Union Budget 2023 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आगामी एक फरवरी को लोकसभा वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्रीय बजट पेश किया जाएगा. माना जा रहा है कि इस बजट में वित्तीय प्रणाली को मजबूत करने का प्रयास करते हुए दीर्घकालिक विकास पर जोर देने की उम्मीद है. इसके साथ ही, बजट में ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा और फार्मा, विशेष रसायन, प्रौद्योगिकी और विनिर्माण पर भी जोर दिया जा सका है, जो कि बुनियादी ढांचे के विकास, सशक्तिकरण, डिजिटलीकरण और पीएलआई कार्यक्रमों के माध्यम से नए युग के उत्पादन को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित होने की संभावना है. इन सबके बीच शेयर बाजार के लिए बजट पूर्व की भविष्यवाणी क्या है? इस तथ्य के बावजूद कि बजट 2023 से पहले बाजार ने अनुकूल प्रतिक्रिया दी है? विशेषज्ञों का अनुमान है कि बाजार आय के मौसम और बजट घोषणा पर सबसे अधिक प्रतिक्रिया देगा.
आर्थिक विश्लेषकों के अनुसार, केंद्रीय बजट 2023 में विकास चालक के रूप में पूंजीगत व्यय पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखने और महामारी के बाद के राजकोषीय समेकन को जारी रखते हुए विनिर्माण को गति देने की संभावना है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पूंजीगत व्यय को जीडीपी के मौजूदा 2.9 फीसदी से बढ़ाकर करीब 3.5 फीसदी करने की कोशिश करेंगे. वह मांग बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत आयकर दरों को भी युक्तिसंगत बना सकती हैं. इसके साथ ही, कारोबार सुगमता में सुधार पर भी ध्यान दिया जाएगा. बजट में घरेलू विनिर्माण पुनरुद्धार पर ध्यान जारी रखने की उम्मीद है और श्रम प्रधान क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजनाओं की संभावना है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लोकलुभावन होने के बजाय बजट से उम्मीद की जाती है कि यह कोविड के बाद के राजकोषीय समेकन पर ध्यान केंद्रित करेगा और विनिवेश और सब्सिडी में कमी पर ध्यान केंद्रित करेगा.
विश्लेषकों का कहना है कि वर्ष 2023 की शुरुआत में आने वाले बजट में सरकार जिन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाह रही है, उनमें विनिर्माण, पूंजीगत सामान, रक्षा, स्थिरता, रेलवे और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक शामिल हैं. उम्मीद यह की जा रही है कि ये तमाम क्षेत्र बजट की सुर्खियों में बने रहेंगे. सरकारी पूंजीगत व्यय प्राप्त करने वाले शेयर और पीएलआई योजना से प्रोत्साहन को बजट में विशेष स्थान दिया जा सकता है. यह बात दीगर है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यह मोदी सरकार का आखिरी बजट है. हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि सरकार चुनावपूर्व वाले बजट में लोकलुभावनी घोषणा कर सकती है.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 11 वर्षों के दौरान केंद्रीय बजट से पहले के महीने में छह बार बढ़त हासिल करते हुए बाजार पांच गुना गिर गया और यह -3 और +3 फीसदी के बीच झूल गया. बजट के दिन अधिकांश समय सकारात्मक रहा है और बजट के बाद का बजट नकारात्मक से अधिक सकारात्मक रहा है. इस साल शेयरों में बजट से पहले बिकवाली का रुख है, जो बजट के पक्ष में हो सकता है, लेकिन व्यापक बाजार स्तर पर अस्थिरता बनी रह सकती है. बजट में घोषणाएं महत्वपूर्ण हो सकती हैं. यदि बजट बहुत लोकलुभावन है, तो यह बाजार धारणाओं को आहत कर सकता है. वहीं, अधिक सतर्क बजट अधिक स्वागत योग्य हो सकता है.
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विश्लेषकों के अनुसार, उम्मीद है कि बजट के बाद बैंकिंग, विनिर्माण और पूंजीगत सामानों में तेजी आएगी. पीएलआई योजनाओं के माध्यम से बुनियादी ढांचे के विकास, सशक्तिकरण, डिजिटलीकरण और नए युग के निर्माण को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. उम्मीद यह भी है कि बजट के बाद इस बार एनर्जी, हेल्थकेयर और फार्मा, स्पेशलिटी केमिकल्स, टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग में तेजी आएगी.