिन तक लगने वाला ये ऐतिहासिक पशु मेला अपनी पूर्ववर्ती तारीखों के अनुसार 14 नवंबर से शुरू होकर 29 नवंबर तक आयोजित होना था.
क्या होता है मेले में?
ये खासतौर पर ऊंटों और पशुओं का मेला होता है. पूरे राजस्थान से लोग अपने अपने ऊंटों को लेकर आते हैं और उनको प्रदर्शित किया जाता है. ऊंटों की दौड़ होती है. जीतने वाले को अच्छा खासा इनाम भी मिलता है. पारंपरिक परिधानों से ऊंट इस तरह सजाए गए होते हैं कि उनसे नज़र ही नहीं हटती. सबसे सुंदर ऊंट और ऊंटनी को भी इनाम मिलता है. ऊंटों की सवारी करवाई जाती है. यही नहीं ऊंटों का डांस और ऊंटों से वेटलिफ्टिंग भी करवाई जाती है. ऊंट नए नए करतब दिखाते हैं. नृत्य होता है, लोक गीत गाए जाते हैं और रात को अलाव जलाकर गाथाएं सुनाई जाती हैं.
कार्तिक पूर्णिमा
पुष्कर मेला कार्तिक पूर्णिमा को शुरू होता है और पुष्कर की झील में नहाना, तीर्थ करने के समान माना गया है. इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु झील में डुबकी लगाकर, ब्रह्मा जी का आशीर्वाद लेकर मेले में खरीद फरोख्त करते हैं. पूरा दिन और शाम को पारंपरिक नृत्य, घूमर, गेर मांड और सपेरा दिखाए जाते हैं. शाम को आरती होती है. इस आरती को शाम के वक्त सुनना मन को काफी शांति देती है.
कैसे पहुंचें पुष्कर ?
अगर आप हवाई मार्ग से जाना चाहते हैं तो जयपुर एयरपोर्ट तक आ सकते हैं. इससे आगे 140 किलोमीटर की दूरी बस या टैक्सी से कर सकते हैं. ट्रेन से आना चाहते हैं तो कई ट्रेनें अजमेर तक चलती हैं और अजमेर से पुष्कर सिर्फ 11 किलोमीटर है.
यहां है विश्व का एकमात्र भगवान ब्रह्मा का मंदिर
पुष्कर के उद्धव का वर्णन पद्मपुराण में पाया जाता है. प्रयागराज के बाद तीर्थ राज कहलाने वाले इस अत्यंत प्राचीन नगर का उल्लेख रामायण में भी हुआ है. माना जाता है की ब्रह्मा जी ने यहां आकर तप और यज्ञ किया था. हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ स्थानों में पुष्कर ही एक ऐसी जगह है जहां ब्रह्मा जी का मंदिर स्थापित है . मंदिर के समीप ही पवित्र पुष्कर झील है.यहाँ कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो कालांतर में अताताई शासक औरंगजेब द्वारा ध्वस्त किए जाने के बाद पुन: निर्मित किए गए हैं. अज्ञात वास के समय पाण्डवों द्वारा निर्मित पांच कुण्ड भी स्थानीय नाग पहाड पर स्थित है.करीब 11 किमी. लम्बाई में बसी यह पहाड़ी अनेक ऋषी मुनियों की तपोस्थली रही है. यह पर्वत नगर के पूर्व से दक्षिण दिशा में स्थित है. जो कि अनेक प्राकृतिक संपदाओं से भरा पूरा है.इस पहाड के उपर से एक तरफ अजमेर तो तो दूसरी तरफ पुष्कर का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है. वर्ष में एक बार इसी पहाड पर लक्ष्मी पोळ नामक स्थान पर हरियाली अमावस के दिन प्रसिद्ध मेला लगता है.
इसलिए आएं पुष्कर मेला
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यह आपको एक स्थानीय व्यक्ति की तरह राजस्थान की सुंदरता को देखने में मदद करता है
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आपको मनोरंजक प्रतियोगिताओं और कार्यक्रमों का हिस्सा बनने देता है
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आपको भारत के सबसे प्रसिद्ध फ़्यूज़न बैंड सुनने और देखने को मिलते हैं
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यह आपको लक्जरी और पुराने स्कूल शैली के शिविरों में रहने का आनंद अनुभव करने देता है
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आपको ऊँटों का व्यापार देखने को मिलता है
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विभिन्न प्रकार की रोमांचक गतिविधियों से आपके अंदर के साहसी व्यक्ति को शांत करने में मदद मिलती है
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यह आपको हवा में ऊपर से जादुई रेगिस्तान देखने देता है