Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तराखंड के उत्तरकाशी के टनल में फंसे सभी 41 मजदूरों का रेस्क्यू हो गया है. 17 दिन की कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार चट्टानों का सीना चीरकर मजदूरों के बचा लिया गया. लेकिन उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू ऑपरेशन इतना आसान नहीं था. केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) ने भी माना है कि मजदूरों का रेस्क्यू इतना आसान नहीं था. ऑगर मशीन से लेकर रैट माइनिंग तक जिस तरह मिशन को अंजाम दिया गया वो अपने आप में उत्कृष्ट है.
अपने आप में एक अलग ऑपरेशन- वीके सिंह
केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) ने उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू को लेकर कहा है कि यह अपने आप में एक अलग ऑपरेशन था क्योंकि मजदूर फंस गए थे इसलिए हमें उन्हें बचाना था. सिंह ने कहा कि वहां पहुंचने के लिए अलग-अलग विकल्प थे, कुछ का इस्तेमाल किया गया. इस रेस्क्यू की सबसे खास बात यह थी कि इसका पूरा मार्गदर्शन पीएम मोदी ने किया. इसने संस्थानों, एजेंसियों और वहां काम करने वाले लोगों को प्रेरित किया और समन्वय में मदद की.
#WATCH | Delhi: Union Minister General VK Singh (Retd) on the Uttarkashi tunnel rescue operation; says, "It was a different operation in itself since workers were stuck so we had to rescue them. There were different options to reach there, some were used…The most important… pic.twitter.com/hCsistO5Lr
— ANI (@ANI) November 29, 2023
उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सिल्क्यारा टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन का काम पूरा हो गया है. 17 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद मजदूरों को सुरंग से निकाल लिया गया है. अब सवाल है कि क्या सुरंग का काम होगा या इसे रोक दिया जाएगा. वहीं, इस सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री वीके सिंह का कहना है कि सुरंग का काम जारी रहेगा. सुरंग के काम को बीच में छोड़कर नहीं हटा जा सकता है. बीके सिंह ने कहा कि सुरंग पर काम जारी रहेगा.
गौरतलब है कि उत्तरकाशी जिले की सिलक्यारा सुरंग से निकाले गए श्रमिकों को हेलीकॉप्टर से बुधवार को ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) लाया गया जहां उनका गहन स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है. भारतीय वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर के जरिए सभी 41 श्रमिकों को चिन्यालीसौड़ से एम्स ऋषिकेश लाया गया है. सुरंग से बाहर निकाले जाने के बाद उन्हें सिलक्यारा से 30 किलोमीटर दूर स्थित चिन्यालीसौड़ अस्पताल ले जाया गया था जहां उन्हें चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया था.
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