कन्या पूजन व पारण के साथ संपन्न हुआ रामनवमी का त्योहार, निकली भव्य शोभायात्रा. माता जी के भक्त आज नवरात्रि के 9वें दिन हवन कर कन्या पूजन की गयी.
गंगा जल, शुद्ध जल, कच्चा दूध, दही, पंचामृत, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र और इसके साथ ही आभूषण, पान के पत्ते, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, धूप, कपूर, लौंग और अगरबत्ती आदि का प्रयोग पूजा में करना चाहिए.
भगवान राम का जन्मदिन मनाने का सही समय सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच है.
राम नवमी रविवार, अप्रैल 10, 2022 को
राम नवमी मध्याह्न मुहूर्त – 11:06 सुबह से 01:39 दोपहर
अवधि – 02 घण्टे 33 मिनट्स
सीता नवमी मंगलवार, मई 10, 2022 को
राम नवमी मध्याह्न का क्षण – 12:23 दोपहर
नवमी तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 10, 2022 को 01:23 सुबह बजे
नवमी तिथि समाप्त – अप्रैल 11, 2022 को 03:15 दोपहर बजे
धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान राम को विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है. शास्त्रों में वर्णित है कि त्रेता युग में धरती पर असुरों का उत्पात बढ़ गया था. असुर ऋषियों के यज्ञ को खंडित कर दिया करते थे. धरती पर आसुरी शक्तियों के विनाश के लिए भगवान विष्णु ने धरती पर श्रीराम के रूप में अवतार लिया था. भगवान श्रीराम ने धर्म की स्थापना के लिए पूरे जीवन अपार कष्टों को सहा और एक आदर्श नायक के रूप में स्वयं को स्थापित किया. उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम कहा जाता है. कठिन से कठिन परिस्थितियों में श्रीराम ने धर्म का त्याग नहीं किया और न ही अनीति का वरण किया. इस सब गुणों के चलते उन्हें उत्तम पुरुष की संज्ञा मिली और मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया.
भगवान राम का जन्मदिन मनाने का सही समय सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच है.
राम नवमी रविवार, अप्रैल 10, 2022 को
राम नवमी मध्याह्न मुहूर्त – 11:06 सुबह से 01:39 दोपहर
अवधि – 02 घण्टे 33 मिनट्स
सीता नवमी मंगलवार, मई 10, 2022 को
राम नवमी मध्याह्न का क्षण – 12:23 दोपहर
नवमी तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 10, 2022 को 01:23 सुबह बजे
नवमी तिथि समाप्त – अप्रैल 11, 2022 को 03:15 दोपहर बजे
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रामनवमी के दिन शुभ जल्दी उठ कर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहन लें.
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घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
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घर के मंदिर में देवी- देवताओं को स्नान कराने के बाद वस्त्र अर्पित करें.
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भगवान राम की प्रतिमा या तस्वीर पर तुलसी का पत्ता और फूल अर्पित करें.
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अब फल अर्पित करें.
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भगवान को सात्विक चीजों का भोग लगाएं.
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अब राम जी आरती करें.
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राम नवमी पर आप रामचरितमानस, रामायण, राम चालीसा, श्री राम स्तुति और रामरक्षास्तोत्र का पाठ कर सकते हैं.
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भगवान राम के नाम का जप अतिफलदायी माना गया है. आप श्री राम जय राम जय जय राम या सिया राम जय राम जय जय राम का जप कर सकते हैं.
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ब्रह्म मुहूर्त– 04:31 ए एम से 05:16 ए एम
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अभिजित मुहूर्त- 11:57 ए एम से 12:48 पी एम
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विजय मुहूर्त– 02:30 पी एम से 03:21 पी एम
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गोधूलि मुहूर्त– 06:31 पी एम से 06:55 पी एम
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अमृत काल- 11:50 पी एम से 01:35 ए एम, अप्रैल 11
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निशिता मुहूर्त– 12:00 पी एम से 12:45 ए एम, अप्रैल 11
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रवि पुष्य योग– पूरे दिन
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सर्वार्थ सिद्धि योग– पूरे दिन
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रवि योग– पूरे दिन
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हिंदू धार्मिक शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि व्रत पारण के लिए नवमी तिथि या दशमी तिथि को उत्तम माना गया है.
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नवरात्रि व्रत पारण करने के लिए नवमी तिथि के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें और साफ वस्त्र धारण करें.
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नवमी के दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा करें.
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मां को फल, फूल, पान, सुपारी अक्षत और सिंदूर अर्पित करें और हवन करने के बाद कन्या पूजन करें.
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कन्या पूजन में नौ कन्याओं को अपने घर बुला कर उन्हें सात्विक भोजन करवाएं.
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पारण के लिए सही समय नवमी तिथि के समापन या दशमी तिथि का आरंभ समय अच्छा होता है.
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यदि दशमी को पारण करते हैं तो सूर्योदय के बाद पारण करना उत्तम माना गया है.
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व्रत का पारण माता का प्रसाद खाकर ही करें.
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कन्या पूजन के लिए 5 से 10 साल तक की 9 कन्या को घर बुलाएं.
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जब 9 कन्या घर पर पधारें, तो उनका स्वागत करें.
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सबसे पहले उनके चरण धोएं.
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आसान बिछा करे उन्हें उचित स्थान पर बैठाएं.
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कन्याओं के माथे पर रोली लगाएं.
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उनकी आरती करते हुए मां दुर्गा का ध्यान करें.
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पूरी, हलवा और काले चने की सब्जी या इच्छा अनुसार भोजन कराएं.
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भोजन के बाद 9 कन्या को सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा या उपहार दें.
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पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें सम्मान के साथ विदा करें.
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चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम नवमी मनाई जाती है. इस दिन भी कन्या पूजन का विधान है. मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था.
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नवमी तिथि 10 अप्रैल रात्रि 1 बजकर 23 मिनट से आरंभ होगी.
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नवमी तिथि 11 अप्रैल सुबह 3 बजकर 15 मिनट तक रहेगी.
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इस दिन सुकर्मा योग दोपहर 12 बजकर 4 मिनट तक है. इसके अलावा इस दिन रवि पुष्य योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन है.
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इस दिन सुबह से ही कन्या पूजन किया जा सकता है.
भगवान राम का जन्मदिन मनाने का सही समय सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच है.
राम नवमी रविवार, अप्रैल 10, 2022 को
राम नवमी मध्याह्न मुहूर्त – 11:06 सुबह से 01:39 दोपहर
अवधि – 02 घण्टे 33 मिनट्स
सीता नवमी मंगलवार, मई 10, 2022 को
राम नवमी मध्याह्न का क्षण – 12:23 दोपहर
नवमी तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 10, 2022 को 01:23 सुबह बजे
नवमी तिथि समाप्त – अप्रैल 11, 2022 को 03:15 दोपहर बजे
17. नैवेद्य : दीप अर्पण के बाद श्री राम को नैवेद्य अर्पित करें.
18. फलम : नैवेद्य चढ़ाने के बाद हुए श्री राम को फल अर्पित करें.
19. तंबुलम : फल चढ़ाने के बाद, श्री राम को तंबुला (सुपारी के साथ पान) अर्पित करें.
20. दक्षिणा : तंबुला चढ़ाने के बाद, श्री राम को दक्षिणा (उपहार) अर्पित करें.
21. निरजन (नीराजन): अब श्री राम की निरंजन (आरती) करें.
22. पुष्पांजलि : अब श्री राम को पुष्पांजलि अर्पित करें.
23. प्रदक्षिणा : अब प्रतीकात्मक प्रदक्षिणा यानी श्री राम के बाएं से दाएं परिक्रमा को फूलों से करें.
24. क्षमापन : प्रदक्षिणा के बाद, पूजा के दौरान की गई किसी भी ज्ञात-अज्ञात गलती के लिए श्री राम से क्षमा मांगें.
11. यज्ञोपवीत : वस्त्रार्पण के बाद श्री राम को यज्ञोपवीत अर्पित करें.
12. गंध : यज्ञोपवीत चढ़ाने के बाद श्री राम को सुगंध अर्पित करें.
13. पुष्पनी : गंधा चढ़ाने के बाद, भगवान राम को फूल चढ़ाएं.
14. अथा अंगपूजा : अब उन देवताओं की पूजा करें जो स्वयं श्री राम के अंग हैं. उसके लिए बाएं हाथ में गंध, अक्षत और पुष्पा लें और उन्हें दाहिने हाथ से भगवान राम मूर्ति के पास छोड़ दें.
15. धूपम : अंग पूजा के बाद श्री राम को धूप अर्पित करें.
16. दीपम : धूपदान के बाद श्री राम को दीप अर्पित करें.
5. अर्घ्य : पद्य-अर्पण के बाद श्री राम का सिर अभिषेक करते हुए जल अर्पित करें.
6. अचमनीयम : अर्घ्य के बाद अचमन के लिए श्री राम को जल अर्पित करें.
7. मधुपर्क : आचमन के बाद श्री राम को शहद और दूध का भोग लगाएं.
8. स्नानम : मधुपर्क अर्पण के बाद श्री राम को स्नान के लिए जल अर्पित करें.
9. पंचामृत स्नान : स्नानम के बाद अब श्री राम को पंचामृत यानी दूध, दही, शहद, घी और चीनी के मिश्रण से स्नान कराएं.
10. वस्त्र : अब श्री राम को नए वस्त्र के रूप में मोली (मोली) अर्पित करें.
2. आवाहनं : भगवान राम के ध्यान के बाद, मूर्ति के सामने आवाहन मुद्रा दिखाकर (दोनों हथेलियों को जोड़कर और दोनों अंगूठों को अंदर की ओर मोड़कर आवाहन मुद्रा बनती है). आवाहन करें.
3. आसनम : भगवान राम का आह्वान करने के बाद, अंजलि (दोनों हाथों की हथेलियों को जोड़कर) में पांच फूल लें और उन्हें मूर्ति के सामने छोड़ दें. श्री राम को आसन अर्पित करें.
4. पद्य : भगवान राम को आसन अर्पित करने के बाद उनके पैर धोने के लिए जल अर्पित करें.
1. ध्यानम
पूजा की शुरुआत भगवान राम के ध्यान से करनी चाहिए. ध्यान आपके सामने पहले से स्थापित भगवान राम की मूर्ति के सामने किया जाना चाहिए. भगवान श्री राम का ध्यान करते हुए निम्नलिखित मंत्र का जाप करना चाहिए.
कोमलक्षम विशालाक्षमिंद्रनिला सम्प्रभम।
दक्षिणंगे दशरथं पुत्रवेक्षनतत्परम्॥
पृष्टतो लक्ष्मणम् देवं सच्छत्रम् कनकप्रभम।
पार्श्व भरत शत्रुघ्नौ तलावृंतकरवुभौ।
अग्रव्यग्राम हनुमंतम रामानुग्रह कंक्षीणम
ओम श्री रामचंद्राय नमः।
ध्यानत ध्यानं समरपयामी
गंगा जल, शुद्ध जल, कच्चा दूध, दही, पंचामृत, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र और इसके साथ ही आभूषण, पान के पत्ते, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, धूप, कपूर, लौंग और अगरबत्ती आदि का प्रयोग पूजा में करना चाहिए.
ऊं गणेशाय नम: स्वाहा
ऊं गौरये नम: स्वाहा
ऊं वरुणाय नम: स्वाहा
ऊं दुर्गाय नम: स्वाहा
ऊं महाकालिकाय नम: स्वाहा
ऊं हनुमते नम: स्वाहा
ऊं भैरवाय नम: स्वाहा
ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा
ऊं स्थान देवताय नम: स्वाहा
ऊं ब्रह्माय नम: स्वाहा
ऊं विष्णुवे नम: स्वाहा
ऊं शिवाय नम: स्वाहाऊं जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा, स्वधा नमस्तुते स्वाहा
धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान राम को विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है. शास्त्रों में वर्णित है कि त्रेता युग में धरती पर असुरों का उत्पात बढ़ गया था. असुर ऋषियों के यज्ञ को खंडित कर दिया करते थे. धरती पर आसुरी शक्तियों के विनाश के लिए भगवान विष्णु ने धरती पर श्रीराम के रूप में अवतार लिया था. भगवान श्रीराम ने धर्म की स्थापना के लिए पूरे जीवन अपार कष्टों को सहा और एक आदर्श नायक के रूप में स्वयं को स्थापित किया. उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम कहा जाता है. कठिन से कठिन परिस्थितियों में श्रीराम ने धर्म का त्याग नहीं किया और न ही अनीति का वरण किया. इस सब गुणों के चलते उन्हें उत्तम पुरुष की संज्ञा मिली और मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया.
राम नवमी तिथि- 10 अप्रैल 2022, रविवार
नवमी तिथि प्रारंभ – 10 अप्रैल को देर रात 1:32 मिनट से शुरू
नवमी तिथि समाप्त- 11 अप्रैल को सुबह 03:15 मिनट पर तक
पूजा का मुहूर्त- 10 अप्रैल को सुबह 11: 10 मिनट से 01: 32 मिनट तक
चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन अयोध्या में राम जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस दिन राम जी के छोटे भाइयों भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग व्रत रखते हैं पूजा-अर्चना करते हैं. भगवान श्री राम की उपासना करते हैं, भजन आदि करते हैं. इस दिन पूजा के बाद राम जी के मंत्रों का जाप किया जाता है. इतना ही नहीं, इस दिन रामचरितमानस और रामायण का पाठ करने का भी विधान है.
राम नवमी के दिन शुभ मुहूर्त में प्रभु श्रीराम की पूजा करें. पूजा के दौरान दौरान ”श्री राम चंद्र कृपालु भजमन….” आरती जरूर पढ़ें. ऐसा करने से व्यक्ति के दुख और कष्ट दूर होते हैं.
इस साल नवमी तिथि का आरंभ 10 अप्रैल की रात्रि 1 बजकर 23 मिनट से हो रहा है, जो 11 अप्रैल सुबह 3 बजकर 15 मिनट तक है. इसका शुभ मुहूर्त दिन में सुबह 11 बजकर 06 मिनट पर शुरु हो रहा है, जो दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक है। इस मुहूर्त में रामलला का जन्म होगा और मंदिरों में राम जन्मोत्सव मनाया जाएगा.
महागौरी को एक सौम्य देवी माना गया है. महागौरी को मां दुर्गा की आठवीं शक्ति भी कहा गया है. महागौरी की चार भुजाएं हैं और ये वृषभ की सवारी करती हैं. इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है. ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर-मुद्रा है.
गंगा जल, शुद्ध जल, कच्चा दूध, दही, पंचामृत, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र और इसके साथ ही आभूषण, पान के पत्ते, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, धूप, कपूर, लौंग और अगरबत्ती आदि का प्रयोग पूजा में करना चाहिए.
ऊं गणेशाय नम: स्वाहा
ऊं गौरये नम: स्वाहा
ऊं वरुणाय नम: स्वाहा
ऊं दुर्गाय नम: स्वाहा
ऊं महाकालिकाय नम: स्वाहा
ऊं हनुमते नम: स्वाहा
ऊं भैरवाय नम: स्वाहा
ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा
ऊं स्थान देवताय नम: स्वाहा
ऊं ब्रह्माय नम: स्वाहा
ऊं विष्णुवे नम: स्वाहा
ऊं शिवाय नम: स्वाहाऊं जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा, स्वधा नमस्तुते स्वाहा
राम नवमी तिथि- 10 अप्रैल 2022, रविवार
नवमी तिथि प्रारंभ – 10 अप्रैल को देर रात 1:32 मिनट से शुरू
नवमी तिथि समाप्त- 11 अप्रैल को सुबह 03:15 मिनट पर तक
पूजा का मुहूर्त- 10 अप्रैल को सुबह 11: 10 मिनट से 01: 32 मिनट तक
धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान राम को विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है. शास्त्रों में वर्णित है कि त्रेता युग में धरती पर असुरों का उत्पात बढ़ गया था. असुर ऋषियों के यज्ञ को खंडित कर दिया करते थे. धरती पर आसुरी शक्तियों के विनाश के लिए भगवान विष्णु ने धरती पर श्रीराम के रूप में अवतार लिया था. भगवान श्रीराम ने धर्म की स्थापना के लिए पूरे जीवन अपार कष्टों को सहा और एक आदर्श नायक के रूप में स्वयं को स्थापित किया. उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम कहा जाता है. कठिन से कठिन परिस्थितियों में श्रीराम ने धर्म का त्याग नहीं किया और न ही अनीति का वरण किया. इस सब गुणों के चलते उन्हें उत्तम पुरुष की संज्ञा मिली और मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया.
‘रां रामाय नम:’
भगवान श्रीराम का यह मंत्र बेहद ही प्रभावशाली होता है. इस मंत्र को श्रीराम पूजा में 108 बार जपें. इस मंत्र को सच्चे मन से जपने से भक्तगणों की सारी विपदाएं नष्ट हो जाती हैं. आरोग्य जीवन के लिए भी यह राम मंत्र कारगर है.