अलीगढ़ . “कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो”. शबनम ने यह कर दिखाया है कि कोई भी कार्य कठिन नहीं होता है. बस जरूरत है सही मन और पक्के इरादे से उस कार्य को पूरा करने की कोशिश करना. झुग्गी झोपड़ी में बिना बिजली के रहने वाली शबनम ने इंटर फर्स्ट डिवीजन पास किया है. वह दिन में ही 3 घंटे पढ़ती थी,क्योंकि रात को लाइट नहीं होती थी. शबनम की मां रामप्यारी घरों में चूल्हा चौका करती हैं. पिता चरण सिंह टीवी की बीमारी से ग्रस्त हैं. शबनम दो बहन और तीन भाई हैं . तीन भाइयों की शादी हो गई है और वह अलग रहते हैं .
शबनम हाबुड़ा जाति से ताल्लुक रखती है. विमुक्त जातियों की श्रेणी में आने वाली इस जाति-बिरादरी में किसी लड़की ने इंटर तक पढ़ाई नहीं की. यह घुमंतू हाबुड़ा जाति के लोगों में लड़कियों की जल्द शादी कर दी जाती है. हैंड फॉर हेल्प संस्था के सुनील कुमार बताते हैं कि इनकी बिरादरी में किसी लड़की ने इंटर तक पढ़ाई नहीं की. प्रथम श्रेणी में पास होने के बाद शबनम बैंकिंग क्षेत्र में काम करना चाहती है. एक बैंक अधिकारी बनने का सपना है.
शबनम बन्ना देवी स्थित लोहियानगर के झुग्गी झोपड़ी में रहती है.शबनम अभी तक की एक मात्र बच्ची है जिसने झुग्गी में रहते हुए प्रथम श्रेणी में इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण किया है. शबनम कुमारी ने 67.1% अंक अत्यंत विषम परिस्थिति में हासिल किए हैं. शबनन को हैंड फार हेल्प संस्था किताबें, ड्रेस, फीस आदि का सहयोग करती है. संस्था ने शबनम का दाखिला उदय सिंह जैन इंटर कालेज में कराया था. पिछले सात साल से शबनम को शिक्षा के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
हैंड्स फ़ॉर हेल्प संस्था के सुनील कुमार ने बताया कि यह अत्यंत गर्व का दिन है, संस्था द्वारा कमजोर तबकों के बच्चों को पढ़ाई के लिए सहयोग करती है. शबनम के इंटर में अच्छे मार्क्स लाने पर संस्था का सपना पूरा हुआ. सुनील ने बताया कि हमारा प्रण है कि कोई भी आर्थिक बदहाली के कारण शिक्षा से वंचित न रहे. शबनम के प्रथम श्रेणी में इंटर की परीक्षा उतीर्ण करने पर परिवार में खुशी है. शबनम के चेहरे पर मुस्कुराहट है. शबनम के पिता ने संस्था का आभार व्यक्त किया और अपनी बच्ची शबनम को मिठाई खिला कर आशीर्वाद दिया .