महाराष्ट्र में शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशक के पद पर बहाल होने के लिए सीपीएड व बीपीएड की जो डिग्री अमान्य है, उसपर किशनगंज जिले में अभ्यर्थी नियुक्त होने पहुंच गये. ऐसे कई डिग्रीधारी चयनित भी हो गये और बिना किसी दिशा निर्देश के ऐसे में कइयों को नियुक्ति पत्र भी दे दिया गया. बताते चलें कि ज्यादातर वैसे सर्टिफिकेट जो ‘संदेह’ के घेरे में हैं, वे महाराष्ट्र के अमरावती के संस्थान से प्राप्त हैं.
हालांकि प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने अमरावती से प्राप्त अभ्यर्थियों की डिग्री पर तत्काल नियोजन रोकने का निर्देश दिया है, लेकिन किशनगंज जिले के कई प्रखंडों में ऐसे शिक्षकों को नियोजन पत्र इस आधार पर दे दिया गया कि विभाग से स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं मिला है जबकि 24 मई को ही विभागीय वीडियोकांफ्रेसिंग में संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ की डिग्री प्राप्त चयनित अभ्यथियों को नियुक्ति पत्र निर्गत करने के मामले में रोक लगा दी गई थी.
दरअसल, मध्य विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशक पद पर अंतिम रूप से चयनित अभ्यर्थियों को 28 मई (शनिवार) को प्रखंड नियोजन इकाइयों द्वारा नियुक्ति पत्र वितरित किया जाना था. इसके पूर्व 12 मई को मेधा सूची में चयनित अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र सत्यापन व काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया था.नियोजन इकाई और जिलों के विभागीय अफसर कई चयनित अभ्यर्थियों के सीपीएड व बीपीएड प्रमाणपत्र देखकर चौंक गये.
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प्रमाणपत्र अमरावती से जुड़े संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ से निर्गत हुए थे. इनपर लिखा था- ‘यह सर्टिफिकेट महाराष्ट्र में मान्य नहीं है’. यह देखकर अफसरों के कान खड़े हो गये कि प्रमाणपत्र निर्गत होने वाला राज्य ही जब मान्यता नहीं दे रहा है तो इसपर बिहार में कैसे नियुक्त की जाय. फिर जिलों ने प्राथमिक निदेशालय और शिक्षा विभाग से संपर्क साधा और तत्काल ‘अमरावती’ डिग्रीधारियों को नियुक्ति पत्र देने पर रोक लगा दी गई.
जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र के अमरावती में सीपीएड व बीपीएड की डिग्री देने वाले करीब डेढ़ दर्जन संस्थान हैं, जिनमें आधा दर्जन की डिग्री संदेह के घेरे में है. जिलों में सबसे अधिक चर्चा में संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ की डिग्री की है.
जिस प्रमाण पत्र को प्रमाण पत्र निर्गत करने वाला राज्य ही मान्यता नहीं दे रहा है उस प्रमाण पत्र पर किशनगंज में चार शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति कर उन्हें नियुक्ति पत्र भी दे दिया गया है. जिले के विभिन्न प्रखंडों में नियुक्त इन लोगो को नियुक्ति पत्र देने के पूर्व विभागीय आदेश का इंतजार तक करना प्रखंड नियोजन इकाई ने मुनासिब नहीं समझा.
Posted By: Thakur Shaktilochan