भारत को जूडो में पहला स्वर्ण पदक दिलाने के तुलिका मान के सपने चकनाचूर हो गये. उन्हें स्कॉटलैंड की सारा एडलिंगटन ने महिलाओं के 78 प्लस किलोग्राम फाइनल में हरा दिया. हार के बाद उदास इस युवा खिलाड़ी को रजत पदक से संतोष करना पड़ा. वहीं, अनुभवी भारतीय स्क्वैश खिलाड़ी सौरव घोषाल ने बुधवार को राष्ट्रमंडल खेलों में अपना पहला एकल पदक जीता. उन्होंने इंग्लैंड के जेम्स विलस्ट्रॉप को सीधे गेम में हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया.
शोपीस इवेंट में जूडो में यह भारत का तीसरा पदक है. एल सुशीला देवी और विजय कुमार ने सोमवार को महिलाओं के 48 किग्रा और पुरुषों के 60 किग्रा में क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीता था. बता दें कि 22 अप्रैल को जूडो फेडरेशन ऑफ इंडिया की मान्यता रद्द करने के मद्देनजर, भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा राष्ट्रमंडल खेलों के लिए ट्रायल और चयन प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था और आवश्यक परिवर्तनों का सुझाव भी दिया गया था.
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समिति में ओलंपियन जुडोकस कावस बिलिमोरिया, संदीप बयाला और सुनीत ठाकुर के साथ-साथ जूडो मास्टर्स अरुण द्विवेदी और योगेश के धड़वे शामिल थे. जूडो में भारत के लिए हर पदक महत्वपूर्ण है. स्क्वैश की बात करें तो घोषाल ने ऑस्ट्रेलिया में गोल्ड कोस्ट में 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में मिश्रित युगल में रजत पदक जीता था. यह वास्तव में राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का पहला एकल स्क्वैश पदक है.
पुरुष एकल कांस्य पदक मैच में शानदार फॉर्म का प्रदर्शन करते हुए घोषाल ने दुनिया के पूर्व नंबर एक इंग्लैंड के जेम्स विलस्ट्रॉप को 11-6, 11-1, 11-4 से शिकस्त दी. 35 वर्षीय घोषाल ने घरेलू पसंदीदा विलस्ट्रॉप के खिलाफ पहला गेम काफी आराम से लिया और दूसरे गेम को बड़े अंतर से जीतकर अपना दबदबा बढ़ाया. तीसरा गेम भी बिना किसी कठिनाई के जीता लिया. मंगलवार को पुरुष एकल सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के पॉल कोल से हारने के बाद घोषाल की शानदार वापसी हुई. घोषाल इससे पहले एशियाई खेलों में तीन एकल कांस्य और एक एकल रजत पदक जीत चुके हैं. उन्होंने एशियाई खेलों की टीम का स्वर्ण भी जीता है.
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