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जीवंत विश्व धरोहर बना शांतिनिकेतन, गुरुदेव रविन्द्र नाथ ठाकुर की वैश्विक सोच दुनिया में लायेगा बदलाव 

शांतिनिकेतन को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है. हालांकि केंद्र सरकार के आदेश पर ही आज शांतिनिकेतन में गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर की प्रिंटिंग प्रेस, जिसकी सदियों पुरानी परंपरा और इतिहास है. पिछले पांच वर्षों से बंद है.

शांतिनिकेतन, मुकेश तिवारी : दक्षिण बंगाल के राढ भूमि वाले बीरभूम जिले में मौजूद शांति निकेतन को यूनेस्को की हेरिटेज सूची में गत 17 सितंबर 23 को विश्व धरोहर समिति के 45 वें सत्र रियाद, सऊदी अरब साम्राज्य में आयोजित सभा में घोषित किया गया. केंद्र सरकार की पहल पर यूनेस्को ने ही प्रसिद्ध शांति निकेतन (Shanti Niketan) को विश्व धरोहर घोषित किया है. अब यूनेस्को की विश्व धरोहर में भारत में शांति निकेतन 41 वा स्थान प्राप्त किया है.वही पश्चिम बंगाल में चौथा हेरिटेज की सूची में शामिल हुआ.1921 में 1130 एकड़ भूमि पर शांति निकेतन की स्थापना की गई थी. मई 1922 में जब तक विश्व भारती सोसाइटी को एक संगठन के रूप में शामिल नहीं किया गया, तब तक इसका नाम नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के नाम पर रखा गया था.

जीवंत विश्व धरोहर बना शांतिनिकेतन

रवींद्रनाथ ने उस समय अपनी कई संपत्तियां, जमीन और एक बंगला विश्व भारती सोसाइटी को दान कर दिया था. यह आजादी तक एक कॉलेज था और 1951 में संस्थान को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था.विश्व भारती के पहले कुलपति रवींद्रनाथ टैगोर के पुत्र रथींद्रनाथ टैगोर थे और दूसरे कुलपति नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के बड़े भाई थे. बताया जाता है की कुछ दिन पहले यूनिवर्सिटी के एक समारोह में बोलते हुए मौजूदा वाइस चांसलर विद्युत चक्रवर्ती ने कहा था, ‘यूनेस्को हेरिटेज कमीशन दुनिया में पहली बार किसी जीवित यूनिवर्सिटी को हेरिटेज बनाया है. यह हमारे लिए गर्व की बात है.आज शांति निकेतन को यूनेस्को ने हेरिटेज सूची में शामिल कर हम सभी लोगों को गर्वित किया है.विद्युत चक्रवर्ती ने बताया की उत्तराखंड के रामगढ़ में भी विश्व भारती विश्वविद्यालय का एक परिसर खोलने की योजना है.

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शांति निकेतन को विरासत की मान्यता का मुद्दा 2010 में योजना में लाया गया

इससे देश के और छात्र छात्राओं को शिक्षा ग्रहण में सुविधा होगी. इससे पहले इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (ICOMOS) के प्रतिनिधिमंडल ने शांति निकेतन के विभिन्न स्थानों का दौरा किया था. टीम में एक अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ और भारत सरकार के एक प्रतिनिधि भी शामिल थे.उन्होंने शांति निकेतन के मंदिर, आर्ट गैलरी समेत कई जगहों का दौरा किया था. यूनेस्को की वेबसाइट से उपलब्ध जानकारी के अनुसार, शांति निकेतन को विरासत की मान्यता का मुद्दा 2010 में योजना में लाया गया था. उस वर्ष कविगुरु की 150वीं जयंती थी.उस साल केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने शांतिनिकेतन को विरासत स्थल घोषित करने के लिए दूसरी बार आवेदन किया था. शांति निकेतन को विश्व विरासत स्थल के रूप में यूनेस्को की सूची में शामिल होने की खबर से विश्व भारती के छात्र छात्राओं समेत अध्यापकों के साथ विश्व भारती  के आसपास बोलपुर के लोगों समेत बंगाल और देश के लोगों भी खुशी है.

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एक झलक शांति निकेतन की धरोहर

  • उपासना गृह (ब्रह्म मंदिर ) : विश्व भारती शांति निकेतन का यह यह भी महत्वपूर्ण स्थल है. कांच का एक अलंकृत कक्ष है. यही पर प्रार्थना सभा आदि होता है.

  • रविंद्र भवन संग्रहालय : शांति निकेतन के उत्तरायण संकुल के अनेक घरों में से एक घर में यह लघु किन्तु रोचक संग्रहालय स्थित है. सम्पूर्ण संग्रहालय रविंद्रनाथ टैगोर को समर्पित है. इस संग्रहालय का सर्वाधिक विशेष आकर्षण था टैगोर को प्रदत्त नोबल पुरस्कार का पदक जो कुछ वर्षों पूर्व यहाँ से चोरी हो गया था.

  • अमर कुटीर: विश्व भारती शांति निकेतन का अमर कूटी हस्तकला द्वारा निर्मित वस्तुओं की एक दुकान के रूप में स्थापित की गई है.यहां पर परिधान, वस्त्र, ढोकरा शिल्पकला की कलाकृतियाँ, नारियल की कवटी से बने कृत्रिम आभूषण, चमड़े की वस्तुएं आदि का क्रय विक्रय होता है.

  • उत्तरायण संकुल : शांति निकेतन में मौजूद टैगोर (ठाकुर) परिवार के सदस्यों द्वारा निर्मित अनेक घर हैं. उनमें कुछ के नाम हैं, उदयन, कोणार्क, श्यामली, पुनश्च तथा उदीची.

    उत्कृष्ट नक्काशीदार लकड़ी की पट्टिकाएं लगी हुई है. यहां गुरु देव का कार तथा छापाई यंत्र रखा हुआ है.

प्रिंटिंग प्रेस बंद होने से रोष

शांतिनिकेतन को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है. हालांकि केंद्र सरकार के आदेश पर ही आज शांतिनिकेतन में गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर की प्रिंटिंग प्रेस, जिसकी सदियों पुरानी परंपरा और इतिहास है. पिछले पाँच वर्षों से बंद है. प्रिंटिंग प्रेस को बंद करने को लेकर शांतिनिकेतन के छात्र छात्राओं ,अध्यापकों आश्रम निवासियों ने केंद्र सरकार और विश्व भारती प्रबंधन की भूमिका पर रोष है.

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शान्तिनिकेतन की  स्थापना 1901 में गुरुदेव रविन्द्रनाथ ठाकुर ने की

वाइस चांसलर विद्युत चक्रवर्ती ने कहा कि 17 सितंबर 2023 को 45 वीं विश्व धरोहर, यूनेस्को की बैठक रियाद, सऊदी अरबिया में आयोजित हुई. शांतिनिकेतन जो 1901 में गुरुदेव रविन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा स्थापित ब्रहमचर्य विद्यालय, तथा 1921 में रूपांतरित होकर विश्व विद्यालय हुआ तथा 1951 में स्वतंत्र भारत की प्रथम केंद्रीय विश्वविद्यालय बना, इस संस्थान की महत्ता को सम्मान देने हेतु इसे विश्व धरोहर की सूची में सम्मिलित कर लिया गया. यूनेस्को के विभिन्न प्रकार के धरोहरों की महत्व को समझते हुए एक सूची तैयार करती है तदोपरान्त उसके रखरखाव एवं सुरक्षा एवं संरक्षा की व्यवस्था स्थानीय सरकारों के सहयोग से करती है. शांति निकेतन का चयन प्रमुखत: दो विंदुओं को ध्यान में रख कर किया गया है, जिनमें प्रथम यहां का (विश्व भारती) मानवतावादी सिद्धांत संरचनाओं के उत्थान यहाँ की जीवन्त कला परम्परा के ’लैंडस्केप और टाउन प्लानिंग’ की विशेषता. द्वितीय यहां की जीवंत कलात्मक दार्शनिक, वैचारिक परंपरा जो सतत रूप से संचालित है, इसे विशेष महत्व दिया गया है.

शांतिनिकेतन पर्यटकों के लिये बनेगा आकर्षण का केन्द्र

द्वितीय यहां की जीवंत कलात्मक दार्शनिक, वैचारिक परंपरा जो सतत रूप से संचालित है, इसे विशेष महत्व दिया गया है.इन दोनो विंदुओं को मूल रूप से ध्यान में रख कर इसके आश्रम भाग को इस (विश्व धरोहर की) सूची मे सम्मिनित किया गया है. जो गुरुदेव रविन्द्र नाथ ठाकुर की वैश्विक सोच एवं पारंपरिक शिक्षा प्रणाली के पुर्नउत्थान की दिशा में किए गए सराहनीय कार्यों की वैश्विक मानचित्र पर प्रतिविंबित  करने का एक महती प्रयास है. इस सूची में शामिल होने से विश्व भारती, शांतिनिकेतन के लिए एक गौरव की बात है, क्योंकि यह दुनिया का एक मात्र जीवंत विश्वविद्यालय है जिसे यह सम्मान प्राप्त हुआ है. इसका लाभ मौलिक रूप से यहां के प्राचीन संरचनाओं के संरक्षण,परिवेश के उत्थान में बहुत उपयोगी साबित होगा.स्थानीय समाज, बंगाल के साथ ही पूरे देश को पर्यटन / पर्यटकों की बढ़ी संख्या में आने से आर्थिक लाभ भी बड़े पैमाने पर होगा.

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कुटीर उद्योग में होगी आर्थिक लाभ होने की संभावना

यहा के कुटीर उद्योग एवं समाज को प्रचुर मात्रा में आर्थिक लाभ होने की संभावना होगी. इस उपलब्धी का लाभ सीधे तौर पर यहां के छात्रों एवं विश्वविद्यालय के शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कर्मियों को होगा. यहां की डिग्री की वैश्विक पहचान एवं सम्मान के साथ यहां के पारम्परिक शैक्षिक उपायक, संगीत शिल्प इत्यादि से भी वैश्विक पटल पर पहचान प्राप्त होगी .जिसका दूरगामी परिणाम अपेक्षित है. तत्कालीन रूप से यहां के विद्यार्थियों को वैश्विक पटल पर भी एक विशिष्ट सम्मान प्राप्त होगा तथा यहां का मौलिक दर्शन एवं जीवन शैली भी पूरे विश्व में सम्मानित होगी. प्राचीन पारंपरिक शिक्षा प्रणाली जो उपनिषदों एवं बौद्ध साहित्य पर आधारित रही उसे लाकर यह आयाम गुरुदेव ने दिया, अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) मौलिक रूप से गुरुदेव के विचारो से काफी प्रभावित है. मातृ भाषा और मौलिक विचारों का समायोजन ही मूल है.जो गुरुदेव के दर्शन से काफी प्रभावित है. जिसमे बुनियादी शिक्षा का अहम योगदान समाहित किया गया है.

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शांतिनिकेतन का यह सम्मान निस्संदेह देश के लिए गौरव की बात

  • सुदीप्त भट्टाचार्य (अध्यापक ) : यूनेस्को ने शांतिनिकेतन को विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया है.शांतिनिकेतन का यह सम्मान निस्संदेह देश के लिए गौरव की बात है. इस घोषणा के बाद शांतिनिकेतन में उत्सव का माहौल है.रविंद्रनाथ टैगोर मानवता को राष्ट्रवाद से ऊंचे स्थान पर रखते थे.शांतिनिकेतन के आस-पास कई सारी जगहें हैं जो घूमी जा सकती हैं. शांति निकेतन (विश्व भारती) में भारतीय संस्कृति और परम्परा के अनुसार दुनियाभर की किताबें पढ़ाई जाती हैं.गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित शांति निकेतन को यूनेस्को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया जाना हम सभी के लिए गर्व की बात है. विश्व धरोहर होने से शांति निकेतन और विश्व भारती का सुनाम अब और तेजी के साथ पूरी दुनिया में होगी.यहां के पढ़ने वाले छात्र छात्राओं का महत्व और बढ़ जाएगा. शांति निकेतन के आस पास के क्षेत्र का विकास होगा. आर्थिक समृद्धि यहां बढ़ेगी. विदेशी पर्यटकों की और विश्व भारती ने पढ़ने के लिए विदेशी छात्रों की भी संख्या बढ़ेगी.

  • सोमनाथ साव (छात्र संगठन के नेता) : यूनिवर्सिटी को पर्यटकों से अच्छी आय मिलेगी . इस आय से पर्यटन के क्षेत्र में बदलाव आएगा. इससे विश्वविद्यालय को समग्र विकास सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. हेरिटेज होने से यूनिवर्सिटी को विकास के लिए काफी फंड मिल सकता है. इससे दुनिया में विश्वविद्यालय का मान बढ़ेगा. छात्रों, शिक्षकों और अन्य हितधारकों को अकादमिक करियर, अनुसंधान कार्य, परियोजनाओं आदि से संबंधित विभिन्न अवसर मिलेंगे. दुनिया के विभिन्न हिस्सों से गुणवत्ता वाले छात्र यहां आएंगे और इसलिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में धीरे-धीरे सुधार होगा. विश्वविद्यालय का समग्र सुधार अन्य विश्वविद्यालयों से भिन्न होगा.भविष्य में यह एक ऐसा स्थान हो सकता है जहां सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार एक छात्र या संकाय या गैर-शिक्षण कर्मचारी के रूप में मौका पाने के लिए एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करेंगे. समृद्ध संस्कृति, पारंपरिक प्रथाएं इसे अलग बनाती हैं. भविष्य में यह शिक्षा, अच्छी प्रथाओं, संस्कृतियों के आदान-प्रदान का केंद्र हो सकता है. यह मानवता, दया, सद्भाव, सामाजिक जिम्मेदारियों का केंद्र हो सकता है. तुरंत हम किसी बदलाव का सामना नहीं कर सकते, लेकिन धीरे-धीरे विश्वभारती के आंतरिक अर्थ को सफलता मिलेगी या सही राह मिलेगी. टैगोर के विचारों से हम समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं.इसलिए नई उपलब्धि से टैगोर के विचारों को फैलाने में मदद मिलेगी.

  • सुप्रियो टैगोर (रविंद्रनाथ टैगोर परिवार सदस्य ) : यूनेस्को द्वारा शांति निकेतन को जीवंत हेरिटेज घोषित होने से उम्मीद है कि इसमें नया बदलाव आएगा .उम्मीद है कि विश्व विद्यालय प्राधिकरण मुख्य परिसर की देखभाल करेगा. वह पूर्णतः सत्ता एवं शिक्षकों पर निर्भर है.उम्मीद है कि प्राधिकरण शिक्षा के स्तर में सुधार लाने का प्रयास करेगा. इन सब के बावजूद रविंद्र नाथ टैगोर के आदर्शों को ध्यान में रखा जाना चाहिए और उन पर अमल किया जाना चाहिए. यह सबसे बड़ी बात होगी.यह पूरी तरह से यूनिवर्सिटी अथॉरिटी पर निर्भर करता है की वे लोग किस तरह इसका मान बनाए रखते है.मुझे आशा है कि वीबी प्राधिकारी और शिक्षक उन्हें दिए गए इस विश्व धरोहर रूपी सम्मान की सराहना करेंगे.

  •  जवाहर सरकार ( सेवानिवृत्त नौकरशाह और राज्यसभा सांसद) : भारत शांतिनिकेतन के लिए यूनेस्को टैग प्राप्त करने के लिए 2011 से प्रयास कर रहा था. यह विश्व धरोहर स्थल घोषित होने वाला बंगाल का पहला मानव निर्मित ऐतिहासिक स्थल है.विश्व भारती के हेरिटेज होने से क्षेत्र में पर्यटन बढ़ेगा और इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा.जहां तक ​​विश्व भारती का सवाल है, इससे भीड़ हो सकती है लेकिन इस विश्वविद्यालय में संस्थान दूर-दूर तक फैले हुए हैं इसलिए यदि कोई गड़बड़ी होगी तो वह इतनी अधिक नहीं होगी. विश्वव्यापी प्रदर्शन के मामले में विश्वविद्यालय को लाभ होगा लेकिन उसे पर्यटन प्रबंधन के लिए अतिरिक्त लागत भी वहन करनी होगी. इन अतिरिक्त खर्चों की भरपाई के लिए इसे पर्यटन से कुछ राजस्व प्राप्त हो सकता है. शिक्षा पर सटीक प्रभाव कहना मुश्किल है क्योंकि वीबी विश्वविद्यालय की अतीत में काफी प्रतिष्ठा रही है और हर जगह बेहतर कॉलेज और विश्वविद्यालय खुल रहे हैं.

यूनेस्को के तहत भारत के विश्व धरोहर

यूनेस्को के भारत में मौजूद विश्व धरोहर में कुल 42 धरोहर शामिल है. इनमे 33 संस्कृति क्षेत्र, 7 प्राकृतिक क्षेत्र तथा 1 मिश्रित क्षेत्र के रूप में विश्व विरासत है.  पश्चिम बंगाल में शांति निकेतन के विश्व यूनेस्को हेरिटेज के तहत सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान (1987),नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान (1988), दार्जिलिंग पर्वतीय रेलवे टॉय ट्रेन (1999) तथा शांति निकेतन (2023) है.

यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति का बयान

यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के एक बयान में कहा गया है कि शांतिनिकेतन पिछली शताब्दी की शुरुआत में संकल्पित “अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिक और सांस्कृतिक संस्थान के सबसे अग्रणी दृष्टिकोण” में से एक है.“यह साइट रवीन्द्रनाथ टैगोर के दृष्टिकोण और दर्शन का प्रमाण है, जहां बच्चों की शिक्षा, प्रकृति प्रेमपूर्ण वातावरण, संगीत का उपयोग और भावनात्मक विकास के लिए कला सहित विभिन्न तत्वों के संयोजन का उपयोग करके ‘दुनिया एक सूत्र में बांधेगी.”इस दृष्टिकोण में स्थानीय समुदाय की मदद करने के लिए सामाजिक कार्य, दर्शन, संस्कृतियों आदि पर शोध शामिल है और अपनी जीवित परंपरा के माध्यम से अपनी विशिष्ट प्रामाणिकता और अखंडता को बनाए रखना जारी है. टैगोर परिवार से विश्वभारती में स्वामित्व परिवर्तन के बाद भी साइट की अखंडता बरकरार रखी गई है.

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क्या कहना है एएसआई कोलकाता सर्कल प्रमुख राजेंद्र यादव का

एएसआई कोलकाता सर्कल प्रमुख राजेंद्र यादव (Rajendra Yadav) ने बताया की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने शांति निकेतन के लिए किया था डोजियर तैयार वर्ष 2010 में, केंद्र ने पहली बार शांतिनिकेतन के लिए विश्व विरासत लिस्ट में शामिल करने का प्रयास किया गया था. उसके बाद 2021 में फिर से इसके लिए अभियान चलाया गया. इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने एक डोजियर तैयार कर यूनेस्को को प्रस्तुत किया जिसके बाद यह फैसला लिया गया. प्रसिद्ध संरक्षण वास्तुकार, आभा नारायण लांबा ने शांतिनिकेतन के यूनेस्को नामांकन के लिए डोजियर तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.उन्होंने बताया की शांति निकेतन के 20 भवनों, स्मारकों आदि का बड़े पैमाने पर  पारंपरिक रूप से संरक्षण का कार्य किया था.जिनमें कई प्रमुख भवन, स्मारक मौजूद है.

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