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Do Not Disturb: ट्राई का डीएनडी ऐप होगा सभी फोन्स के अनुकूल, ऐसी है तैयारी

TRAI News: ट्राई सचिव ने कहा कि इस ऐप में सुधार के साथ ग्राहकों के फोन पर स्पैम कॉल और एसएमएस की संख्या में काफी कमी आई है. हालांकि आईफोन बनाने वाली कंपनी एप्पल ने डीएनडी ऐप को कॉल विवरण तक पहुंच देने से इनकार कर दिया था.

TRAI News: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) अपने डू-नॉट-डिस्टर्ब (डीएनडी) ऐप में मौजूद खामियां दूर करने में लगा हुआ है ताकि मोबाइल फोन ग्राहकों को अनचाही कॉल और संदेशों का तत्काल पता लगाने में मदद मिले. ट्राई के सचिव वी रघुनंदन ने ट्रूकॉलर के एक कार्यक्रम में कहा कि, दूरसंचार नियामक उपभोक्ताओं के सामने आने वाली तकनीकी समस्याओं के समाधान के लिए डीएनडी ऐप में मौजूद तकनीकी खामियों को दुरूस्त करने में जुटा हुआ है. रघुनंदन ने कहा, हमने एक एजेंसी को अपने साथ जोड़ा है जो इस ऐप की खामियां दूर कर रही है. कुछ एंड्रॉयड उपकरणों के साथ समस्याएं थीं जिन्हें काफी हद तक दूर कर लिया गया है. हम मार्च तक इस ऐप को सभी एंड्रॉयड फोन के अनुकूल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. जब मोबाइल ग्राहक अपने फोन पर आने वाली स्पैम कॉल और एसएमएस को चिह्नित करने का प्रयास करते हैं तो ट्राई के डीएनडी ऐप में खामियां नजर आने लग रही हैं.

सहयोगात्मक नजरिया अपनाने की जरूरत

हालांकि, ट्राई सचिव ने कहा कि इस ऐप में सुधार के साथ ग्राहकों के फोन पर स्पैम कॉल और एसएमएस की संख्या में काफी कमी आई है. हालांकि आईफोन बनाने वाली कंपनी एप्पल ने डीएनडी ऐप को कॉल विवरण तक पहुंच देने से इनकार कर दिया था. लेकिन रघुनंदन ने कहा कि इस ऐप को एप्पल के आईओएस उपकरणों के अनुकूल भी ढालने की कोशिश जारी है. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक या निजी क्षेत्र की कोई भी एक एजेंसी देश में सुरक्षा के सभी पहलुओं का ध्यान नहीं रख सकती है. ऐसे में रणनीतिक सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ सहयोगात्मक नजरिया अपनाने की जरूरत है.

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कम उम्र के लोग भी बन रहे इसका शिकार

इस मौके पर अनजान फोन नंबर को चिह्नित करने में मददगार ऐप ट्रूकॉलर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और सह-संस्थापक एलेन मामेदी ने कहा कि भारत में 27 करोड़ लोग इस ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं और देश में रोजाना प्लेटफॉर्म के माध्यम से 50 लाख स्पैम कॉल की सूचना मिलती है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब आवाज की क्लोनिंग या हेराफेरी के जरिये की जाने वाली गड़बड़ियों को चिह्नित करने की चुनौती आ गई है. उन्होंने कहा कि पहले बुजुर्ग लोग डिजिटल धोखाधड़ी के सबसे ज्यादा शिकार होते थे, लेकिन अब कम उम्र के लोग भी इसका शिकार बन रहे हैं.

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