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झारखंड : कभी करता था मजदूरी, अब पोल्ट्री फार्म खोलकर गढ़वा के रामरतन गौड़ युवाओं के लिए बने प्रेरणास्रोत

गढ़वा जिले के धुरकी स्थित खुटिया गांव का रामरतन गौड़ आज युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है. एक साल पहले तक काम ढूंढता था, लेकिन अब चार लोगों को रोजगार दे रहा है. यह सब हुआ है पोल्ट्री फार्म से 25 हजार से शुरू किया गया कारोबार आज दो लाख तक पहुंच गया.

धुरकी (गढ़वा), अनुप जायसवाल : गढ़वा जिला अंतर्गत धुरकी प्रखंड के सुदूरवर्ती गांव खुटिया निवासी इंद्रदेव गौड़ का पुत्र रामरतन गौड़ मजदूर था. काम व रोजगार के लिए उसे राज्य के बाहर पलायन करना पड़ता था. लेकिन, पिछले एक साल से रामरतन अपने गांव में खुद का पोल्ट्री फार्म चला रहा है. मजदूर बनकर बाहर जाने की बजाय उसने कम पूंजी में गांव में ही खुद का पोल्ट्री फार्म खोल लिया है. रामरतन ने बताया कि इसके लिए उसने गांव के ही एक व्यक्ति से 25 हजार रुपये कर्ज लिया. इसके अलावा कुछ अपनी पूंजी भी जोड़कर घर के पास ही प्लास्टिक की झुग्गी-झोपड़ी बनाकर एक साधारण पोल्ट्री खोली है. यह काम उसने बड़ी लगन और मेहनत से शुरू किया था. इस वजह से उसे पहली बार में ही संतोषजनक लाभ प्राप्त हुआ. इससे उसका मनोबल बढ़ा और अब धीरे-धीरे करीब दो लाख रुपये का निवेश इस व्यवसाय में कर दिया है.

एक साल पहले तक काम ढूंढता था, आज चार लोगों को दे रहा रोजगार

एक साल पहले उसे दूसरों के यहां काम ढूंढ़ना पड़ता था. वहीं, अब उसने अपने पॉल्ट्री फार्म में चार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया है. उसने बताया कि उसे थोड़ी और पूंजी की जरूरत महसूस हो रही है. यदि थोड़े पैसे और होते, तो वह यह काम और बेहतर तरीके से कर सकता था. उसने बताया कि शुरू में जब वह यह काम शुरू कर रहा था, तो कई लोगों ने कहा कि देहात है यहां पूंजी फंस जायेगी. लेकिन, आज समीपवर्ती यूपी के दुद्धि एवं अमवार तथा छत्तीसगढ‍़ के इरीआ व सनावल तक के व्यापारी उसके यहां से चूजे ले जाते हैं. वहीं, नगर उंटारी और धुरकी के लोग तो खरीदते ही हैं.

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जनता दरबार से नहीं मिली सहायता

रामरतन ने बताया कि उसने फार्म खोलने को लेकर पंचायत में आयोजित जनता दरबार में ऋण के लिए आवेदन दिया था. लेकिन, अब तक उसे ऋण नहीं मिला. उसने कहा कि यदि उसे कम से कम पांच लाख रुपये का ऋण मिल जाता, तो व्यवसाय बढ़ाकर 10 लोगों को और रोजगार दे सकता था.

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