Ranjish Hi Sahi Review:
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वेब सीरीज: रंजिश ही सही
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निर्देशक: पुष्पराज
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निर्माता: विशेष फिल्म्स
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कलाकार: ताहिर राज भसीन,अमला पॉल, अमृता पुरी, जरीना वहाब और अन्य
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प्लेटफार्म: वूट सेलेक्ट
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रेटिंग: दो
निर्माता निर्देशक महेश भट्ट अपनी फिल्मों के साथ साथ अपनी निजी जिंदगी के लिए भी खूब सुर्खियां बटोरी हैं. वे ऐसे निर्देशकों में से रहे हैं.जिन्होंने अपनी निजी ज़िंदगी पर कई फिल्में बनायी हैं लेकिन परवीन बॉबी के साथ अपने प्रेम प्रसंग पर वे लगातार फिल्में बनाते रहे हैं. हर एक दशक में वो वही कहानी सुना रहे हैं. यह कहना गलत ना होगा.
80 के दशक में अपनी पहली सफल फ़िल्म अर्थ,90 के दशक में जीईसी चैनल ज़ी टीवी पर फिर तेरी कहानी याद आयी और एक दशक के बाद यानी 2006 में फ़िल्म वो लम्हे में कहानी को दोहरा चुके महेश भट्ट 2022 में वेब सीरीज के ज़रिए अपने ओटीटी डेब्यू में भी फिर वही कहानी याद कर रहे हैं. यह बात समझ से परे है कि तीन बार परदे पर दिखायी जा चुकी इस कहानी में जियो स्टूडियो ने रुचि क्यों दिखायी.
यह दलील भी दी जा सकती है कि कहानी एक ही होती है लेकिन उसके कहने का तरीका उसे अलग बनाता है लेकिन इस मामले में भी यह सीरीज कमज़ोर रह गयी है.फ़िल्म की कहानी का बैकड्रॉप 70 का दशक है. एक संघर्षरत निर्देशक शंकर (ताहिर राज भसीन ) है. जिसकी तीन फिल्में फ्लॉप हो चुकी हैं. एक हिट फिल्म बनाने के लिए उसे कहानी की नहीं बल्कि एक सुपरस्टार अभिनेत्री के साथ की ज़रूरत महसूस होती है.
वह सुपरस्टार आमना परवेज़ (अमला पॉल) से मिलता है.जल्द ही मुलाकातें नजदीकियों में बदल जाती है .जिससे शंकर की शादीशुदा जिंदगी में उथल पुथल हो जाती है. अहमद फ़राज़ की ग़ज़ल से प्रेरित शीर्षक वाली इस वेब सीरीज की आगे की कहानी का क्या होगा . यह सभी को पता है. इस ड्रामेटिक प्रेमकहानी को अतीत और वर्तमान में पिरोया गया है. शुरुआत में एक ही सिचुएशन को दो अलग अलग लोगों के नज़रिए से बयान करने वाला दृश्य दिलचस्प बना है लेकिन फिर कहानी बिल्डअप करने में ही चार एपिसोड चले गए हैं. कई दृश्यों का दोहराव है.खासकर शंकर और उनकी पत्नी अंजू के बीच के दृश्यों में.
महेश भट्ट शो के प्रोड्यूसर हैं तो कहानी नायक की होनी है लेकिन 8 एपिसोड वाली इस सीरीज में कई मौके थे जब आमना परवेज़ के माता पिता के बारे में दिखाया जा सकता था. आखिर आमना के पिता उससे क्यों नाराज़ थे? नाराज थे तो उससे पैसे क्यों लेते थे? इन सबके जवाब यह सीरीज नहीं देती है. इसके साथ ही सीरीज में महेश भट्ट के बचपन(ज़ख्म,नाजायज) और परवीन बॉबी के रिश्ते के बारे में ऐसा कुछ भी दिखाया नहीं गया जो पहले नहीं सामने आया है.
इस प्रेम प्रसंग पर महेश भट्ट के कलेक्शन वाली फिल्मों से लेकर खबरिया चैनल के एक घंटे के विशेष प्रसारण में इस लव स्टोरीज पर काफी कुछ बताया जा चुका है.कहानी में विनोद खन्ना,अमिताभ बच्चन,ओशो का जिक्र सरसरी तौर पर हुआ है. 70 के दशक के बॉलीवुड को दिखाया गया है लेकिन ऐसी कोई भी खास जानकारी नहीं है.जिससे दर्शक अंजान हो.महेश भट्ट के गुरु यू जी कृष्णमूर्ति को वॉचमैन के एंगल से प्रस्तुत करना ज़रूर दिलचस्प है.
अभिनय की बात करें तो ताहिर राज भसीन ने एक एक्टर के तौर अपनी रेंज को साबित करने की बखूबी कोशिश है.उनका विग ज़रूर थोड़ा अटपटा लगता है.अभिनेत्री अमला पॉल ने 70 के दशक की दिवा का किरदार पूरे आत्मविश्वास के साथ जिया है और मानसिक बीमारी से जुड़ी डर और परेशानी को भी बखूबी उकेरा है .अमृता पुरी भी अच्छी रही हैं. बाकी के किरदारों ने भी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है.
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इस वेब सीरीज के अच्छे पहलुओं में कलाकारों की उम्दा कोशिश के साथ साथ संवाद भी अच्छे बन पड़े हैं. जो इस सीरीज को उबाऊ बनने से बचाते हैं.महेश भट्ट की फिल्मों में संगीत की बहुत अहमियत होती है.इस ड्रामेटिक लव स्टोरी में बेरहम ज़िन्दगी, थम सा गया और सूफी गीत के साथ म्यूजिक को प्रभावी बनाने की अच्छी कोशिश हुई है लेकिन वह कोशिश उस तरह का प्रभाव नही छोड़ पायी है.जिसके लिए भट्ट कैम्प जाना जाता है. कुलमिलाकर भट्ट कैम्प की ओटीटी प्लेटफार्म पर वेब सीरीज के ज़रिए शुरुआत भी निराशाजनक हुई है. कुलमिलाकर भट्ट कैम्प की ओटीटी प्लेटफार्म पर वेब सीरीज के ज़रिए शुरुआत भी निराशाजनक हुई है.