Jharkhand News, धनबाद न्यूज (भागवत दास) : झारखंड के धनबाद जिले में बेटों की प्रताड़ना से तंग आकर एक 78 वर्षीया बुजुर्ग महिला अपना घर छोड़कर दक्षिणी टुंडी स्थित लालमणि वृद्धाश्रम जा पहुंची. यह सुनते ही उसके बेटे और गांव वाले वृद्धाश्रम पहुंचे, लेकिन बुजुर्ग महिला आने के लिए तैयार नहीं हुई. इनके तीन बेटे हैं, लेकिन इनकी अनदेखी से तंग आकर ये वृद्धाश्रम पहुंची.
ये मामला धनबाद जिले के पूर्वी टुंडी प्रखंड अन्तर्गत रघुनाथपुर पंचायत के केशीडीह गांव का है, जहां एक 78 वर्षीया वृद्ध महिला बिलासी देवी अपने साथ रह रहे बेटे की प्रताड़ना तथा अन्य जगहों पर रह रहे दो बेटों की अनदेखी से तंग आकर अचानक बुधवार सुबह दक्षिणी टुंडी के आसनडाबर स्थित लालमणि वृद्धाश्रम पहुंच गई. वृद्धा ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि मैं अपने बेटे सुरेश कुम्हार के साथ केशीडीह गांव में रहती हूँ, लेकिन मेरा बेटा मुझे बहुत प्रताड़ित करता है. इसकी सूचना जब बाकी दो बेटों (बीसीसीएल में नौकरी करता है) एवं (सरकारी नौकरी से रिटायर्ड) को दी, तो उनके द्वारा भी अनदेखी की जाती है. इस हालत में मेरे पास वृद्धाश्रम के अलावा कोई दूसरा सुरक्षित स्थान नहीं है. मैं अब यहीं रहना पसंद करुंगी. मुझे दुश्मन बेटों के पास नहीं जाना है.
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इस संबंध में छोटे बेटे सुरेश कुम्हार का कहना है कि मेरे और दो भाई हैं. उनका भी फर्ज बनता है कि मां को अपने साथ रखें. मैं अकेले जिम्मेदारी नहीं ले सकता. वृद्धा बिलासी देवी ने बताया कि दो सगा बेटा भरत कुम्हार और सुरेश कुम्हार है तथा एक सौतेला बेटा भी है सुबोध कुमार. भरत कुम्हार को मां ने पिता के बदले नौकरी सौंप दी, लेकिन इस बुढ़ापे में सेवा करने का फर्ज नहीं निभाया, जबकि सौतेला बेटा सुबोध कुमार पंचायत सेवक की नौकरी से रिटायर्ड हो चुका है, लेकिन उसका व्यवहार सौतेले जैसा ही है. मैं छोटे बेटे सुरेश कुम्हार के साथ रहती थी, जो पॉल्ट्री फार्म का धंधा करता है, लेकिन बेटा और बहु मिलकर मुझे बहुत दिनों से गाली गलौज, मारपीट तथा प्रताड़ित कर रहे थे. मैं बाकी जिंदगी वृद्धाश्रम में ही चैन से गुजारना चाहती हूं.
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Posted By : Guru Swarup Mishra