23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

स्थायी कुलपति की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट बनाएगा सर्च कमेटी, 25 सितंबर तक नाम भेजने का निर्देश

विश्वविद्यालयों में अस्थायी कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर आचार्य व राज्यपाल सीवी आनंद बोस के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. नबान्न का बयान था कि राज्यपाल ने जिस तरह से विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति की है, वह वैध नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट स्थायी कुलपति की नियुक्ति के लिए एक सर्च कमेटी बनाएगा. राज्य सरकार, आचार्य और यूजीसी को 3 से 5 प्रतिष्ठित व्यक्तियों के नाम भेजने का निर्देश दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने 25 सितंबर तक नाम भेजने का आदेश दिया है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस से कुलपतियों की नियुक्ति में चल रही समस्या को सुलझाने में मदद करने का निर्देश दिया है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और राज्यपाल दोनों को अपने मतभेदों को दूर रखकर शैक्षणिक संस्थानों के सुधार पर ध्यान केंद्रित करने की पहल करने को कहा है.

सर्च कमेटी स्थायी कुलपति के नाम का देगी प्रस्ताव

सुप्रीम कोर्ट ने तीनों पक्षों राज्य, राज्यपाल और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को सर्च कमेटी के सदस्यों को नामित करने के लिए तीन से पांच नाम देने का निर्देश दिया है. नाम मिलने के बाद उन्हें लेकर सर्च कमेटी का गठन किया जाएगा. यह समिति स्थायी कुलपति के नाम का प्रस्ताव देगी.

Also Read: अनजान फाइलें डाउनलोड का मामला : कोलकाता पुलिस के बुलावे पर इडी का इंकार
अस्थायी कुलपतियों की नियुक्ति  को लेकर राज्य ने सुप्रीम कोर्ट का  किया था रुख

विश्वविद्यालयों में अस्थायी कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर आचार्य व राज्यपाल सीवी आनंद बोस के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. नबान्न का बयान था कि राज्यपाल ने जिस तरह से विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति की है, वह वैध नहीं है. आचार्य राज्य के उच्च शिक्षा विभाग या शिक्षा मंत्री से चर्चा किए बिना ही कुलपति की नियुक्ति पर निर्णय लेते रहे हैं. हाल ही में जादवपुर विश्वविद्यालय में छात्र की मौत के मद्देनजर राज्यपाल द्वारा संस्थान में अस्थायी कुलपति की नियुक्ति के साथ राज्यव राजभवन टकराव बढ़ गया है. हालांकि इससे पहले राज्य को इस मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट से भी झटका लगा था. तब नबान्न ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया.

Also Read: मैड्रिड में ममता बनर्जी ने बंगाल फुटबॉल को बढ़ावा देने के लिए ला लीगा से किया समझौता
शिक्षा विभाग ने कुलपतियों का रोक दिया है वेतन

आचार्य ने उत्तर बंगाल, नेताजी सुभाष ओपन यूनिवर्सिटी, स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (मैकआउट), कलकत्ता, कल्याणी, बर्दवान, काजी नजरूल, डायमंड हार्बर महिला विश्वविद्यालय सहित राज्य के कई विश्वविद्यालयों के अंतरिम कुलपति नियुक्त किये है. शिक्षा विभाग ने उन कुलपतियों का वेतन रोक दिया है. राज्य का तर्क था कि आचार्य विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति पर एकतरफा निर्णय नहीं ले सकते है. पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय अधिनियम और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) नियमों के अनुसार नियुक्ति नहीं की गई थी. प्रोफेसर सनथकुमार घोष ने उन कुलपतियों की नियुक्ति रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में एक जनहित मामला दायर किया था. 28 जून को हाई कोर्ट ने केस खारिज कर दिया और आचार्य के फैसले पर मुहर लगा दी.

Also Read: मैड्रिड में ला लीगा बॉस से मिलेंगी ममता बनर्जी, सौरभ गांगुली के साथ होंगे अन्य तीन प्रमुख
हाईकोर्ट का आदेश फिलहाल रहेगा लागू

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्त की खंडपीठ ने 21 अगस्त को इस मामले की सुनवाई में निर्देश दिया था कि मामले में सभी पक्षों को नोटिस दिया जाए. मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी. उस दिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि इस दौरान दोनों पक्ष स्थायी कुलपति की नियुक्ति पर चर्चा करेंगे और देखेंगे कि क्या कोई समाधान निकल सकता है. हालांकि कोर्ट अंशकालिक अस्थायी कुलपतियों की नियुक्ति पर आचार्य के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट का आदेश फिलहाल लागू रहेगा.

Also Read: I-N-D-I-A गठबंधन की सरकार बनी तो रसोई गैस की कीमत होगी 500 रुपये : अभिषेक बनर्जी
10 साल के शिक्षण अनुभव के बिना कुलपतियों की नियुक्ति की जा रही है

मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने आरोप लगाया था कि 10 साल के शिक्षण अनुभव के बिना कुलपतियों की नियुक्ति की जा रही है. ऐसे आरोपों के जवाब में राज्यपाल ने कहा कि अंतरिम कुलपति की नियुक्ति के लिए कोई विशिष्ट शिक्षण योग्यता नहीं है. किसी भी योग्य व्यक्ति को अंतरिम कुलपति नियुक्त किया जा सकता है. यही नियम है और उसका पालन किया जा रहा है, लेकिन बोस ने कहा कि वह इस राज्य में काम करके खुश हैं. हालांकि वह कई आईएएस और आईपीएस के पक्षपातपूर्ण व्यवहार की जानकारी देना नहीं भूले, हालांकि राज्यपाल ने यह भी टिप्पणी की कि सभी अधिकारी ऐसे नहीं है.

Also Read: चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी एक राजनीतिक प्रतिशोध है : ममता बनर्जी
विकास भवन और राजभवन के बीच टकराव जारी

विकास भवन और राजभवन के बीच टकराव जारी है. शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने आग में घी डालने का काम किया. उन्होंने अपने “एक्स” हैंडल पर खून चूसने वाला” कहकर राज्यपाल पर हमला किया था. हालांकि उन्होंने राज्यपाल का नाम नहीं लिया था. ब्रात्य ने लिखा कि वह शनिवार की आधी रात का इंतजार कर रहे हैं, इसे ”राक्षस पहर” कहते हैं. यह माहौल इंगित करता है कि राज्यपाल द्वारा वर्णित ‘कार्रवाई’ ब्रात्य और शिक्षा विभाग के विरुद्ध हो सकती है.

Also Read: बंगाल : अभिषेक बनर्जी पहुंचे ईडी कार्यालय, साल्ट लेक के सीजीओ कॉम्प्लेक्स में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें