इंडियन प्रीमियर लीग (IPL-23) में गुजरात टाइटंस के खिलाफ 20वें ओवर की अंतिम 5 गेंद पर लगातार 5 छक्के जड़कर कोलकाता नाइट राइडर्स को जीत दिलाने वाले अलीगढ़ के रिंकू सिंह अब क्रिकेट के सुपरस्टार बन गये. उन पर पैसे की ‘बारिश’ हो रही है. आम और खास उनका दीवाना हुआ जा रहा है. रिंकू का बीता हुआ कल आसान नहीं रहा. आईपीएल 2023 में गुजरात टाइटंस के खिलाफ मैच की अंतिम 5 गेंद पर लगातार 5 छक्के जड़ने वाले रिंकू कभी 50- 50 रुपये के लिए मोहताज थे. फर्श से अर्श तक पहुंचा आइपीएल के इस स्टार को फर्श पर पोछा लगाने का काम मिला था. घर-घर गैस सिलेंडर पहुंचाने वाले हॉकर पिता पर इतने पैसे भी नहीं होते थे कि वह बेटे को एक गेंद भी दिला सकें. क्रिकेट किट तो उनके लिए सपने की तरह थी.
एक इंटरव्यू में रिंकू सिंह बताते हैं कि शुरुआत के दिनों में अलीगढ़ के एक कोचिंग सेंटर पर झाड़ू पोछा का काम का ऑफर मिला था. वह काम अच्छा नहीं लगा और क्रिकेट को करियर के रूप में चुना. पढ़ाई में भी मन नहीं लगता था, हुनर के नाम पर बस क्रिकेट खेलना आता था. क्रिकेट के प्रति उनकी दीवानगी, मेहन और बतौर क्रिकेटर नाम कमाने की हठ उनको न केवल इंडियन प्रीमियर लीग तक लायी बल्कि सितारे की तरह उभार भी दिया. बहुत सरल भाव में आप बीती बताते हुए वह कहते हैं कि पांच भाई – बहन है. पड़ोसियों के साथ क्रिकेट खेलकर पले बढ़े. मॉडर्न कान्वेंट में साथ पढ़ने वाले दोस्तों के साथ पढ़ाई से अधिक क्रिकेट खेला. बाद में जादौन राइडर क्लब अलीगढ़ के लिए खेलना शुरू किया. यहां से पहचान मिली शुरू हुई तो फिर कभी पीछ़े मुड़कर नहीं देखा.
गोविला गैस एजेंसी पर काम करने वाले हॉकर पिता खानचंद सिंह के साथ एजेंसी के दो कमरे के घर में रहने वाले रिंकू सिंह बताते हैं कि उनके बल्ले ने पहली बार लैदर बॉल का सामना इंटर स्कूल टूर्नामेंट में किया. इस मैच में नाबाद 54 रन बनाए. खेमचंद के पास बेटे के खेल के लिए हर समय पैसे नहीं होते थे.वह चाहते थे कि बेटा पढ़लिख कर बड़ा साहब बने. हालांकि किसी भी मैच में रिंकू के बल्ले से रन निकलते की खबर उनको मिलती तो सिलेंडर उठाते- उठाते थक चुके कंधों में नयी जा जान आ जाती थी.
परिवार की माली हालत अच्छी नहीं होने पर स्कूल के दिनों में सरकारी स्टेडियम में प्रैक्टिस के लिए जाते. बड़े भोलेपन से रिंकू जब यह कहते है कि मां उनके खेल को प्रोत्साहित करती थी.हालांकि मां के पास खेल के लिए पैसे नहीं होते थे लेकिन मदद पूरी करती. रिंकू जब भी स्कूल में पीरियड गोल कर क्रिकेट खेलने के लिए चले जाते, मां पिता की डांट से बचाती. परिवार और रिश्तेदार उनके खेल को लेकर उस समय गंभीर हुए जब रिंकू का चयन अंडर-19 में हुआ. रणजी ट्रॉफी में खेलना उनके लिए ट्रर्निंग प्वाइंट रहा.
रिंकू सिंह को 2017 में आइपीएल खेलने का पहली बार मौका मिला था. पंजाब किंग्स ने दस लाख रुपये में खरीदकर अपनी टीम में शामिल किया. हालांकि रिंकू को इस टीम से एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला. केकेआर ने 80 लाख रुपये में जब उनको साइन किया तो इस बड़र रकम से सबसे पहले पिता का कर्ज उतारा. घर की जरूरतों को पूरा किया. आईपीएल में रिकॉर्ड तोड़ पारी के बाद रिंकू सिंह की ट्विटर और सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं. फिल्म अभिनेता शाहरुख खान, अर्जुन रामपाल, रणवीर सिंह, क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग, ब्रैंडन मैकुलम जैसे दिग्गजों ने रिंकू सिंह को बधाई दी.
रिंकू सिंह ने साल 2012 में स्कूल क्रिकेट वर्ल्ड कप में दिल्ली पब्लिक स्कूल के लिए यादगार प्रदर्शन किया. उनकी पहचान 35 नंबर की जर्सी बन गयी थी. पहली बार केकेआर की टीम का हिस्सा बने तो 35 नंबर जर्सी पहनी. वे आज भी 35 नंबर की जर्सी पहनकर क्रीज पर उतरते हैं तो बल्ला रन उगलने लगता है. अलीगढ़ स्पोर्ट्स एसोसिएशन का महुआ खेड़ा स्थित मैदान पर सोमवार को जश्न मनाया गया. यह वही मैदान है जिस पर रिंकू सिंह प्रैक्टिस करते हैं. क्रिकेट में इस खिलाड़ी के अभिभावक कहे जाने वाले अर्जुन सिंह फकीरा तथा कोच मसूदुज्जफर अमीनी का कहना था कि रिंकू ने कमाल कर दिया. अलीगढ़ अंतरराष्ट्रीय स्तर सुर्खियों में आ गया.