आज भले ही हम डिजिटल दुनिया की ओर तेजी से अग्रसर हो रहे हैं, लेकिन भारत में पुस्तकों के प्रकाशन और इसके पाठकवर्ग में कमी नहीं आई है. खासकर, जब हम हिंदी साहित्य की बात करते हैं, तो इसमें आज भी शोध और शोध प्रबंध प्रकाशित किए जा रहे हैं और उन पुस्तकों को पाठक भी मिल रहे हैं. हिंदी भाषी क्षेत्र राजस्थान के विश्वविद्यालयों में अध्येताओं की ओर से नित नई-नई पुस्तके प्रकाशित की जा रही हैं. इन्हीं पुस्तकों में से एक रेणु व्यास की प्रारम्भिकी पुस्तकमाला भी है.
हिंदी भाषा और साहित्य के प्रसिद्ध सेतु प्रकाशन ने अपनी प्रतिष्ठित पुस्तक शृंखला ‘प्रारम्भिकी’ में चित्तौड़गढ़ की मूल निवासी और राजस्थान विश्वविद्यालय में हिंदी की सहायक आचार्य डॉ रेणु व्यास द्वारा लिखित पुस्तक का प्रकाशन किया है. साहित्य और संस्कृति के संस्थान ‘सम्भावना’ के अध्यक्ष डॉ केसी शर्मा की ओर से जारी की गई एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि हिंदी के विख्यात लेखक स्वयं प्रकाश के अवदान और महत्व पर डॉ रेणु व्यास लिखित इस पुस्तक को सेतु प्रकाशन ने प्रकाशित किया है. उन्होंने बताया कि इस पुस्तक में स्वयं प्रकाश की कहानियों, उपन्यासों, निबंधों, नाटकों और बाल साहित्य का मूल्यांकन प्रस्तुत किया गया है.
‘प्रारम्भिकी’ शृंखला में अमीर खुसरो, मीरा, प्रेमचंद, दिनकर जैसे बड़े साहित्यकारों के बाद स्वयं प्रकाश पर इस पुस्तक को प्रकाशित किया गया है. लगभग दो सौ पन्नों की इस पुस्तक के पुस्तकालय और सामान्य संस्करण अब प्रमुख पुस्तक विक्रय केंद्रों और ऑनलाइन उपलब्ध हैं. उन्होंने बताया कि स्वयं प्रकाश हिंदी के जाने माने कथाकार और लेखक थे, जिन्होंने हिंदी कहानी लेखन में बहुत महत्वपूर्ण योगदान किया. वे लंबे अरसे तक चित्तौड़गढ़ में हिंदुस्तान ज़िंक लिमिटेड में सतर्कता अधिकारी भी रहे थे.
स्वयं प्रकाश के 20 कहानी संग्रह
बता दें कि हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार स्वयं प्रकाश का जन्म 20 जनवरी 1947 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुए था. अलग-अलग संस्थानों से उन्होंने पीएचडी तक की शिक्षा हासिल की. इनके 20 कहानी संग्रह, पांच उपन्यास, तीन नाटक, पांच निबंध संग्रह, तीन कथेतर पुस्तकों समेत दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं. उन्होंने कुछ किताबों का अनुवाद और संपादन भी किया है. ये प्रगतिशील वसुधा समेत अनेक पत्रिकाओं के संपादन से भी जुड़े रहे.
स्वयं प्रकाश को सम्मान
स्वयं प्रकाश को राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार, विशिष्ट साहित्यकार सम्मान, सुभद्रा कुमारी चौहान पुरस्कार, वनमाली पुरस्कार, पहल सम्मान, कथाक्रम सम्मान, भवभूति अलंकरण समेत कई पुरस्कार प्रदान किए गए हैं. सात दिसंबर 2019 को उनका निधन हो गया.
रेणु व्यास को जानें
वहीं, रेणु व्यास का जन्म 14 दिसंबर 1975 को हुआ. उन्होंने हिंदी में दिनकर के कृतित्व का साहित्यिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन विषय पर पीएचडी की डिग्री हासिल की. गांधी अध्ययन उनकी रुचि का क्षेत्र है. संप्रति ये राजस्थान विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में सहायक आचार्य हैं. उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं, जिनमें दिनकर: सृजन और चिंतन, मेरे साक्षात्कार : स्वयं प्रकाश (संपादित), कृति मूल्यांकन : कुरुक्षेत्र (संपादित), जो कही गई ना मुझसे आदि प्रमुख हैं.
Also Read: ‘संसद में नीतीश कुमार’ पुस्तक का हुआ विमोचन, जानिए बिहार के सीएम को लेकर इस किताब में क्या है जिक्र..राजस्थान विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य कर रहीं रेणु
बता दें कि डॉ रेणु व्यास ने इससे पहले स्वयं प्रकाश से लिए साक्षात्कारों का संचयन भी एक जिल्द में ‘मेरे साक्षात्कार’ शीर्षक से प्रस्तुत किया था. संभावना संस्थान से जुड़े डॉ कनक जैन ने बताया कि चित्तौड़गढ़ की मूल निवासी डॉ रेणु व्यास इन दिनों राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर में अध्यापन कर रही हैं और अपनी अनेक साहित्यिक कृतियों के लिए चर्चित रही हैं. डॉ रेणु व्यास की शिक्षा दीक्षा चित्तौड़गढ़ में हुई है, जहां उनके पिता राजकीय महाविद्यालय में अध्यापक रहे थे. उनकी इस उपलब्धि पर संभावना के सदस्यों ने बधाई दी है.