आगरा नगर निगम में मतदान के साथ ही मेयर के लिए कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है. मतदान केंद्रों पर पहुंच रहे मतदाता इवीएम का बटन दबाकर तय कर रहे है कि भाजपा का तीन दशक पुराना किला मजबूत होगा या सपा बसपा कांग्रेस अथवा अन्य कोई दल इसे फतह करने में सफल होगा. आगरा नगर निगम में 100 वार्ड में करीब 14 लाख मतदाता हैं. भारतीय जनता पार्टी ने एससी महिला के आरक्षित सीट होने पर पूर्व विधायक हेमलता दिवाकर कुशवाह को प्रत्याशी बनाया है. 2017 में दूसरे नंबर पर रही बसपा ने भाजपा को टक्कर देने के लिए लता वाल्मिकी को उतारा है. आगरा नगर निगम में वोटरों की संख्या करीब 16.60 लाख है. एक अनुमान के अनुसार सबसे अधिक वोटर एससी वर्ग से हैं. इनकी संख्या 40 फीसदी मानी जाती है. कांग्रेस ने लता कुमारी और सपा ने जूही प्रकाश प्रत्याशी हैं.
बीते चुनाव में नवीन कुमार जैन ने भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर 217881वोट हासिल किए थे. अनारक्षित सीट आगरा में 42.77 फीसदी वोट पाकर मेयर बने थे. बसपा के दिगम्बर सिंह 143559 वोट लाकर दूसरे नंबर पर रहे थे. दिगंबर को 28.18 फीसदी वोट मिले थे. सपा के राहुल चतुर्वेदी को 49788, पूर्व मंत्री चौधरी बशीर को 35243 तथा कांग्रेस के विनोद बंसल को 22554 वोट मिले थे. हारे हुए उम्मीदवारों में बसपा को छोड़कर सभी उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गयी थी.
159 साल पहले अंग्रेजी शासन काल में आगरा शहर की सरकार बनी थी. आगरा किला में 1863 में आगरा म्यूनिसिपलिटी का कार्यालय स्थापित किया गया था. हालांकि 1900 में यह दाराशिकोह की लाइब्रेरी मोतीगंज में स्थानांतरित हो गया था. यहां से स्थानांतरित होकिर 1960 के दशक में एमजी रोड पर शिफ्ट हो गया. साल 1863 में म्यूनिसिपलिटी बोर्ड के अध्यक्ष मजिस्ट्रेट होते थे. सभी सदस्य भी सरकारी थे. अंग्रेज काल में गई आगरा म्यूनिसिपलिटी में अध्यक्ष , ज्वाइंट मजिस्ट्रेट और सिविल सर्जन के साथ सरकार द्वारा नामित दो अफसर की कमेटी थी. 16 वार्ड थे. जनता के बीच से इनके सदस्य को नामित किया जाता था. शहर की सरकार ने 1892 में वाटर टैक्स लगाया था. 1902 में सीवर लाइन बिछाई गई थी.