21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Shiv Ji Ki Aarti: ‘ॐ जय शिव ओंकारा’ पूजा के बाद जरूर पढ़ें शिव आरती और चालीसा, इस मंत्र से जगाएं अपनी किस्मत

Shiv Aarti: आज सावन मास का दूसरा सोमवार है. इस दिन व्रत रखकर शिव जी की विधि विधान से पूजा करते हैं. शिव चालीसा और शि मंत्रों का जांप किया जाता है. इसी के साथ शिवरात्रि की पूजा के समय भगवान शिव की आरती, शिव चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप जरूर करनी चाहिए.

Shiv Aarti: आज सावन मास का दूसरा सोमवार है. आज भगवान शिव की पूजा के बाद आरती जरूर पढ़े. भगवान शिव का स्थान सभी देवी-देवताओं में सर्वोच्च है. संस्कृत शब्द शिव का अर्थ है ‘शुद्ध और संहारक’. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिव त्रिमूर्ति के बीच संहारक हैं. वह योगियों के देवता हैं और एक सर्वज्ञ योगी के रूप में वर्णित हैं, जो कैलाश पर्वत पर एक तपस्वी जीवन जीते हैं. शिव को कई नामों से जाना जाता है – महादेव, पशुपति, भैरव, विश्वनाथ, भोले नाथ, शंभू और शंकर. शिव ब्रह्मांडीय नर्तक हैं और उन्हें नर्तकियों के भगवान नटराज के रूप में भी जाना जाता है. यहां पढ़ें भगवान शिव जी आरती, शिव चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र

Shiv Aarti: श्री शिवजी की आरती

ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुराननपञ्चानन राजे।

हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी।

त्रिपुरारी कंसारीकर माला धारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बरबाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुणादिकभूतादिक संगे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलुचक्र त्रिशूलधारी।

सुखकारी दुखहारीजगपालन कारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानत अविवेका।

मधु-कैटभ दो‌उ मारे,सुर भयहीन करे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी व सावित्रीपार्वती संगा।

पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा।

भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है,गल मुण्डन माला।

शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ,नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरतिजो कोइ नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।

लघु मृत्युंजय मंत्र

ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।

महामृत्‍युंजय मंत्र जाप की विधि

महामृत्‍युंजय मंत्र का जाप आपको सवा लाख बार करना चाहिए. वहीं, भोलेनाथ के लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप 11 लाख बार किया जाता है. सावन माह में इस मंत्र का जाप अत्यंत ही शुभ होता है. आप यदि अन्य माह में इस मंत्र का जाप करना चाहते हैं तो सोमवार ​के दिन से इसका प्रारंभ कराना चाहिए. इस मंत्र के जाप में रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें.

Shiva Chalisa: शिव पूजा के बाद जरूर पढ़ें श्री शिव चालीसा

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥

कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

॥दोहा॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

Also Read: Benefits of chanting Mahamrityunjaya Mantra: सावन में महामृत्युंजय मंत्र का करें जाप, मिलेंगे अद्भुत फायदे

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें