कानपुर. शहर में इस समय वायरल, मौसमी बुखार, तापमान में बदलाव और डेंगू का प्रकोप काफी अधिक है. चार तरह के बुखार से लोग ग्रस्त हैं. ऐसे में डॉक्टर मरीज को अंदाज से दवा लिखते हैं. वायरस की पहचान के लिए करीब एक माह पहले जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग से 21 सैंपल जांच के लिए लखनऊ के केजीएमयू भेजे गए थे. जो वहां रखे-रखे बेकार हो गए. इससे जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर को वायरस के संबंध में जानकारी नहीं मिल पाई है. वहीं, माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर विकास मिश्रा का कहना है कि एक माह पहले 21 सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे, जिसकी रिपोर्ट नहीं आ सकी. फिर से सैंपल भेजे जा रहे हैं ताकि वायरस व डेंगू के स्ट्रेन की जानकारी हो सके.
शहर में संक्रामक बीमारियों का नया खतरा पैदा हो गया है. वायरल के साथ कंजक्टिवाइटिस का डबल अटैक शुरू हो गया है. हैलट में बीते तीन दिनों में इसके 39 मरीज रिपोर्ट हुए हैं, इन सभी को वायरल है. दो गंभीर मरीजों को भर्ती कराया गया है. जबकि निजी नेत्र डॉक्टरों के पास कंजक्टिवाइटिस के सौ से ज्यादा मरीज हफ्तेभर में आए हैं. मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग की एचओडी प्रो. शालिनी मोहन का कहना है कि कंजक्टिवाइटिस के मरीज फिर से आने लगे हैं इसमें बच्चे भी शामिल हैं.
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कानपुर शहर संक्रामक बीमारियों से हांफने लगा है, मौसम में उतार-चढ़ाव से कई वायरसों ने एक साथ दस्तक दी है. वायरसों के हमले का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस सीजन में पहली बार 24 घंटे में रिकॉर्ड 50 डेंगू केस रिपोर्ट हुए हैं जबकि चिकनगुनिया के पांच केस आए हैं. हालात का इसी से अंदाज लगाया जा सकता है कि हैलट में 1592 तो उर्सला 296 बेड मरीजों से भर गए हैं.
वहीं, दोनों अस्पतालों में पहली बार बुखार के 989 मरीज रिपोर्ट हुए. निजी अस्पताल भी फुल होने की कगार पर पहुंचने लगे हैं. एसीएमओ डॉ.आरपी मिश्र के अनुसार चिकनगुनिया के 13 में 5 पॉजिटिव केस पाए गए. मेडिकल कॉलेज के प्रो. जेएस कुशवाहा और प्रो. एसके गौतम ने भी माना है कि इस समय बुखार चरम पर है. डेंगू, चिकनगुनिया, वायरल, कंजक्टिवाइटिस समेत सौ से ज्यादा वायरस एक्टिव हैं. बाल रोग विशेषज्ञ प्रो. यशवंत राव ने अनुसार इस समय वायरस मौसम के कारण पहले से ज्यादा मारक हो गया है.
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