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Jharkhand News: पलामू टाइगर रिजर्व की शान बढ़ाने वाले तेंदुआ पर मंडराने लगा खतरा, जानें कारण

पलामू टाइगर रिजर्व में लोगों की गतिविधियां अधिक बढ़ने से तेंदुआ समेत अन्य जंगली जानवरों पर खतरा मडराने लगा है. वहीं, लोगों द्वारा तेंदुआ आने की भ्रामक खबर फैलाये जाने से भी वन जीव संकट में आने लगे हैं. वन विभाग के मुताबिक, अभी पीटीआर में करीब 38 तेंदुआ है.

Jharkhand News: आदमखोर तेंदुआ के हमले के बाद लातेहार का बेतला सहित पलामू टाइगर रिजर्व (Palamu Tiger Reserve- PTR) के तेंदुआ पर संकट मंडरा रहा है. आशंका बनी हुई है कि कहीं वैसे तेंदुआ भी लोगों के शिकार न बन जाए जो बिल्कुल ही निर्दोष है. पलामू टाइगर रिजर्व में बाघ के बाद तेंदुआ ने अपना वर्चस्व कायम किया है. वन विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, पूरे पलामू टाइगर रिजर्व में करीब 38 तेंदुआ है. अकेले बेतला नेशनल पार्क में भी आधा दर्जन से कम तेंदुआ नहीं है. कभी-कभार पार्क भ्रमण के दौरान दिखाई देते रहते हैं.

तेंदुआ आने की भ्रामक खबरें फैलायी जा रही

बेतला नेशनल पार्क सहित आसपास प्लान टाइगर रिजर्व के आसपास के कई जंगल क्षेत्र के गांवों में तेंदुआ आने की भ्रामक खबर फैलाया जा रहा है. इस कारण तेंदुआ के जीवन पर संकट मंडरा रहा है. आशंका व्यक्त की जा रही है कि ऐसे में शिकारी सक्रिय हो गये हैं. आदमखोर तेंदुआ के आड़ में कहीं वैसे तेंदुआ का भी शिकार न हो जाए जो ना केवल बेतला नेशनल पार्क बल्कि पूरे में टाइगर पलामू टाइगर रिजर्व के शान बढ़ा रहे हैं. तेंदुआ देखे जाने की खबर अफवाह है अथवा हकीकत इसका छानबीन पूरी तरह से ईमानदारी के साथ करने की जरूरत है. अन्यथा वैसे जानवर भी मारे जाएंगे जो पलामू टाइगर रिजर्व सहित बेतला नेशनल पार्क के शान हैं.

जंगल छोड़कर बाहर निकल रहे हैं जंगली जानवर

वन विभाग के पदाधिकारियों के अनुसार, बेतला नेशनल पार्क और आसपास के इलाकों में तेंदुआ अथवा अन्य हिंसक जंगली जानवर को देखा जाना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है क्योंकि यह इलाका इन सबों से भरा हुआ है. तेंदुआ, हाइना सहित कई हिंसक जानवर पलामू टाइगर रिजर्व में भरे पड़े हैं. इधर, कुछ लोगों का यह भी कहना है कि इन दिनों जंगल पूरी तरह से असुरक्षित हो गया है. वन विभाग के लाख दावा करने के बावजूद भी मानवीय गतिविधि तेज हो गयी है. वहीं, जंगल क्षेत्र में जेसीबी सहित अन्य बड़े मशीन का प्रयोग किया जा रहा है. इस कारण जंगली जानवर स्वयं को असहज महसूस कर रहे हैं और जंगल छोड़कर बाहर निकल जा रहे हैं.

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तेंदुए की आड़ में कहीं निर्दोष जंंगली जानवर न मारे जाएं

जानकारों की मानें, तो यदि मानवीय गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो जंगल के सभी जानवर रिहायशी इलाकों में चले जाएंगे और वहां शिकारियों द्वारा मारे जाएंगे. जिसकी भरपाई संभवत नहीं हो सकेगी. जंगल क्षेत्र में ट्रैक्टर की भी गतिविधि बड़ी हुई है. जिसकी तीव्र आवाज भी जानवरों को परेशान कर रहा है. वहीं, ग्रास प्लॉट में आग लगाया जा रहा है. कई वन विभाग के कर्मी भी पेट्रोलिंग के बहाने बाइक से इधर-उधर जंगल में घूमते रहते हैं. मजदूर साइकिल से आते-जाते रहते हैं. संभवतः इस कारण जंगली जानवर खुद को जंगल में रहने के अनुकूल वातावरण नहीं बना पा रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि आदमखोर तेंदुआ को मारा जाना जरूरी है, लेकिन इस बात पर भी पूरी ध्यान देने की जरूरत है कि कहीं निर्दोष जंगली जानवर न मारे जाएं.

पूरी सतर्कता से की जा रही है निगरानी

टाइगर रिजर्व के फिल्ड डायरेक्टर कुमार आशुतोष ने कहा कि सभी बिंदुओं पर छानबीन की जा रही है. कोई भी निर्दोष जंगली जानवर न मारे जाएं इसे लेकर वन विभाग पूरी तरह से सतर्क है. सभी रेंज के पदाधिकारियों को इसके लिए सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है.

रिपोर्ट : संतोष कुमार: बेतला, लातेहार.

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