बरेली : रमजान का मुकद्दस महीना रहमतों और बरकतों का है. उलमा कहते हैं कि इस महीने में जन्नत के दरवाजे खोलकर दोजख के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं. शैतान जंजीरों में कैद रहता है. जिससे मुसलमान सुकून के साथ अल्लाह की इबादत कर गुनाहों को माफ कराएं.इस बार रमजान में मौसम भी काफी अच्छा हैं. तापमान कम होने के कारण रोजदारों को गर्मी से राहत है, तो वहीं पानी की प्यास भी कम लग रही है.
करीब 30 वर्ष बाद रमजान का महीना मार्च में आया है. हालांकि बरेली में इस रमजान का पहला रोजा सबसे छोटा था. यह 13 घंटे 40 मिनट का था. मगर, अंतिम रोजा इस रमजान का सबसे लंबा है. यह रोजा 14 घंटे 35 मिनट का होगा. अंतिम रोजे की सहरी सुबह 4 बजकर 12 मिनट पर खत्म होगी, तो वहीं इफ्तार शाम को 6 बजकर 47 मिनट पर है. रमजान के कैलेंडर के मुताबिक सबसे लंबा रोजा अंतिम रोजा रोजा होगा.
रमजान का मुकद्दस महीना 24 मार्च से शुरू हुआ है. जिसके चलते ईद 22 या 22 अप्रैल की होगी. अगर, इस्लामिक कैलेंडर के 9 वें महीने रमजान का चांद 29 का होता है, तो ईद 22 अप्रैल की होगी. मगर, चांद 30 का होता है, तो ईद 23 अप्रैल की होना तय है. मुकद्दस माह रमजान में तीन अशरे होते हैं.पहले रोजे से 10 वें रोजे तक रहमत का अशरा होता है, 11वें रोजे से 20 वें रोजे तक मगफिरत और 21वें रोजे से अंतिम रोजे तक जहन्नम से आजादी का अशरा होता है.
रोजा हर मर्द, औरत, बालिग पर फर्ज है. मगर, बिना जरूरत रोजा तोड़ने पर काफी गुनाह है. इंसान जिंदगी भर रोजे रखे, लेकिन उसको रोजे का सबाब नहीं मिलता.
इस्लामिक कैलेंडर के माह रमजान की काफी फजीलत है. हदीसे कुद्दूसी में अल्लाह ताला ने इरशाद फरमाया है, रोजा मेरे लिए है, और उसकी जजा मैं खुद देता हूं.
रोजे में किसी चीज के चखने, चबाने, गुल मंजन, कोलगेट करने, मुंह और नाक में पानी, ज्यादा देर तक पानी मुंह में भरे रखने, इंजेक्शन लगवाने और दिन भर नापाक रहने से रोजा मकरूह हो जाता है.
रिपोर्ट मुहम्मद साजिद बरेली