Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या में 16 जनवरी से शुरू हुए प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का शुक्रवार 19 जनवरी को चौथा दिन है. 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. 18 जनवरी दिन गुरुवार को रामलला की मूर्ति को गर्भगृह में बने आसन पर रख दिया गया. अब मूर्ति को गंध वास के लिए सुगंधित जल में रखा जाएगा. फिर अनाज, फल और घी में रखा जाएगा. जानकारी के अनुसार प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले आरंभ हुए अनुष्ठान के तीसरे दिन गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 30 मिनट के बाद श्रीरामलला की मूर्ति को वैदिक मंत्रोचार के बीच गर्भगृह में प्रवेश कराया गया और अपने आसन पर रख दी गयी है.
मूर्ति की विधिवत स्थापना 22 जनवरी को होगी. इससे पूर्व, प्राण प्रतिष्ठा के लिए जारी अनुष्ठान के तीसरे दिन गुरुवार को गणेश-अंबिका पूजा, वरुण पूजा, मातृका पूजा, ब्राह्मण वरण और वास्तु पूजा के साथ औपचारिक अनुष्ठान पूर्ण होगा. 121 पुजारियों ने इस पूजन संपन्न कराया. गर्भगृह में मूर्ति के प्रवेश के साथ अधिवास अनुष्ठान आरंभ हो गया. मूर्ति का ‘जलाधिवास’ हुआ यानी मूर्ति को जल में रखा गया. शुक्रवार को नौ बजे अरणि-मंथन से पवित्र अग्नि प्रकट की गई. उसके पूर्व स्थापित देवताओं का पूजन, सभी शाखाओं का वेदपारायण, देवप्रबोधन होगा. शुक्रवार की सुबह 9 बजे अरणिमंथन से अग्नि को उत्पन्न किए जाने के बाद साथ ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के चौथे दिन के अनुष्ठानों की शुरुआत हुई.
अयोध्या में रामलला का स्नान-पूजन उज्जैन के शंख से होगा. यह शंख लेकर श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी पं. घनश्याम शर्मा गुरुवार शाम अयोध्या के लिए रवाना हुए. वे विशेष राम रथ से अयोध्या के लिए निकले हैं. बता दें कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को 84 सेकंड के सूक्ष्म मुहूर्त में ही की जाएगी. 84 सेकंड का यह मुहूर्त बहुत ही शुभ है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह मुहूर्त भारत के लिए संजीवनी का काम करेगा. प्राण प्रतिष्ठा का पूरा कार्यक्रम योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है.
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शुक्रवार सुबह 9 बजे अरणिमन्थन से अग्नि प्रकट हुई, उसके पहले गणपति आदि स्थापित देवताओं का पूजन, द्वारपालों की ओर से सभी शाखाओं का वेदपारायण, देवप्रबोधन, औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास, कुण्डपूजन, पञ्चभूसंस्कार की प्रक्रिया जारी है . अरणिमन्थन से प्रगट होने वाली अग्नि की कुण्ड में स्थापना कराई गई, इसके साथ ही ग्रहस्थापन, असंख्यात रुद्रपीठस्थापन, प्रधानदेवतास्थापन, राजाराम – भद्र – श्रीरामयन्त्र – बीठदेवता – अङ्गदेवता – आवरणदेवता – महापूजा, वारुणमण्डल, योगिनीमण्डलस्थापन, क्षेत्रपालमण्डलस्थापन, ग्रहहोम, स्थाप्यदेवहोम, प्रासाद वास्तुश्शान्ति, धान्याधिवास सायंकालिक पूजन एवं आरती होगी.