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नवरात्रि: कानपुर के इस मंदिर में बंद ताले से किस्मत खोलती हैं मां काली, मूर्ति की स्थापना का रहस्य आज भी कायम

कानपुर: 300 साल पुराने मां काली के मंदिर में ताला चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती हैं. मंदिर के प्रांगण में ताला लगाने की परंपरा है. मान्यता है कि मां के दरबार में सच्ची भक्ति के साथ आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है, जो भी भक्त सच्चे मन से ताला लगाता है, मां उस भक्त की पुकार जरूर सुनती हैं.

Kanpur News: शारदीय नवरात्र की रविवार से शुरुआत हो गई है, कानपुर में शहर के बंगाली मोहाल स्थित तीन सौ साल पुराने मां काली का मंदिर सुबह से ही भक्तों से गुलजार है. यहां श्रद्धालु देवी मां के दर्शन पूजन के लिए उमड़े हुए हैं. इस मंदिर की काफी मान्यता है और यहां से जुड़ी एक प्रथा इसे और खास बनाती है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जो भी भक्त नवरात्र के दिनों में मां के दरबार पर हाजिरी लगाने के साथ ही ताला चढ़ाता है, मां काली उसकी मुराद जरूरी पूरी करती हैं. वहीं जब मुराद पूरी हो जाती है तो भक्त मंदिर में आकर ताला खोलकर ले जाते हैं. मां काली का ये मंदिर करीब तीन सौ साल से भी ज्यादा पुराना है. यहां ​विराजमान मां काली की मूर्ति कहां से आई और किसने इसकी स्थापना करवाई, यह किसी को नहीं मालूम. पीढ़ी दर पीढ़ी लोग यहां आ रहे हैं और मनोकामना पूर्ण होने पर ताला खोलकर ले जाते हैं. नवरात्रि के मौके पर यहां सामान्य दिनों की अपेक्षा कई गुना ज्यादा भीड़ उमड़ती है. शारदीय नवरात्रि में मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के मद्देनजर विशेष इंतजाम किए गए हैं.

पिछली नवरात्रि में 18 हजार ताले खोलकर ले गए भक्त

मां काली के मंदिर में पिछली नवरात्र में बीस हजार ताले चढ़ाए गए थे. इनमें 18 हजार ताले भक्त खोलकर ले गए हैं. कहा यही जा सकता है कि मां ने 18 हजार भक्तों की मुराद पूरी कर दी, वहीं दो हजार लोग अभी भी अपनी मांगी मुराद पूरी होने का इंतजार कर रहे हैं. उन्हें यकीन है दरबार से उनकी मन्नत भी जरूर पूरी होगी. बंगाली मोहाल मोहल्ले में स्थित 300 साल पुराने मां काली के इस मंदिर में रोजाना भक्तों की भीड़ दर्शन के लिए आती है.वहीं नवरात्र में भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है.

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300 साल पुराने मां काली के मंदिर में ताला चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती हैं. इस प्राचीन मंदिर के प्रांगण में एक ताला लगाने की परंपरा है. ऐसी मान्यता है कि मां के दरबार में सच्ची भक्ति के साथ आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है, जो भी भक्त सच्चे मन से ताला लगाता है, मां उस भक्त की पुकार जरूर सुनती हैं. कभी-कभी ऐसे भी होता है कि ज्यादा ताले लग जाने की वजह से भक्त अपने ताले को खोज नहीं पाते. ऐसे में वह अपने ताले की चाभी मां के चरणों में चढ़ाकर लौट जाते हैं.

मां काली की मूर्ति की स्थापना को लेकर आज भी रहस्य है कायम

किसी को नहीं पता मां काली यहां कैसे विराजमान हुईं, ये आज तक कोई नहीं जान पाया. फिर भी कहा जाता है कि सदियों पहले एक महिला भक्त बहुत परेशान रहती थी. वह नियम से इस मंदिर में सुबह पूजन के लिए आती थी.एक बार वह मंदिर के प्रांगण में जब ताला लगाने लगी, तो उस समय के पुरोहित ने उससे इसके बारे पूछा. इस पर महिला ने जबाब दिया कि मां ने सपने में उससे कहा था कि वह एक ताला उनके नाम से मंदिर प्रांगण में लगा दे, इससे उसकी हर इच्छा पूरी हो जाएगी. बताते हैं कि ताला लगाने के बाद महिला फिर कभी नहीं दिखी.

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नवरात्रि: कानपुर के इस मंदिर में बंद ताले से किस्मत खोलती हैं मां काली, मूर्ति की स्थापना का रहस्य आज भी कायम 2
मनोकामना पूर्ण होने पर गायब हो गया ताला

अचानक बरसों बाद उस महिला द्वारा लगाया गया ताला गायब हो गया और मंदिर की दीवार पर लिखा था- ‘मेरी मनोकामना पूरी हो गई, इस वजह से ये ताला खोल रही हूं.किसी ने भी उस महिला को ताला खोलते नहीं देखा. इसके बाद से मां काली का नाम ताला वाली देवी पड़ गया. मंदिर की बनावट पर बंगाल की कला की झलक देखने को मिलती है. मंदिर में शाम को होने वाली आरती में शिरकत करने दूर-दूर से लोग आते हैं. वहीं, नवरात्र में तंग गलियों में स्थित इस मंदिर में लाखों भक्त दर्शन करने आते हैं.

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