Jharkhand News: पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत कराईकेला थाना स्थिति रायबेरा गांव में एक व्यक्ति को अपने गांव में चिता नसीब नहीं हुई. अंधविश्वास के कारण ग्रामीणों ने डांगोसाई स्थित तालाब में मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार करने नहीं दिया. मजबूरन मृतक के परिजनों को चक्रधरपुर शमशान घाट ले जाकर मृतक का अंतिम संस्कार करने को बाध्य होना पड़ा.
क्या है मामला
कराईकेला थाना क्षेत्र की लांडुपोदा पंचायत के डांगोसाई स्थित तालाब में डूबने से रायबेरा गांव निवासी 49 वर्षीय बोदरो बोदरा की मौत हो गई थी. शव को मुखिया कुश पूर्ति की उपस्थिति में तालाब से निकाल कर मृतक के घर पहुंचा दिया गया था. मगर रात हो जाने के कारण शव का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया. दूसरे दिन शुक्रवार को मृतक बोदरो बोदरा के शव को गांव में अंतिम संस्कार नहीं करने दिया गया. ग्रामीणों के मुताबिक, तालाब में भूत होने के कारण ही उसकी मौत हुई है. इसलिए मृतक को इस गांव में अंतिम संस्कार करने से रोका गया है. मुखिया द्वारा गांव के लोगों को समझाने पर भी बात नहीं बनी.
बंदगांव प्रखंड में फैला अंधविश्वास
मालूम हो कि बंदगांव प्रखंड में आज भी काफी अंधविश्वास फैला हुआ है. आज भी लोग बीमार पड़ने पर डॉक्टर के पास ना जाकर ओझा-गुनी के पास जाते हैं. यहां पर डायन बिसाही की बात सभी लोग मानते भी हैं. ग्रामीण डायन बिसाही के कारण बोदरा की मौत की बात कह रहे हैं. यही कारण है कि गांव में उसके शव का अंतिम संस्कार होने नहीं दिया गया.
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क्या है मामला
जानकारी के अनुसार, बोदरा गुरुवार की दोपहर 12 बजे रायबेरा स्थित तालाब गया था. जहां नहाने के दौरान वहां डूब गया था. गुरुवार शाम को जब ग्रामीण तालाब की ओर पहुंचे तो चप्पल, कपड़ा एवं साबुन देखा, लेकिन कोई व्यक्ति नहीं दिखा. कुछ देर बाद मृतक के परिजन भी उसकी खोजबीन कर रहे थे. देर शाम करीब साढ़े छह बजे तालाब में तैरते हुए एक व्यक्ति का शव ग्रामीणों ने देखा. जिसके बाद बोदरा के परिजनों को सूचना दिया गया. जहां परिजन पहुंचकर शव की पहचान की थी.
रिपोर्ट : अनिल तिवारी, बंदगांव, पश्चिमी सिंहभूम.