फ़िल्म – रॉकी रानी की प्रेम कहानी
निर्देशक – करण जौहर
निर्माता – धर्मा प्रोडक्शन
कलाकार – रणवीर सिंह, आलिया भट्ट, जया बच्चन,धर्मेन्द्र, शबाना आज़मी, तोता रॉय चौधरी,क्षिति जोग,चुरनी गांगुली और अन्य
प्लेटफार्म – सिनेमाघर
रेटिंग – तीन
साल 2016 में रिलीज हुई फ़िल्म ये दिल है मुश्किल के लगभग सात साल के अंतराल के बाद करण जौहर ने निर्देशक के तौर पर रुपहले परदे पर वापसी की है. करण जौहर की फिल्मों में भव्य सेट, महंगे कॉस्टयूम, खूबसूरत चेहरे इस बार भी है, इसके साथ ही रिश्तों का गुदगुदाने वाला तो कई बार इमोशनल कर देने वाला ताना बाना भी बुना गया है, लेकिन इस बार करण जौहर ने रिश्तों की इस कहानी में अहम मुद्दों पर गहरी बात भी रखी है. जो इस फ़िल्म को इंटरटेनिंग के साथ दिल को छू लेने वाली कहानी भी बना गया है.
फ़िल्म की कहानी की बात करें तो यह रॉकी (रणवीर सिंह) और रानी (आलिया भट्ट) की है. दो ऐसे लोगों की कहानी हैं, जो एक दूसरे से बिल्कुल अलग है. उनके परिवार वाले भी एक दूसरे से बिल्कुल अलग है, लेकिन उनके बीच प्यार का रिश्ता बहुत गहरा बन जाता है.वे दोनों जब शादी करने का फैसला करते हैं, तो दोनों यह तय करने के लिए कुछ समय के लिए एक-दूसरे के परिवार के साथ रहने का फैसला करते हैं कि शादी के बाद वे एक-दूसरे के परिवार के साथ तालमेल बिठा पाएंगे या नहीं.आख़िरकार शादी के लिए प्यार के साथ परिवार भी जरूरी है. आगे कहानी बहुत से ट्विस्ट एंड टर्न से गुजरती है. क्या रॉकी और रानी की प्रेम कहानी बरकरार रह पाएगी. यही फिल्म का मुख्य आधार है.
बीते कुछ सालों से बॉलीवुड में साउथ सिनेमा की धमक बढ़ी है, लेकिन यह फ़िल्म हर फ्रेम से बॉलीवुड वाली फ़िल्म है.करण जौहर की फ़िल्म है, तो लार्जर देन लाइफ अनुभव भी होगा. यह फ़िल्म भी अलग नहीं है. पहले फ्रेम से आखिरी फ्रेम तक परदे पर एक इवेंट परदे पर चल रहा है. फ़िल्म का फर्स्ट हाफ हंसी – मज़ाक से भरपूर है, तो सेकंड हाफ से कहानी अपने मूल मकसद पर आती है.यह फ़िल्म संस्कार के नाम पर पुरुषों में अहंकार भर देने की गलती को बताता है. यह फ़िल्म बताती अगर सिर्फ पत्नी ही पति की देखभाल कर रही है, पति नहीं तो यह संस्कार नहीं एक तरह की गुलामी है. कैंसिल कल्चर, हर शब्द को जज करने की मानसिकता पर भी यह फ़िल्म बात करती है. फ़िल्म में रणवीर और तोता रॉय चौधरी के बीच फिल्माया गया कत्थक सीन और ब्रा खरीदने वाला दृश्य फ़िल्म के हाईलाइट दृश्यों में से एक है.
करण जौहर ने अपने अंदाज में अपनी इस फ़िल्म से हिंदी सिनेमा को एक श्रद्धांजलि भी दी है. पुराने सुपरहिट गानों के जरिये फ़िल्म में कुछ दिलचस्प सीन फिल्माए गए हैं. फ़िल्म के संवाद शानदार हैं. वन लाइनर भी खास बन पड़े हैं खासकर रणवीर सिंह के अंग्रेजी में बोले गए संवाद. खामियों की बात करें तो फ़िल्म की लम्बाई थोड़ी बढ़ गयी है. फ़िल्म के पहले भाग में थोड़ी कैंची चलायी जा सकती है. शबाना आज़मी और धर्मेन्द्र वाला ट्रैक कई बार गोलमाल की भी याद दिला गया है. फ़िल्म के गीत – संगीत की बात करें तो करण जौहर की संगीत जिस तरह से करण की फिल्मों की आत्मा होती रही है. वो यहां मिसिंग है. फ़िल्म का गीत- संगीत कहानी और सिचुएशन के साथ न्याय तो कर गया है, लेकिन मामला यादगार वाला नहीं बना है.
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अभिनय की बात करें तो रणवीर सिंह ने अपने किरदार की बॉडी से लेकर उसके एक्सेन्ट सभी पर काम किया है.वे अपने अंदाज में फ़िल्म को खास बना गए हैं.आलिया भट्ट एक बार फिर स्क्रीन पर जादू बिखेर गयी हैं. उनकी और रणवीर सिंह की केमिस्ट्री भी फ़िल्म की खासियत है. जया बच्चन अपने सोशल मीडिया वाले अंदाज में इस किरदार को निभा गयी हैं.जो कई मौकों पर फ़िल्म के इंटरटेंमेन्ट लेवल को बढ़ा गया है.धर्मेन्द्र अपनी छोटी सी भूमिका में भी छाप छोड़ गए हैं. शबाना आज़मी, तोता रॉय चौधरी और क्षिति जोग अपने परफॉरमेंस से फ़िल्म में याद रह जाते हैं बाकी के किरदारों ने भी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है.