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रथ यात्रा : सरायकेला के गुंडिचा मंदिर में प्रभु जगन्नाथ ने ‘कल्कि अवतार’ में भक्तों को दिये दर्शन, उमड़ा हुजूम

झारखंड में सिर्फ सरायकेला में ही रथ यात्रा के दौरान प्रभु अलग-अलग स्वरूप में भक्तों को दर्शन देते हैं. इस बार गुंडिचा मंदिर में प्रभु जगन्नाथ ने 'कल्कि अवतार' में भक्तों को दर्शन दिये.

सरायकेला, शचिंद्र कुमार दाश : सरायकेला के गुंडिचा मंदिर में शनिवार को हेरा पंचमी के मौके पर भगवान जगन्नाथ व बलभद्र ने भक्तों को कल्कि अवतार में दर्शन दिए. प्रभु के कल्कि अवतार में दर्शन को भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. कल्कि अवतार के वेश में कला रंग के घोड़े में प्रभु जगन्नाथ और सफेद रंग के घोड़े भलभद्र बैठा कर हाथों में तलवार लिए युद्ध मैदान में जाते दिखाया गया है. कल्कि अवतार में भगवान जगन्नाथ व बलभद्र को आकर्षक रूप दिया गया है.

अलग-अलग स्वरूप में भक्तों को देते हैं दर्शन

झारखंड में सिर्फ सरायकेला में ही रथ यात्रा के दौरान प्रभु अलग-अलग स्वरूप में भक्तों को दर्शन देते हैं. गुरु सुशांत कुमार महापात्र के निर्देशन में कलाकार पार्थ सारथी दाश, उज्ज्वल सिंह, सुमित महापात्र, सुभम कर, मानू सतपथी, विक्की सतपथी, मुकेश साहु आदि ने भगवान जगन्नाथ-बलभद्र के कलकी अवतार की वेष सज्जा की है. प्रभु जगन्नाथ के कलकी अवतार के दर्शन को बड़ी संख्या में श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर में पहुंच रहे है. गुंडिचा मंदिर में शाम के समय ओर अधिक भीड़ होने की उम्मीद है.

प्रभु जगन्नाथ की वेश-भूषा ही यहां की विशेषता

सरायकेला के गुंडिचा मंदिर में प्रभु जगन्नाथ के अलग अलग वेशभूषा में रूप सज्जा यहां के रथ यात्रा की विशेषता है. सरायकेला के दौरान गुंडिचा मंदिर (मौसी बाड़ी) में प्रभु जगन्नाथ की वेश-भूषा देखने के लिये बाहर से भी लोग पहुंचते है. कहा जाता है कि सरायकेला रथ यात्रा में वेश-भूषा परंपरा की शुरुआत 70 के दशक में शुरू हुई थी. गुरु प्रशन्न कुमार महापात्र, डोमन जेना, सुशांत महापात्र जैसे कलाकारों द्वारा प्रभु का वेष सज्जा किया जाता था. वर्तमान में गुरु सुशांत कुमार महापात्र के निर्देशन में स्थानीय कलाकारों द्वारा सरायकेला रथ यात्रा में वेश-भूषा परंपरा का निर्वहन किया जाता है.

क्या है कल्कि अवतार ?

भगवान विष्णु को जग का पालनहार कहा गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा कहा गया है कि जब-जब पृथ्वी पर कोई संकट आता है, तब-तब भगवान विष्णु अवतार लेकर उस संकट को दूर करते रहे हैं. वामन अवतार, नृसिंह अवतार, मत्स्य अवतार, रामावतार, कृष्ण अवतार ये सभी इस बात का सबूत है. हिंदू शास्त्रों में भगवान विष्णु के अवतारों का उल्लेख किया गया है. ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार अंतिम अवतार होगा, जो वे कलयुग में लेंगे और यह अवतार लेना अभी बाकी है. भगवान विष्णु कलयुग में कल्कि के रूप में कलयुग में अपना अंतिम अवतार लेंगे और इसके बाद धर्म की स्थापना करेंगे.

सतयुग का आरंभ होगा

श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार कलयुग में पाप और अत्याचार का विनाश करने के लिए भगवान विष्णु कल्कि का अवतार लेंगे. श्रीमद्भगवद्गीता में यह बात कही गई है कि जब-जब अधर्म और पाप का बोलबाला होता है, तब-तब धर्म की स्थापना के लिए भगवान अवतरित होते हैं. श्रीमद्भगवद्गीता में इस बात का वर्णन किया गया है कि भगवान कल्कि का अवतार कलयुग के अंत और सतयुग के संधि काल में होगा. ऐसी मान्यता है कि कल्कि अवतार में भगवान विष्णु देवदत्त नामक सफेद घोड़े पर अवतरित होकर आएंगे और वह धर्म की स्थापना में सहयोग करेंगे. उनके अवतरित होते ही सतयुग का आरंभ होगा.

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