Unpaused Naya Safar Review
वेब सीरीज : अनपॉज्ड नया सफर
निर्देशक: रुचिर अरुण, नूपुर अस्थाना, शिखा माकन, अय्यप्पा केएम,नागराज मंजुले
कलाकार: प्रियांशु पैन्यूली, श्रेया धन्वंतरि, गीतांजलि कुलकर्णी, साकिब सलीम, आशीष वर्मा, सैम मोहन, नीना कुलकर्णी और अन्य
रेटिंग तीन
फिल्मों को समाज का आईना कहा जाता है. यही वजह है कि हमारे फ़िल्म मेकर्स ने महामारी के दौर से भी कहानियां बुन ली है.पिछले दो सालों में लगातार ऐसी कहानियां दर्शकों से रूबरू हो रही हैं.
इसी की नयी कड़ी अमेज़न प्राइम वीडियो की एंथोलॉजी सीरीज अनपॉज्ड नया सफर बनी है.यह एंथोलॉजी मानवीय कहानियों का गुलदस्ता है, जिसमें अलग-अलग लोगों की अलग-अलग परिस्थितियों में प्रतिक्रियाओं,भावनाओं को दिखाया गया है. जो अंत में प्यार और सकारात्मक का एहसास कराते हुए दिल को छू जाती है.
इन एंथोलॉजी में पांच लघु कहानियां है.पहली कहानी कपल( प्रियांशु पैन्यूली और श्रेया धनवंतरी) एक शादी शुदा जोड़े की है.जो महामारी के दौरान नौकरी में हुई छटनी से जूझ रहा है. प्रोफेशनल सेटबैक उनके पर्सनल लाइफ को किस तरह से उथल पुथल ले आता है. यह कहानी इस पहलू को छूती है. गीतांजलि कुलकर्णी अभिनीत वॉर रूम फ्रंटलाइन वर्कर्स की कहानी कहता है.जो प्रतिकूल परिस्थितियों में अपने जान को जोखिम में डालकर लोगों की मदद कर रहे हैं.
गीतांजलि का किरदार भी ऐसे ही एक फ्रंट लाइन वर्कर का है.उसके पास मदद के लिए एक ऐसे शख्स का कॉल आता है जो गीतांजलि के किरदार से जुड़ी एक ट्रेजेडी का जिम्मेदार है.क्या गीतांजलि उसकी मदद करेगी. तीसरी कहानी तीन तिगाडा तीन चोरों की कहानी है.जो लॉक डाउन की वजह से एक फैक्ट्री में चोरी के माल के साथ फंसे हुए हैं.लॉकडाउन का पीरियड किस तरह से उनके आपसी रिश्ते को अलग अलग तरह से परिभाषित करता है.
यह कहानी साकिब सलीम,सैम मोहन,आशीष वर्मा अभिनीत इस लघु फ़िल्म की है. चौथी कहानी गोंद के लड्डू एक मां के प्यार की कहानी है.जो अपनी नातिन को देखने के लिए बेकरार है लेकिन कोरोना ने उसके कदम बांध दिए हैं .गोंद के लड्डू के ज़रिए वह अपना प्यार अपनी बेटी और नातिन तक पहुंचाना चाहती है लेकिन यह इतना आसान नहीं है. टेक्नोलॉजी में तंग नानी किस तरह से कुरियर सर्विस की मदद लेती है.
आगे की कहानी वही है. इस एंथोलॉजी की यह कहानी बाकी तीन कहानियों से अच्छी बन पड़ी है. आखिरी कहानी नागराज मंजुले निर्देशित और अभिनीत वैकुंठ है. जो दिल जीत ले जाती है. यह इस एंथोलॉजी की सबसे सशक्त कहानी है. निर्देशन, संपादन से लेकर अभिनय सभी पहलुओं में यह कहानी प्रभावी बनकर उभरी है.
महामारी के दौरान अनगिनत चिताएं और नदी में बेरहमी से फेंके गए शवों की भयावह तस्वीरें आज भी लोगों की स्मृति में ताजा हैं. वैकुंठ में मनुष्य के इस कुरूप पक्ष को विशेष रूप से उजागर किया गया है इसके साथ ही यह फ़िल्म आशा निराशा के बीच उम्मीद को जगाती है.कुलमिलाकर इस सीरीज की हर एक कहानी अलग है और वास्तविकता के करीब है.जो इस एंथोलॉजी सीरीज को प्रासंगिक बना जाता है.