Shiv Chalisa: हिंदू धर्म में अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. सभी देवी देवताओं में त्रिदेव को सबसे ऊपर माना जाता है, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश आते है. इसमें महादेव को विनाशक कहा जाता है, जिन का कार्य धरती पर बड़े बाप का विनाश करना है. देवों के देव ‘महादेव’ यानी भगवान शिव की साधना या पूजा हमें हर दुख और भय से मुक्ति दिलाती है. हिंदू धर्म में महादेव की साधना करने से सुख एवं समृद्धि पाई जा सकती है. अगर आप सही तरीके से शिव चालीसा का पाठक करते हैं तो आपको भगवान शिव की असीम कृपा और चमत्कारी लाभ प्राप्त होगा. शिव चालीसा का सही तरीके से उच्चारण करते हुए रोजाना पाठ करने से भक्तों के सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं और भगवान शिव की असीम कृपा बनी होती है.
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शिव चालीसा के पाठ से भक्त की होती हैं सभी मनोकामनाएं पूर्ण
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शिव चालीसा के पाठ करने से जातक के सारे कष्ट हो जाते हैं दूर
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शिव चालीसा के पाठ करने से होता है मनवांछित फल प्राप्त
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शिव चालीसा का जाप करने से मन व शरीर से दूर होती है नकारात्मक ऊर्जा
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शिव चालीसा का रोजाना पाठ करने से दूर होते हैं ग्रहों के बुरे प्रभाव
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रोज शिव चालीसा का पाठ करने से आती है घर में खुशहाली
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शिव चालीसा के पाठ से व्यापार व नौकरी दोनों में मिलती है तरक्की
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शिव चालीसा का निरंतर पाठ करने से रोगों से मिलती है मुक्ति
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शिव चालीसा के पाठ करने से शत्रु बाधा का होता है निवारण
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संतान की प्राप्ति के लिए नियमित करना चाहिए शिव चालीसा का पाठ
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बिना स्नान किए शिव चालीसा का पाठ नहीं करना चाहिए.
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शिव चालीसा का पाठ करते समय शंख नहीं बजाना चाहिए.
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शंकर जी को कभी भी तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाएं.
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शिवजी को कभी भी केतकी के फूल नहीं चढ़ाएं.
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भगवान शिव की पूजा में काला तिल, हल्दी, सिंदूर और कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए.
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शिव चालीसा का पाठ करने के लिए ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर लें.
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इसके बाद साफ कपड़े पहनकर पूर्व दिशा में अपना मुख कर बैठ जाएं.
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पाठ शुरू करने से पहले घी का दीपक जलाएं.
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उसके बाद तांबे के लोटे में साफ जल में गंगाजल मिला कर रखें.
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शिव चालीसा का पाठ शुरू करने से पहले श्री गणेश का श्लोक का जाप करें.
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इसके बाद शिव चालीसा का पाठ शुरू करें.
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सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
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अपना मुंह पूर्व दिशा में रखें और कुशा के आसन पर बैठे.
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पूजन में सफेद चंदन, चावल, कलावा, धूप-दीप पीले फूलों की माला रखें.
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संभव हो तो सफेद आक के 11 फूल भी रखे और शुद्ध मिश्री को प्रसाद के लिए रखें.
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पाठ करने से पहले गाय के घी का दिया जलाएं और एक लोटे में शुद्ध जल भरकर रखें.
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भगवान शिव की शिवचालिसा का तीन या पांच बार पाठ करें.
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शिव चालीसा का पाठ बोल बोलकर करें, ताकि दूसरे लोगों को भी सुनाई दें.
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शिव चालीसा का पाठ पूर्ण भक्ति भाव से करें और भगवान शिव को प्रसन्न करें.
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पाठ पूरा हो जाने पर लोटे का जल सारे घर मे छिड़क दें.
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थोड़ा सा जल स्वयं पी लें और मिश्री प्रसाद के रूप में खाएं और बच्चों में भी बाट दें.
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॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देखि नाग मन मोहे ॥
मैना मातु की हवे दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे । सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी । देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा । सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला । जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई । कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर । भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी । करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो । येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु मम संकट भारी ॥
धन निर्धन को देत सदा हीं । जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी । क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन । मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं । शारद नारद शीश नवावैं ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई । ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी । पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे । ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा । ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे । शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥