सरायकेला-खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश : खरसावां, हरिभंजा और सरायकेला के गुंडिचा मंदिरों में प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र एवं देवी सुभद्रा के दर्शन के लिए रोजाना भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. सुबह और शाम को प्रभु की आरती में काफी संख्या में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं. इस दौरान तीनों विग्रहों का शृंगार किया जा रहा है. इस दौरान भगवान जगन्नाथ को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग अर्पित किया जा रहा है.
पोड़ा पीठा समेत कई व्यंजनों का लगाया जा रहा भोग
हरिभंजा के गुंडिचा मंदिर में प्रभु जगन्नाथ को विशेष रूप से ओड़िया व्यंजनों का भोग लगाया जा रहा है. भगवान जगन्नाथ को पोड़ा पीठा, मंडा पीठा, चितऊ पीठा, छेना पोड़ा समेत खाजा एवं फल-मूल के भोग चढ़ाये जा रहे हैं. इसके अलावे सरायकेला-खरसावां के लड्डू का भी भोग चढ़ाया जा रहा है. भगवान जगन्नाथ का प्रसाद पाने के लिए भी भक्त गुंडिचा मंदिरों में पहुंच रहे हैं. खरसावां के गुंडिचा मंदिर में रोजाना भंडारे का आयोजन कर लोगों में खीर, खिचड़ी एवं सब्जी के प्रसाद का भी वितरण किया जा रहा है.
28 जून को बाहुड़ा रथ यात्रा
28 जून को प्रभु जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र व देवी सुभद्रा के साथ गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर के लिये रथ पर सवार हो कर रवाना होंगे. इसे बाहुड़ा रथ यात्रा कथा जाता है. इसीके साथ ही प्रभु जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा संपन्न होगी.
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सरायकेला के गुंडिचा मंदिर के पास आयोजित रथ यात्रा मेला में बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ रही है. दोपहर बाद से ही मेले में लोगों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गयी है जो देर रात तक रहती है. रथयात्रा पर मौसीबाड़ी में मेला का आयोजन काफी पुराना है. यहां नौ दिनों तक मेला लगता है. मेले में बिजली का झूला से लेकर अन्य मनोरंजन के साधन उपलब्ध है जबकि विभिन्न प्रकार की दुकानें सजी हुई है. मेला के अलावा गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा विराजे हुए हैं. मेला में लोगों को आकर्षण के लिए भगवान श्रीकृष्ण के बाल लीला पर प्रतिमा स्थापित किया गया है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया गया है. श्रद्धालु भगवान का दर्शन के साथ झूला का भी आनंद ले रहे हैं. मेले में काफी भीड़ हो रही है.
मंगलवार को गुंडिचा मंदिर में संकट तारिणी
खरसावां व हरिभंजा के गुंडिचा मंदिरों में मंगलवार को संकट तारिणी व्रत का आयोजन किया जायेगा. मौके पर महिलाएं व्रत एवं उपवास रख कर पूजा अर्चना करेंगी. इस दौरान 13 प्रकार के फल व फूल मां तारिणी को अर्पित की जाएगी. इस दौरान व्रत रखने वाली महिलाएं 13 हाथ लंबी धागा का व्रत बना कर धारण करेंगी. प्रसाद का चढ़ावा चढ़ाने के बाद इसे भक्तों में वितरित किया जायेगा. धार्मिक मान्यता है कि इस पूजा से शक्ति स्वरूपा मां तारिणी हर तरह के संकट को दूर करती है. इसी कारण महिलाएं रथ यात्रा के बाद प्रथम मंगलवार को तारिणी व्रत का पालन करती है. गुंडिचा मंदिरों के अलावे विभिन्न तारिणी पीठों में भी मां संकट तारिणी की पूजा की जाती है. कई श्रद्धालुओं द्वारा घरों में भी कलश स्थापित कर माता की पूजा अर्चना की जायेगी.