सलमान खान फिल्म्स की फिल्म ‘फर्रे’ बीते शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हुई है. इस फिल्म से सलमान खान की भांजी अलीजेह अग्निहोत्री ने हिंदी सिनेमा में अपनी शुरुआत की है. अपने एक्टर पिता अतुल अग्निहोत्री और अपने ननिहाल के परिवार की वजह से अलीजेह का हमेशा से फिल्मों के प्रति एक खास आकर्षण रहा है, लेकिन हमेशा से यह तय नहीं था कि वह अभिनेत्री ही बनेंगी. इस फिल्म, उससे जुड़ी तैयारी और करियर पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
आपके पिता एक्टर हैं और खान परिवार की लेगेसी किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में क्या हमेशा से तय था कि आपको एक्टिंग में आना है?
‘बॉडीगार्ड’ सहित कई फिल्मों के सेट पर मैं गयी हूं, लेकिन हमेशा से तय नहीं था. मगर ये जरूर कहूंगी कि क्रिएटिव चीजों को करते हुए मैं हमेशा इंजॉय करती हूं और मेरा दिमाग उसमें और चलने लगता था, तो लगा कि मुझे ये करना चाहिए, लेकिन जब आप फिल्म फैमिली से होते हैं, तो आप पर दबाव और ज्यादा बढ़ जाता है. आपको पूरी तैयारी के साथ आना पड़ता है. खुद को बेस्ट बनाकर लोगों के सामने आना होता है, वरना आप गायब हो जायेंगे. मैंने एक्टिंग, फोटोग्राफी, डायरेक्शन और एडिटिंग सभी पर काम किया है.
आपकी तैयारी क्या रही थी?
मैंने कई फिल्मों में असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम किया है. इसके अलावा, मैं नादिरा बब्बर के थिएटर ग्रुप ‘एकजुट’ से भी काफी समय तक जुड़ी रही. ‘एकजुट’ से जुड़ने का मुख्य मकसद उन युवा अभिनेताओं से जुड़ने का था, जो मुंबई से बाहर से आते हैं. उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है.
आपके परिवार में एक्टर्स, राइटर और डायरेक्टर सभी हैं. आप किससे राय लेना पसंद करती हैं?
मैं सभी की राय लेती हूं. आखिरकार सभी के पास दशकों का अनुभव है. अगर किसी की कोई एडवाइज कुछ खास बदलाव लाती है, तो जिसने यह एडवाइज दी होती है, मैं उन्हें यह बताना नहीं भूलती हूं कि यह बदलाव हुआ है.
आपके मामा सुपरस्टार सलमान खान की एडवाइज क्या रही है?
उनकी सबसे बड़ी खासियत है कि वह इतने बड़े सुपरस्टार हैं, वह यह बात आपको महसूस ही नहीं होने देते हैं. वह ज्यादा राय नहीं देते हैं कि मैंने ऐसा किया, वैसा किया तो मुझे ये स्टारडम मिला है. बस इतना कहते हैं कि अपना काम पूरी मेहनत और ईमानदारी से करो. खुद को साबित करने के लिए यह तुम्हारे लिए मौका है. कैमरा बहुत बारीकी से सबकुछ देख लेता है. तो ये बात कभी मत भूलना. वैसे वह हमेशा से ही बोलते थे कि मैं अभिनेत्री ही बनूंगी, लेकिन मैं शुरुआत में इंकार करती थी.
आप अपने तीनों मामा में से सबसे अधिक किसके करीब हैं?
मैं अपने तीनों मामा सलमान, अरबाज और सोहेल के करीब हूं, लेकिन इसके साथ ही इस बात से भी इंकार नहीं कर सकती हूं कि सबसे ज्यादा क्लोज बॉन्ड सोहेल मामा के साथ है. वह बच्चों के साथ बेस्ट हैं. हम बच्चों के साथ समय बिताने के लिए वह खासतौर पर समय निकालते हैं. उनका और मेरा सेंस ऑफ ह्यूमर लगभग एक जैसा ही है, तो हमारी बॉन्डिंग और बढ़ जाती है.
नाना सलीम खान के साथ को किस तरह से परिभाषित करेंगी?
मेरी पहली फिल्म ‘फर्रे’ 24 नवंबर को रिलीज हुई, जो उनका जन्मदिन है. पूरे परिवार में उनकी राय सबसे ज्यादा मायने रखती है, क्योंकि वह बहुत ही ईमानदारी के साथ अपनी बात रखते हैं. फिल्म ‘फर्रे’ उन्होंने देखी है और उन्होंने मुझे कुछ कहा भी है, लेकिन मैं उसे आपसे शेयर नहीं कर पाऊंगी. यह बहुत ही निजी है.
आप फिल्मी परिवार में पली-बढ़ी हैं. किस फिल्म का आप पर प्रभाव रहा है?
मुझे याद है कि एक बार मैं फ्लाइट में थी, उस वक्त मुझे समझ नहीं आ रहा था कि लाइफ में क्या करूं. उस वक्त मैंने फ्लाइट में इम्तियाज सर की फिल्म ‘हाइवे’ देखी. कमर्शियल कैनवास पर कितनी रोचक है ये फिल्म. उस फिल्म ने मुझे काफी प्रभावित किया. जब मैंने अपना ऑडिशन दिया, तो मुझे पहला सीन ‘हाइवे’ फिल्म से ही परफॉर्म करने को दिया गया था. शायद इसी को जिंदगी कहते हैं. वैसे मेरे फेवरेट फिल्मों में ‘तलवार’, ‘जिंदगी मिलेगी ना दोबारा’ और ‘दिल चाहता है’ भी है. रियलिस्टिक विषयों का कमर्शियल ट्रीटमेंट मुझे काफी प्रभावित करता है.
इंडस्ट्री किड होने के नाते प्यार के साथ-साथ आलोचनाएं भी खूब मिलती हैं. आप आलोचनाओं के लिए कितनी तैयार हैं. खासकर नेपोटिज्म और स्टार किड जैसे टैग के लिए?
मैं हर सवाल का बहुत ही शालीनता से जवाब दूंगी. जो जैसा आयेगा, मुझे उसे वो स्वीकार करना होगा. वैसे मैं अगर अपने काम के प्रति ईमानदार रहूंगी, तो लोग मुझे नोटिस कर ही लेंगे. मैं कहना चाहूंगी कि यह सिर्फ मेरी लांचिंग फिल्म नहीं है. इस फिल्म में मेरे साथ और भी कई युवा कलाकार हैं. मैं उन्हें गर्व महसूस करवाना चाहती हूं. उनके बिना यह फिल्म पॉसिबल ही नहीं थी.