पानागढ़, मुकेश तिवारी. पश्चिम बर्दवान जिले के कांकसा थाना इलाके के कांकसा ग्राम पंचायत अधीन झीनुगोड़े आदिवासी गांव में मंगलवार को ‘मीट योर ऑफिसर’ के तहत दुर्गापुर-आसनसोल के पुलिस कमिश्नर सुधीर कुमार नीलकांतम से गांव के लोग सीधे रूबरू हुए. मंच पर डीसी इस्ट अभिषेक गुप्ता, दुर्गापुर के एसीपी तथागत पांडे, कांकसा ट्रैफिक एसीपी तुहिन चौधुरी, कांकसा थाना के आइसी संदीप चट्टराज समेत अन्य पुलिस ऑफिसर मौजूद थे.
इस दौरान करीब 150 आदिवासी बच्चों को स्कूल बैग तथा युवाओं में फुटबॉल बांटे गये. साथ ही आदिवासी वाद्य यन्त्र भी दिये गये. मौके पर आदिवासियों ने सीपी के समक्ष अपनी समस्याएं रखीं. उन्होंने बताया की उनका गांव में अब भी मूलभूत समस्याएं मौजूद नहीं हैं. पेयजल, सड़क, स्कूल आदि की उपयुक्त व्यवस्था नहीं है. रोजगार नहीं है. शिक्षा के अभाव में सरकारी नौकरी में क्षेत्र और गांव के लोग नहीं हैं.
आदिवासी युवक बुबोन मंडी ने कांकसा डांगाल अंग्रेजी आवासिक नि:शुल्क स्कूल को राज्य सरकार द्वारा आर्थिक मदद बंद कर दिये जाने का मुद्दा उठाया. गोरा मुर्मू ने कहा कि कांकसा ब्लॉक में लगभग 22 हजार आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं. लेकिन आज भी वे मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. शिक्षा और प्रधानमंत्री आवास योजना से भी वंचित हैं. सुजीत गंगते और रामू टुडू आदि ने रोजगार के मुद्दे को उठाया.
Also Read: बंगाल के कांकसा में STF ने पकड़ा 50 करोड़ का ब्राउन शुगर का कच्चा माल, 4 तस्कर गिरफ्तार
उन्होंने कहा कि पानागढ़ इंड्रस्ट्रीयल पार्क बनने से पहले खेत में काम कर गुजारा होता था. लेकिन कल-कारखानों हो जाने के बाद भी उन्हें रोजगार नहीं मिला. उन्होंने सीपी से कांकसा दोमडा में सिद्धू कान्हू की मूर्ति स्थापित करने की मांग की. उन्होंने कहा कि स्थानीय पुलिस का सहयोग तो उन्हें मिलता है. लेकिन मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. झीनू गोडे गांव में एक भी सरकारी नौकरी किसी को नहीं मिली है. मौके पर अमानी डांगा के आदिवासी समुदाय के लोग भी उपस्थित थे. इस दौरान सीपी ने आदिवासियों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाओं को मुहैया कराने का आश्वासन दिया.