उच्चतम न्यायालय ने 2018 के हत्या के प्रयास मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निसिथ प्रमाणिक ( Nisith Pramanik) के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का शुक्रवार को पश्चिम बंगाल पुलिस को आदेश दिया है. न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की जलपाईगुड़ी सर्किट पीठ के चार जनवरी के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर सुनवाई की. जलपाईगुड़ी सर्किट पीठ ने मामले में उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था.
प्रमाणिक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पीएस पटवालिया ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ से कहा, मैं संसद सदस्य हूं. उच्च न्यायालय ने मुझे राहत देने से इनकार कर दिया और मेरे मामले की सुनवाई 22 जनवरी तक के लिए टाल दी है. अगर मुझे कोई सुरक्षा नहीं दी गई तो मुझे गिरफ्तार किया जा सकता है. पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि प्रमाणिक के खिलाफ हत्या के प्रयास और दंगे के 13 मामले लंबित हैं और उन्हें बहुत पहले गिरफ्तार किया जा सकता था. शंकरनारायणन ने पीठ को आश्वासन दिया कि प्रमाणिक के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी और सर्वोच्च अदालत आने के बदले, वह कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अदालत में अपने मामले का उल्लेख कर सकते थे और इसे 22 जनवरी से पहले सूचीबद्ध किया जा सकता था.
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प्रमाणिक के खिलाफ 2018 में पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले के दिनहाटा थाने में हत्या के प्रयास का एक मामला दर्ज किया गया था, जब लोगों के एक समूह ने तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर गोलीबारी की थी. गोलीबारी में एक व्यक्ति घायल हो गया था. प्रमाणिक पहले तृणमूल कांग्रेस में थे और वह फरवरी 2019 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए। उन्होंने हिंसा भड़काने के आरोप से इनकार किया है. उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव भाजपा के टिकट पर कूचबिहार से लड़ा था और चुनाव में जीत हासिल की थी.
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