Agra: ताजनगरी आगरा किले में पहली बार छत्रपति शिवाजी महाराज की शौर्य गाथा गूंजेगी. रविवार को छत्रपति शिवाजी महाराज की पूरे देश में 393वीं जयंती मनाई जा रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें जयंती पर श्रद्धांजलि दी है. सीएम योगी ने कहा कि बर्बर मुगल आक्रांताओं को भयाक्रांत करने वाले महान योद्धा, धर्मध्वज के रक्षक, ‘हिन्दवी स्वराज’ के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि! धर्म एवं राष्ट्र की सेवा हेतु आप युगों-युगों तक हम सभी को प्रेरित करते रहेंगे.
आगरा किले में शिवाजी की जयंती मनाने के लिए अजिंक्य देव नगरी प्रतिष्ठान ने 11 नवंबर को कार्यक्रम की अनुमति के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को पत्र जारी किया था, जिसके बाद यह मामला कोर्ट में चला गया और कोर्ट ने एएसआई को निर्देश दिया कि महाराष्ट्र सरकार अगर इस कार्यक्रम में सह आयोजक है तो आयोजन की अनुमति दे दी जाए. इसके बाद एएसआई ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अन्य अधिकारियों को अनुमति पत्र सौंप दिया.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण आगरा के अधीक्षक राजकुमार पटेल ने बताया कि कार्यक्रम में 2000 से ज्यादा लोगों के आने की उम्मीद है. इसके साथ ही आगरा कोर्ट के सामने रामलीला ग्राउंड में भी बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाकर इस कार्यक्रम का प्रसारण किया जाएगा. उन्होंने बताया कि नियमों के आधार पर यह कार्यक्रम होगा. कार्यक्रम का मुख्य मंच दीवाने-आम में सजाया जाएगा.
इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के अलावा उनके कई मंत्री भी मौजूद रहेंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी इस कार्यक्रम में शामिल होना था. लेकिन, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और योगी आदित्यनाथ के समय का तालमेल नहीं हो पाने के कारण अब सीएम योगी लखनऊ से वर्चुअल इस कार्यक्रम से जुड़ेंगे.
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इस समारोह में अजिंक्य देवगिरी प्रतिष्ठान महाराष्ट्र की ओर से नाटिका का मंचन भी किया जाएगा. इसके साथ ही किले में दीपोत्सव, डिजिटल आतिशबाजी और भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा. इस समारोह में महाराष्ट्र सरकार के छह से ज्यादा मंत्री शामिल होंगे.
लाल बलुआ पत्थर से बने इस किले का निर्माण वर्ष 1573 ईस्वी में मुगल बादशाह अकबर ने कराया था. इस किले में पर्ल मस्जिद, दीवान-ए-खास, दीवान-ए-आम, मोती मस्जिद और जहांगीरी महल बने हुए हैं. यूनेस्को ने इस किले को वर्ल्ड हेरिटेज घोषित कर रखा है. एएसआई इस विरासत स्मारक की देखभाल करता है.
आगरा के इतिहासकार राजकिशोर राजे की किताब तवारीख-ऐ-आगरा के मुताबिक, 1666 में जब आगरा में औरंगजेब का शासनकाल था, उस वक्त छत्रपति शिवाजी महाराज अपने पुत्र संभाजी के साथ आगरा के किले में पहुंचे थे. उचित सम्मान नहीं मिलने की वजह से छत्रपति शिवाजी महाराज ने विरोध किया और औरंगजेब ने उन्हें कैद कर लिया. कई दिनों बाद वह अपने चातुर्य कौशल का इस्तेमाल कर पुत्र के साथ औरंगजेब की गिरफ्त से निकलने में कामयाब हुए थे. इस घटना को मराठा इतिहास में बड़े गर्व के साथ याद किया जाता है. इसीलिए इस किले में छत्रपति शिवाजी जयंती आयोजित किए जाने की मांग उठ रही थी.